पूर्वांचल का एक ऐसा गांव जहां की 24 बेटियों ने नेशनल स्तर पर बिखेर चुकी है अपना जलवा

परमानंदपुर की पहचान खिलाड़ियों के गांव के रूप में है। यहां की 24 बेटियां हैंडबॉल में नेशनल खेल चुकी हैं। ये सभी एक ही संस्थान की हैं और ज्यादातर के पिता मजदूर और किसान हैं। इनमें सभी ने हैंडबॉल के तीनों फॉर्मेट सब जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्ग के मुकाबलों में अपनी बादशाहत कायम की है।
परमांनदपुर गांव के मैदान से अभ्यास करके अब तक 10 बालिकाएं राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं। इस वर्ष कुछ बालिकाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता में खेलेंगी। जनपद मुख्यालय से आठ किलोमीटर दूर स्थित परमानंदपुर गांव के ज्यादातर लोग किसान और मजदूर हैं। 
खेल के प्रति रुझान के कारण परिजन अपने बच्चों को इस क्षेत्र में आगे बढ़ा रहे हैं। यूपी व जिला हैंडबॉल संघ की मदद से वाराणसी में हैंडबाल की शुरुआत 2021 में 10 बालिकाओं से हुई। एक वर्ष बाद वाराणसी मंडल के क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी आरपी सिंह ने बालिकाओं को हैंडबॉल का प्रशिक्षण देना शुरू किया। धीरे-धीरे गांव की बालिकाओं ने इस खेल में रुचि लेना शुरू कर दिया।
इसी साल गांव की तीन बालिकाओं का चयन उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या में संचालित खेल छात्रावास में हुआ है। फिलहाल गांव के मैदान में 55 बालिकाएं हैंडबॉल का प्रशिक्षण ले रहीं है। गांव की रेशमा यादव, प्रीति यादव, नैना यादव, सुमन यादव, उषा प्रजापति, कोमल पटेल, शिवांगी पांडेय, प्रीति पटेल व काजल पटेल राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेल चुकी हैं।
साल 2023 में हैंडबॉल में यहां की बालिकाओं ने प्रदेश में अपना नाम कमाया। जौनपुर में आयोजित प्रतियोगिता में वाराणसी मंडल की टीम अयोध्या मंडल को पराजित कर प्रदेश में चैंपियन बनी, इसमें परमानंदपुर की बेटियों का अहम स्थान रहा। इसी साल हरियाणा में आयोजित खेलो इंडिया में यहां की दो बालिकाओं का चयन उत्तर प्रदेश की टीम में हुआ। इसी प्रकार फरवरी 2024 में लखनऊ में आयोजित प्रतियोगिता में वाराणसी मंडल ने लखनऊ को मात देकर सब जूनियर वर्ग में खिताब जीता। मार्च 2024 में मुरादाबाद में गोरखपुर को पराजित कर खिताब जीता। दोनों में परमानंदपुर की बेटियों की धमक बरकरार रही।
क्या बोलीं बेटियां
पहले खेलने पर डांट सुननी पड़ती थी। अब पदक जीतने के बाद पापा भी खेल पर ध्यान देने के लिए कहते हैं। कोच अच्छा सिखा रहे हैं। -नैना यादव, हैंडबॉल खिलाड़ी।
मेरे परिवार से पहले खेल के क्षेत्र में कोई नहीं था। घर वालों ने सपोर्ट किया तो अब उपलब्धि मिली। आगे भी बेहतर करूंगी। -सुमन यादव, हैंडबाॅल खिलाड़ी।
हैंडबॉल में बेहतर प्रदर्शन के लिए मुझे प्रदेश सरकार ने एकलव्य पुरस्कार दिया है। इसमें 90 हजार रुपये और प्रमाणपत्र शामिल है। आगे भारतीय टीम में शामिल होने का प्रयास करूंगी। -रेशमा यादव, हैंडबॉल खिलाड़ी।
शुरू में काफी मेहनत करनी पड़ी। टीम से तालमेल बनने के बाद कई कामयाबियां मिलीं। आगे भारतीय टीम का हिस्सा बनने की कोशिश करूंगी। -प्रीति, हैंडबॉल खिलाड़ी।
परमानंदपुर गांव की बालिकाओं में बेहतर करने की ललक है। कई सफलता हासिल कर चुकी हैं। आगे भी बेहतर करेंगी। उन्हें जरूरत की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। -डॉ एके सिंह, उपाध्यक्ष, यूपी हैंडबॉल संघ

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