पहले प्लेग हैजा तावन में लोग घरों से बाहर निकलते थे कोरोना वायरस से बचने के लिए घरों में कैद हो रहे है
जौनपुर । अब तक लोग बीते दिनों में प्लेग,हैजा आदि संक्रमित महामारी के बिषय में अपने बुजुर्गों से कहानी के रूप में सुनते आ रहे है । लेकिन पहली बार कोरोना नामक संक्रमित महामारी से सापका पड़ा है। पूरा देश ही नहीं पूरा विश्व दहशत के साये में है। भारत में 21दिन तक कर्फ्यू लगा कर आवाम को घरों में कैद कर दिया गया है ताकि इस महामारी से बचाया जा सके। अब इस महामारी से निपटने के लिए कोई दवा का इजाद नहीं किया जा सका है जो बेहद चिन्तनीय है।
इस बिषय पर जनपद में पत्रकारिता के पितामह के रूप में विख्यात बरिष्ट पत्रकार पं. चन्द्रेश मिश्रा से बात करने पर उन्होंने बताया कि वर्ष 1940 से 50 के बीच प्लेग नामक महामारी का प्रकोप देश में फैला था अपने ही देश गुजरात से शुरू हुआ था । इस महामारी का प्रकोप पहले घरों में चूहों पर पड़ता था जब चूहे मरने लगते थे तब लोग गांव छोड़ कर बाहर खुले स्थानों बाग बगीचे में महीनों गुजारा करते थे । हैजा में भी यही स्थिति रहती थी। चेचक की बीमारी से ग्रसित लोगों को एक कमरे में रखा जाता था वहां घर का एक सदस्य साफ सुथरा हो कर जाता था । लेकिन लगभग 80वर्षों बाद आयी महामारी कोरोना में भिन्नता है इस महामारी से निपटने के लिए लोगों को घरों में कैद किया जा रहा है। सरकारी तंत्र को अपनी ताकत का उपयोग करना पड़ रहा है।
श्री मिश्रा से बात करने पर उन्होंने जानकारी दिया कि प्लेग हैजा तावन जैसी महामारी से निपटने के लिए किसी तरह की दवा नहीं थी केवल घरों से दूर रहना ही बचाव का एक मात्र रास्ता था उसी तरह कोरोना वायरस से पीड़ित मरीज के उपचार हेतु अब तक कोई दवा नहीं खोजी जा सकी है। सोशल डिस्टेन्सिंग ही एक मात्र बचाव के उपाय है। सायद इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रधानमंत्री ने देश को 21 दिनों तक के लिए लाक डाऊन करते हुए कर्फ्यू लगा दिया है।
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