अंग्रेजी सत्ता को भारत से उखाड़ फेंकने के लिए अंतिम लड़ाई अगस्त क्रांति के नाम से लड़ा गया - पुष्पराज सिंह


जौनपुर। भारतीय जनता पार्टी जौनपुर के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह के नेतृत्व में कलेक्ट्रेट स्थित क्रांति स्तंभ पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने पुष्पांजलि की। उक्त अवसर पर उपस्थित कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह ने कहा कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए तमाम छोटे-बड़े आंदोलन किए गए अंग्रेजी सत्ता को भारत की जमीन से उखाड़ फेंकने के लिए गांधी जी के नेतृत्व में जो अंतिम लड़ाई लड़ी गई थी उसे अगस्त क्रांति के नाम से जाना गया है। इस लड़ाई में गांधी जी ने 'करो या मरो' का नारा देकर अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए पूरे भारत के युवाओं का आह्वान किया था इस आंदोलन की शुरुआत नौ अगस्त 1942 को हुई थी इसलिए इसे अगस्त क्रांति कहते हैं।
उन्होने आगे कहा कि इस आंदोलन की शुरुआत मुंबई के एक पार्क से हुई थी जिसे अगस्त क्रांति मैदान नाम दिया गया। आजादी के इस आखिरी आंदोलन को छेड़ने की भी खास वजह थी दरअसल जब द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ तो अंग्रेजों ने भारत से उसका समर्थन मांगा था, जिसके बदले में भारत की आजादी का वादा किया था परन्तु भारत से समर्थन लेने के बाद भी जब अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्र करने का अपना वादा नहीं निभाया तो महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ अंतिम युद्ध का एलान कर दिया इस एलान से ब्रिटिश सरकार में दहशत का माहौल बन गया। चार जुलाई 1942 के दिन एक प्रस्ताव पारित किया कि अगर अंग्रेज अब भारत नहीं छोड़ते हैं तो उनके खिलाफ देशव्यापी पैमाने पर नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाया जाएगा। 
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम जो 1857 से शुरू हुआ था। 1942 आते-आते एक निर्णायक मुकाम पर पहुंच गया। आजादी के इस आंदोलन में दुनिया की सबसे बड़ी अहिंसक जनक्रांति नौ अगस्त 1942 को शुरू हुई। दरअसल, द्वितीय विश्वयुद्ध ने दुनिया का इतिहास और भूगोल बदलने का काम किया। इस दौरान भारत में सत्याग्रह चल रही थी। ब्रिटिशों को दबाव में देख आजादी के लिए सुलह करने का प्रस्ताव रखा गया। लेकिन चालाक अंग्रेजी हुकूमत ने क्रिप्स मिशन नाटक खेल दिया। उसने आंदोलन से मुसलमानों और अनुसूचित जातियों को अलग करने की साजिश रची। कुछ दिनों बाद कांग्रेस के नेताओं को अंग्रेजों की चालबाजी समझ में आने लगी। सात अगस्त को बंबई की सभा में महात्मा गांधी ने कहा कि अब हमें आजादी लड़कर ही लेनी पड़ेगी। यहीं से अगस्त क्रांति का निर्णायक आंदोलन अंग्रेजों भारत छोड़ो, करो या मरो शुरू हुआ।
उक्त अवसर पर सुशील मिश्रा पीयूष गुप्ता सुरेंद्र सिंघानिया नीरज सिंह आमोद सिंह नंदलाल यादव विष्णु प्रताप सिंह जय विजय सोनकर विपिन सिंह कमलेश निषाद रोहित् सिंह के साथ तमाम भाजपा के कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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