पूर्वांचल के जनपदों में धान खरीद को लेकर किसानो की बढ़ी दुश्वारियां


पूर्वांचल में धान खरीद शुरुआत के बाद से ही केंद्रों पर अनियमितता और अराजकता का आरोप किसान लगा रहे हैं। आनलाइन और आफलाइन के खेल में किसानों की फजीहत भी खूब हो रही है। धान खरीद में विसंगति का खाामियाजा किसान झेलने को विवश हैं तो दूसरी ओर बोरे की किल्‍लत की वजह से भी किसानों के सामने दुश्‍वारी आ खड़ी हुई है। आजमगढ़ में किसान इसलिए परेशान हैं कि वहां बोरा उपलब्‍ध नहीं है तो दूसरी ओर मऊ जिले में किसान खरीद केंद्रों पर हड़ताल की वजह से बीते दिनों परेशान रहे। कहीं आनलाइन का स्‍लाट जारी होते ही ही तुरंत खत्‍म होता जा रहा है तो कहींं स्‍लाट में दिक्‍कत आ रही है। 

पूर्वांचल के वाराणसी स‍हित सोनभद्र, बलिया, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, मीरजापुर, भदोही और चंदौली आदि जिलों में धान खरीद केंद्रों पर किसानों की फजीहत के मामले सामने आ रहे हैं। गेहूं की खेती के लिए खेत में पौध तैयार हो रही है लेकिन खाद और पानी के लिए नगदी की जरूरत की वजह से धान की फसल से प्राप्‍त रकम का किसान इंतजार कर रहे हैं। केंद्रों पर खरीद न होने से इसका फायदा कई जगह बिचौलियों द्वारा उठाए जाने की जानकारी आने के बाद किसान संगठन और विपक्षी दलों की ओर से रोष जाहिर किया गया है।  

वाराणसी जिले में दुश्‍वारी कम : कुल 42 धान खरीद केंद्र हैं। जिले में धान खरीद का लक्ष्‍य 42,100 एमटी तय किया गया है। अब तक धान खरीद 25453.267 एमटी हो चुका है। धान खरीद में आ रही अड़चन के क्रम में बोरों की कमी, हालांकि अब दूर कर ली गई है। अब नई समस्या गोदामों के भर जाने की है, इसके चलते एक-दो दिन के लिए खरीद बाधित हो सकती है। बारिश से बचाव, गोदाम, शेड आदि - रख-रखाव की व्यवस्था ठीक है। पक्के गोदाम हैं, जहां अतिरिक्त धान है, वहां तिरपाल से ढका गया है। पहले पोर्टल पर पंजीकरण कराकर टोकन प्राप्त करना, फिर प्रति किसान 60 क्विंटल खरीद करना है। आनलाइन या मोबाइल पर शिकायत से भी आने वाली समस्याओं को दूर कराया जा रहा है। इस बाबत अधिकारियों ने बताया कि बोरों की कोई समस्या नहीं है। खरीद अपने लक्ष्य से बेहतर हो रही है। अभी तक लक्ष्य के सापेक्ष 60.46 फीसद खरीद दो माह में हो चुकी है।
बलिया में अब तक 35000 टन धान की खरीद : जिले में 75 धान खरीद केंद्र हैं। यहां धान खरीद का लक्ष्‍य 124400 टन है। अब तक 35000 टन की खरीद हुई है। मिलरों के यहां धान नहीं भेजे जाने के चलते क्रय केंद्रों पर डंप पड़ा है। जगह के अभाव में खरीद में हो रही दिक्कत। बारिश से बचाव के लिए तिरपाल खरीदे गए हैं, लेकिन वे पर्याप्त नहीं हैं। जिले में टोकन सिस्टम से खरीद हो रही है। किसानों की शिकायतों का स्थानीय स्तर पर ही निस्‍तारण का दावा अधिकारी कर रहे हैं। इसके बाद भी अधिकांश किसान केंद्रों पर बिचौलियाें के हावी होने की शिकायत कर रहे हैं। केंद्रों पर बोरों की कमी है तो किसान सर्दी में परेशान हो रहे हैं। जिला विपणन अधिकारी अविनाश सगरवाल ने बताया कि डंप धान को मिलरों के यहां भेजा जा रहा है। दो दिन में खरीद में तेजी आएगी। किसानों का भुगतान 72 घंटों में हो जाने का उनका दावा है।

जौनपुर में धान खरीद लक्ष्‍य बढ़ा : धान खरीद के लिए 156 क्रय केंद्र बनाए गए थे। भुगतान न होने के कारण शासन द्वारा एफपीओ के 23 केंद्रों को एक सप्ताह पूर्व खरीद से रोक लगा दी गई है। जिले में धान खरीद का 151900 टन लक्ष्य से सापेक्ष अब तक 87409 टन खरीद कर ली गई है। केंद्रों से खरीदे गए धान का उठान न होने और कुछ एजेंसियों द्वारा समय से भुगतान न होने के चलते खरीद में बाधा आ रही है। क्रय केंद्रों पर बने गोदाम में धान रखने का आदेश है। गोदाम भरे होने की दशा में बाहर रखे गए धान को बारिश से बचाव के लिए तिरपाल से ढंका जाता है। कुछ केंद्रों के बाहर शेड भी बने हैं। धान बेचने के लिए किसानों को पंजीकरण कराना होता है। रकबा के सत्यापित होने बाद आन लाइन टोकन जारी किया जाता है। उसी टोकन से धान की खरीद की जाती है। आईजीआरएस और अधिकारियों के यहां की गई शिकायतों का किसानों से मिलकर निस्तारण किया जाना चाहिए। जिले में खरीद न होने और समय से भुगतान न किए जाने की शिकायत है। जिले में आवश्यकता के अनुरूप बोरे की उपलब्धता नहीं है। एजेंसी और मिल संचालत उन्हीं प्रभारियों को प्राथमिकता देते हैं जो उनके अनुसार खरीद करते हैं। अधिकारी केंद्रों पर जाकर सत्यापन करते हैं। इस बारे में उप संभागीय विपणन अधिकारी एनके पाठक ने कहा कि किसानों का धान प्राथमिकता के आधार पर खरीदा जा रहा है। किसान अधिक समर्थन मूल्य पाने के लाभ से वंचित न हो जाए इसलिए जिले में 133500 टन से लक्ष्य बढ़ाकर 151900 टन कर दिया गया है। धीमी गति से उठान के कारण खरीद में बाधा आ रही थी। जिलाधिकारी के निर्देश पर इसमें तेजी लाई गई है।

सोनभद्र में 10 केंद्रों पर खरीद रोक : धान खरीद के लिए 100 क्रय केंद्र बनाए गए थे। शासन द्वारा एफपीओ के 10 केंद्रों को एक सप्ताह पूर्व भुगतान नहीं होने से खरीद करने पर रोक लगा दी गई है। जिले में धान खरीद के लिए एक लाख 51 हजार 500 टन लक्ष्य रखा गया है। इसके सापेक्ष अब तक 83 हजार 432 टन खरीद कर ली गई है। नित्य नए प्रयोग आनलाइन व आफलाइन के चलते किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। क्रय केंद्रों पर बने गोदाम में धान रखने का आदेश है। गोदाम भरे होने की दशा में बाहर रखे गए धान को बारिश से बचाव के लिए तिरपाल से ढकने की व्यवस्था की गई है। कुछ केंद्रों के बाहर शेड भी बने हैं। आईजीआरएस व अधिकारियों के यहां की गई शिकायतों का किसानों व केंद्र प्रभारियों से मिलकर निस्तारण किया जाना चाहिए। सुबह दस से शाम पांच बजे तक टोकन जारी किया जा रहा है। लेकिन पोर्टल खुलते ही दो मिनट में ही केंद्रों पर धान की मात्रा बुक हो जाने से किसानों का टोकन जनरेट नहीं हो पा रहा है। जिले में धान खरीद नहीं होने और समय से भुगतान नहीं होने की शिकायतें मिल रही है। जिले में बोरे की उपलब्धता पर्याप्त बताई जा रही है। इस संबंध में जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी संजय पांडेय ने बताया कि केंद्रों पर पहुंचने वाले किसानों के धान को खरीदा जा रहा है। मांगों को लेकर तीन दिनों से खाद्य विभाग के अधिकारियों के हड़ताल पर चले जाने से दिक्कत हुई थी। आज से हड़ताल खत्म होने से खरीद फिर से पहले की तरह शुरू हो गई है।

मऊ में डंप पड़ा है चावल :  मऊ जनपद के कुल 47 क्रय केंद्रों पर अब तक 3201 किसानों से कुल 16356.45 एमटी धान की खरीद की जा चुकी है जबकि धान खरीद का लक्ष्य 41000 एमटी है। मिलरों के यहां धान प्रेषित नहीं होने के चलते क्रय केंद्रों पर धान जगह-जगह डंप पड़े हुए हैं। इसकी वजह से खरीद नहीं हो पा रही है। हालांकि क्रय केंद्रों पर धान की सुरक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में प्लास्टिक रखी गई है। यही नहीं अवशेष धान को ऊंचे चबूतरे पर रखा गया है ताकि बारिश होने पर भीग न सके। धान खरीद की नई नीति एवं कभी आनलाइन टोकन तो कभी आफलाइन बिना टोकन के खरीद को लेकर दो दिनों से चल रही विपणन निरीक्षकों की हड़ताल शनिवार की देर रात समाप्त हो गई। बहरहाल सोमवार से टोकन व्यवस्था के तहत खरीद प्रारंभ हो गई है। टाेकन सिस्टम से धान की खरीद शुरू कर दी गई है। एफसीआइ के क्रय केंद्रों की स्थिति काफी बदतर है। यहां किसानों की खरीद के लिए मारामारी की स्थिति है जबकि विपणन शाखा के क्रय केंद्रों पर किसानों की खरीद सहूलियत से की जा रही है। इसे लेकर आरएफसी को कई बार चेतावनी भी जारी की जा चुकी है। जिला विपणन अधिकारी विपुल कुमार सिन्हा ने बताया कि हड़ताल से वापस लौटने के बाद सभी क्रय केंद्र प्रभारियों को अलर्ट कर दिया गया है। जगह-जगह फिर से खरीद शुरू कर दी गई है।

चंदौली में खत्म हो जा रहा स्लाट : जिले में धान खरीद के लिए 106 केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। धान खरीद में शुरू से ही किसानों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। आनलाइन टोकन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद मुश्किलें और बढ़ गईं। स्थिति यह है कि सुबह 10 बजे आनलाइन टोकन निकालने के लिए खाद्य रसद विभाग की वेबसाइट चालू हो रही। हालांकि दो से तीन मिनट के अंदर सभी केंद्रों पर स्लाट बुक हो जा रहा है। ऐसे में 99 फीसद किसान टोकन नहीं निकाल पा रहे। एक किसान से एक बार में 60 क्विंटल अनाज खरीद का मानक और परेशान कर रहा है। प्रत्येक केंद्र पर नियमित 400 क्विंटल अनाज खरीद का लक्ष्य निर्धारित है। ऐसे में सात किसान ही टोकन निकाल पा रहे हैं। धान बेचने के लिए आनलाइन टोकन एक दिन आगे का निकल रहा है। कई केंद्रों पर खरीद का लक्ष्य माइनस में जाने से आनलाइन टोकन प्रणाली भी सवालों के घेरे में है। किसान इसे मिलरों, अधिकारियों व केंद्र प्रभारियों की मिलीभगत बता रहे हैं। जिले में धान खरीद के लिए 2.47 लाख टन लक्ष्य निर्धारित किया गया है। केंद्रों पर अपनी उपज बेचने के लिए 35 हजार किसानों ने पंजीकरण कराया है। इसमें 13 हजार किसान अपनी उपज बेच चुके हैं। शेष किसानों का अनाज खरीदा जाना है। अभी तक 92 हजार टन धान की खरीद हो चुकी है। यूपीएसएस के 15 व पंजीकृत सोसाइटी के 10 क्रय केंद्र बंद कर दिए गए हैं।

आजमगढ़ में किसानों को परेशानी : आजमगढ़ में 69 धान खरीद केंद्र हैं। जबकि 77,700 टन खरीद का लक्ष्‍य था और अब तक धान खरीद 17817.29 टन हो चुकी है। धान क्रय नीति के तहत आनलाइन पंजीकृत किसानों के ही धान की खरीद होनी है। गोदामाें से उठान की गति कम के अलावा सब ठीक है। आनलाइन पंजीकरण के बाद मोबाइल पर खरीद तिथि का मैसेज आ रहा है। विपणन कार्यालय में कंट्रोल रूम की स्थापना की गई है। टोकन न मिलने से धान की खरीद न होना, बोरे के अभाव में खरीद न होना आदि समस्‍याएं किसान बता रहे हैं। पीसीएफ 47 में एक दर्जन क्रय केंद्रों पर बोरा नहीं है, जबकि नमी मापक यंत्र के जरिए जांच हो रही है तो कार्यदायी संस्थाओें के नोडल अफसर लगातार फीडबैक ले रहे हैं। इस बाबत डिप्टी आरएमओ गोविंद कुमार उपाध्याय ने बताया कि राइस मिल संचालकों से अनुबंध प्रक्रिया पूरी हो गई है। गोदामों से धान की उठान शुरू हो गई है। जल्द ही खरीद की व्यवस्था सुचारु हो जाएगी।

मीरजापुर में 101 खरीद केंद्र : जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार द्वारा स्वीकृत 101 केंद्रों पर 15058 किसानों से 76510.90 एमटी धान खरीद हुई है। जिले में 22,95,00 एमटी धान खरीद का लक्ष्य है। जिला खाद्य विपणन अधिकारी धनंजय सिंह ने बताया कि 28 दिसंबर तक खाद्य विभाग की विपणन शाखा के 39 केंद्रों पर 27667.23 एमटी, उत्तर प्रदेश उपभोक्ता सहकारी संघ (यूपीएसएस) के दो केंद्रों पर 547.26 एमटी, उत्तर प्रदेश राज्य कृषि उत्पादन मंडी परिषद के तीन केंद्रों पर 2202.68 एमटी, उत्तर प्रदेश सहकारी संघ (पीसीएफ) के 32 केंद्रों पर 27206.68 एमटी, नेशनल एग्रीकल्चरल कोआपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन आफ इंडिया (नेफेड) के तीन केंद्र पर 955.93 एमटी, उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव यूनियन (यूपीसीयू) के 20 केंद्रों पर 15003.48 एमटी, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के दो केंद्रों पर 1633.56 एमटी धान की खरीद हुई है।

भदोही में धान खरीद : जिले में 31 धान खरीद केंद्र है।जिले में धान खरीद का लक्ष्‍य 1,79,000 एमटी तय किया गया था। अब तक धान खरीद 32877 एमटी हो चुका है। भदोही में धान खरीद को लेकर बोरे की कोई कमी नहीं है। पिछले सप्ताह में बारिश और विपणन निरीक्षकों की हड़ताल के कारण खरीद नहीं हो सकी थी। खरीद को लेकर शासन की ओर से एक पखवारें में अलग-अलग नियमों को लेकर किसानों से खरीद प्रभावित रहा। 29 दिसंबर के पहले जितना भी आनलाइन टोकन जारी किया गया था उसे निरस्त कर दिया गया था। इसी बीच आफलाइन भी टोकन जारी कर दिया गया। 30 दिसंबर से फिर आनलाइन टोकन जारी होने लगा। इस बीच केंद्रों पर अफरा- तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। केंद्रों पर रखरखाव, बारिश से बचाव, गोदाम, शेड आदि मंडी समिति के केंद्र को छोड़कर किसी भी केंद्र पर शेड की व्यवस्था नहीं है। खरीद का तरीका आन लाइन टोकन बुकिंग के बाद ही पंजीकृत किसानों से धान खरीद हो रही है। शिकायतों का निस्तारण तहसील और केंद्र प्रभारी कर रहे हैं। टोकन जारी होने के बाद भी नहीं हो रही खरीद। दो हजार गांठ, दस लाख बोरा उपलब्ध है। देवेंद्र सिंह, जिला विपणन अधिकारी ने बताया कि आन लाइन टोकन बुकिंग के बाद ही किसानों से धान खरीद की जा रही है। केंद्राें पर किसी तरह से कोई दिक्कत नहीं है। बीच में नियमों में हुए कुछ बदलाव को लेकर अफरा- तफरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है।

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