ट्रंप की नई टैरिफ नीति का भारत पर कितना होगा असर? ये देश भी होंगे प्रभावित; चीन को लगा झटका



ट्रंप के अमेरिकी सत्ता में आने के बाद से लगातार कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इसमें सबसे अधिक चर्चा टैरिफ को लेकर की जा रही है। ट्रंप ने कई देशों में आयात पर अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा कर चुके हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया कि अगर ट्रंप रिवर्स टैरिफ लगाते हैं तो इसका सबसे अधिक भारत के साथ कोरिया और थाइलैंड पर देखने को मिलेगा।
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कार्यकाल में कई एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं को उच्च शुल्क का सामना करना पड़ सकता है। अगर ऐसा होता है तो इसका सबसे अधिक असर भारत, दक्षिण कोरिया और थाइलैंड पर होगा। दरअसल, रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट 'अमेरिकी व्यापार शुल्क से एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ने की संभावना' में कहा कि वियतनाम, ताइवान, थाइलैंड और दक्षिण कोरिया जैसी अर्थव्यवस्थाओं का अमेरिका के प्रति आर्थिक जोखिम अपेक्षाकृत अधिक है। इसका अर्थ है कि यदि शुल्क लगाया गया तो इनपर इसका सबसे बड़ा आर्थिक प्रभाव होगा।  
ट्रंप लगाएंगे जवाबी शुल्क
एसएंडपी ने कहा, 'भारत और जापान की अर्थव्यवस्थाएं घरेलू रूप से चालित हैं, जिससे इन शुल्क का असर उन पर कुछ कम होगा।' अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि वह भारत सहित अपने व्यापारिक साझेदारों पर जवाबी शुल्क लगाएंगे।

चीन पर पहले ही लगा है अतिरिक्त शुल्क

नया अमेरिकी प्रशासन पहले ही चीन से आयात पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत शुल्क और इस्पात तथा एल्युमिनियम पर 25 प्रतिशत शुल्क लागू कर चुका है।
एसएंडपी ने कहा, 'अनिश्चितता बहुत अधिक है, क्योंकि अमेरिकी प्रशासन ने साझेदार अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापार शुल्क लगाने में काफी बेबाकी दिखाई है। द्विपक्षीय वार्ता भी परिणामों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की कई अर्थव्यवस्थाएं इसके दायरे में हैं और आर्थिक गतिविधियों के लिए जोखिम मंडरा रहा है।'
कुछ देश अमेरिकी उत्पादों पर लगाते हैं काफी अधिक शुल्क
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र के कुछ देश अमेरिकी उत्पादों पर अमेरिका द्वारा उनके उत्पादों पर लगाए गए शुल्कों की तुलना में काफी अधिक शुल्क लगाते हैं। उन अर्थव्यवस्थाओं पर 'जवाबी शुल्क कार्रवाई' के लिए संभावित जांच की जाएगी।
इसने कहा, 'इस पर नजर रखना मुश्किल है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि अमेरिकी प्रशासन शुल्क की तुलना किस स्तर पर करेगा। परिणाम बहुत भिन्न हो सकते हैं, जो लागू किए गए विवरण के स्तर पर निर्भर करेगा।' अपनी रिपोर्ट में एसएंडपी ने एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिकी उत्पादों पर भारित औसत शुल्क दरों; उन्हीं अर्थव्यवस्थाओं से आयात पर अमेरिकी शुल्क तथा दोनों के बीच अंतर पर गौर किया।

Comments

Popular posts from this blog

*घड़ी में 7:00 बजते ही यूपी में बजेंगे सायरन, छा जाएगा अंधेरा.....*

*मौसम का दिखा महातांडव! आकाशीय बिजली गिरने से हुई महिला की दर्दनाक मौत ...*

*पीएम किसान योजना के तहत 5 मई से लेकर 31मई तक आयोजित किए जाएंगे कैंप*