*अधिकारी का उतारा तेवर सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर को तहसीलदार बनाने का दिया आदेश, जाने क्या है मामला??*
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत के आदेशों की अवहेलना कानून के शासन की बुनियाद पर हमला है. उसने आंध्र प्रदेश सरकार को एक डिप्टी कलेक्टर को तहसीलदार के पद पर पदावनत करने का निर्देश दिया. अधिकारी ने उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की अवहेलना की थी. जनवरी 2014 में गुंटूर जिले में जबरन झोपड़ियों को हटा दिया था।
मामले की सुनवाई जस्टिस बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने की. पीठ ने कहा, हम नरम रुख अपनाते हैं, लेकिन सभी को यह संदेश दिया जाना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है. न्यायमूर्ति गवई ने कहा, "हम चाहते हैं कि पूरे देश में यह संदेश जाए कि कोई भी अदालत के आदेश की अवहेलना बर्दाश्त नहीं करेगा।"
पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश की पुष्टि की, जिसमें उन्हें अपने आदेश की "जानबूझकर और पूर्ण अवज्ञा" के लिए दोषी ठहराया था. लेकिन अधिकारी को दो महीने के कारावास की सजा सुनाने वाले उच्च न्यायालय के आदेश को संशोधित कर दिया. पीठ ने कहा, "हम सजा में और संशोधन करते हैं और याचिकाकर्ता को उसकी सेवा के पदानुक्रम में एक स्तर नीचे करने की सजा सुनाई जाती है।"
पीठ ने आंध्र प्रदेश सरकार को याचिकाकर्ता को तहसीलदार के पद पर पदावनत करने का निर्देश दिया. साथ ही अधिकारी को एक लाख रुपए का जुर्माना भरने का भी निर्देश दिया. पीठ ने यह आदेश अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर पारित किया, जिसमें उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसने अवमानना कार्रवाई के खिलाफ उनकी अपील को खारिज कर दिया था.
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसमें अधिकारी को उसके आदेश की अवज्ञा के लिए दो महीने के कारावास की सजा सुनाई गई थी. एकल न्यायाधीश का आदेश उन याचिकाओं पर आया था, जिनमें आरोप लगाया गया था कि अधिकारी, जो उस समय तहसीलदार थे, ने 11 दिसंबर, 2013 के निर्देश के बावजूद जनवरी 2014 में गुंटूर जिले में जबरन झोपड़ियां हटाईं।
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