देश भर के 27 लाख बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में हुये एकजुट
जौनपुर के बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के विरूद्ध पूरे दिन किया व्यापक विरोध प्रदर्शन
संघर्ष समिति ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी वेतन या सुविधा की मांग नहीं है, बल्कि यह आम जनता की सस्ती, सुलभ और भरोसेमंद बिजली सेवा को बचाने की लड़ाई है। निजीकरण से न केवल कर्मचारियों की आजीविका संकट में आएगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगी और अनिश्चित बिजली सेवा का सामना करना पड़ेगा। इस ऐतिहासिक हड़ताल में बिजली क्षेत्र के अतिरिक्त रेल, बैंक, बीमा, बीएसएनएल, डाक, सार्वजनिक उपक्रम, निजी उद्योग और केंद्र व राज्य सरकारों के विभागों से जुड़े लगभग 25 करोड़ मजदूरों और कर्मचारियों ने भी अपना समर्थन और एकजुटता दर्ज किया।
समिति ने भारत सरकार से मांग किया कि वह अविलंब हस्तक्षेप कर उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देशित करे कि दोनों वितरण कंपनियों के निजीकरण का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए। यह मांग 10 राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के साझा मांगपत्र में भी प्रमुखता से दर्ज है। समिति ने यह भी आश्वस्त किया कि उपभोक्ताओं की मूलभूत विद्युत आवश्यकताओं को बाधित न किया जाय, इसके लिए प्रत्येक जनपद में विशेष निगरानी टीम तैनात की गई है।
इस दौरान सत्या उपाध्याय ने कहा कि निजीकरण न उपभोक्ताओं के हित में है और न ही किसानों के हित में है। इसी क्रम में जितेन्द्र यादव ने सभा को सम्बोधित करते हुए बताया कि करीब 8 माह से उत्तर प्रदेश का बिजलीकर्मी निजीकरण के खिलाफ आंदोलनरत है लेकिन ऊर्जा प्रबंधन व सरकार वार्ता करने के लिए भी तैयार नहीं है। इं. सौरभ मिश्रा ने बताया कि निजीकरण से उपभोक्ताओं का शोषण बढ़ेगा तथा बिजली के दाम बढ़ेंगे।
इस अवसर पर इं. धीरेंद्र सिंह, इं. धर्मेंद्र गुप्ता, इं. आनन्द यादव इं. कृपाशंकर पटेल, इं. मुकुंद यादव, इं. आशीष यादव, इं. गुंजन यादव, इं. हरिनंदन राय, इं. मनोज गुप्ता, गिरीश यादव, कमलाकांत मिश्रा, प्रभात पांडेय, धुरेन्द्र विश्वकर्मा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।
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