जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार के संशोधन कानून पर राज्यपाल की मुहर


यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख को हटाने या उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर अखिलेश सरकार के निर्णय को योगी सरकार ने पलट दिया है। अखिलेश सरकार के फैसले के खिलाफ कैबिनेट में आए प्रस्ताव को योगी सरकार ने अध्यादेश के जरिये राज्यपाल को भेजा था। गुरुवार को राज्यपाल आनंदबेन पटेल ने इसे मंजूरी दे दी है।


उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत (संशोधन) अध्यादेश-2022 के अनुसार अब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख को हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत होना जरूरी होगा और निर्वाचन के दो साल बाद ही हटाया जा सकेगा।
उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम-1916 की धारा-15 में संशोधन किया गया है। इसमें उपधारा-11 में शब्द आधे से अधिक के स्थान पर अन्यून दो तिहाई कर दिया गया है। उपधारा-13 में शब्द एक वर्ष के स्थान पर दो वर्ष कर दिया गया है।

मौजूदा समय जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए न तो कोई समय सीमा है और न ही संख्या बल की स्थिति स्पष्ट है। इसके चलते मनमाने तरीके से इनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विवाद की स्थिति तो पैदा होती रहती है। इसके साथ ही विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं। इसीलिए उच्च स्तर पर सहमति बनने के बाद पंचायती राज विभाग ने इसके लिए समय सीमा तय कराने संबंधी प्रस्ताव कैबिनेट से मंजूरी के लिए भेजा था।

अखिलेश सरकार के दौरान वर्ष 2016 में भी इसके लिए उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक के प्रारूप को पास करते हुए राज्यपाल को मंजूरी के लिए भेजा गया था, लेकिन तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने कुछ माह रखने के बाद वर्ष 2017 में इसे वापस कर दिया था।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में पिछले दिनों हुई कैबिनेट बैठक में सरकार ने इसके लिए उप्र क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम, 1961 की धारा-15 और 18 में संशोधन करने का निर्णय किया था। इसके साथ ही कैबिनेट ने अखिलेश सरकार के कार्यकाल में विधानमंडल से पारित हुए उप्र क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत (संशोधन) विधेयक-2016 को वापस लेने का निर्णय भी किया था। उत्तर प्रदेश क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 15 व धारा 28 में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट से पास कराया गया था।


अब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लाक प्रमुखों के खिलाफ दो साल से पहले आने वाले अविश्वास प्रस्ताव को अवैध माना जाएगा। अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पहले दो तिहाई बहुत की स्थिति पहले स्पष्ट करनी होगी। इसके बाद ही अविश्वास प्रस्ताव पर विचार होगा

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