राजनीति की उर्वरा भूमि है पूर्वांचल: इस क्षेत्र ने देश को दिए तीन पीएम और पांच सीएम जानें इससे जुड़ी कुछ बातें


आजादी के पहले से ही पूर्वांचल की धरती राजनीतिक, सामाजिक, साहित्यिक और सांस्कृतिक रूप से मजबूत रही है। लाल बहादुर शास्त्री के रूप में पूरब से देश को दूसरा प्रधानमंत्री मिला। वे 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक प्रधानमंत्री रहे। मुगलसराय शास्त्री जी का जन्मस्थान है, जो अब चंदौली जिले का हिस्सा है। उस वक्त यह वाराणसी जिले में था।
बलिया के युवा तुर्क चंद्रेशखर सिंह 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991 तक प्रधानमंत्री रहे। उनका जन्म इब्राहिमपटटी है, जो बलिया जिले का हिस्सा है। पूर्वांचल में समाजवादी राजनीति के बड़े चेहरे में शुमार चंद्रेशखर 1962 से 1977 तक राज्यसभा के सदस्य थे। आपातकाल के बाद हुए नौ चुनावों में चंद्रशेखर आठ बार चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। 1984 में उन्हें कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी के हाथों शिकस्त मिली थी।
एक जनवरी 1891 को वाराणसी में जन्मे डॉ. संपूर्णानंद 1954-57 और 1957 से 60 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। वाराणसी के ही त्रिभुवन नारायण सिंह 1970-71 तक सूबे के मुखिया रहे। पूर्वांचल के विकास में अप्रतिम योगदान देने वाले पंडित कमलापति त्रिपाठी 1971 से 1973 तक मुख्यमंत्री रहे। आजमगढ़ के रामनरेश यादव 1977 से 79 तक सूबे की कमान संभालने का मौका मिला। देश के मौजूदा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह 2000 से 2002 तक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। राजनाथ सिंह मूलरूप से चंदौली जिले के चकिया के रहने वाले हैं।
2014 में पीएम मोदी का चला जादू
साल 2014 में भाजपा के नरेंद्र मोदी ने वाराणसी सीट से चुनाव लड़ा और रिकॉर्ड 591022 मत पाकर विजयी हुए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल को पौने चार लाख मतों से परास्त किया। इस जीत के बाद वे देश के 14वें प्रधानमंत्री बने। 2019 के चुनाव में एक बार फिर मोदी का जादू चला और इस चुनाव में उन्होंने सपा की शालिनी यादव को 479505 बोटों के अंतर से हराया। 2019 में उन्हें दोबारा प्रधानमंत्री चुना गया। 2024 में मोदी तीसरी बार वाराणसी सीट से उम्मीदवार हैं।

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