दरगाह का फाटक खुलते ही उमड़ा जायरीनों का सैलाब
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इमामपुर बाजार से गौसपुर दरगाह तक रास्ता खराब होने से हुई परेशानी
पूरा गौसपुर रास्ता हुआ तालाब, जायरीनों ने मजबूर होकर किया दर्शन
खुटहन, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के गौसपीर दरबार का फाटक शुक्रवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर खुलते ही मस्जिद में मत्था टेकने के लिए जायरीनों का सैलाब उमड़ पड़ा। इसी के साथ यहाँ का सालाना उर्स (मेला) भी शुरू हो गया। मस्जिद के भीतर पहुँचे जायरीनों कलश में रखा गुसुल का पानी लेने के लिए बेताब दिखे।
मान्यता है कि पानी पीने और शरीर पर छिड़क लेने मात्र से प्रेती बाधा सहित शारीरिक रोगों का निवारण हो जाता हैं। यह उर्स प्रत्येक वर्ष रवि उस्मानी की 11वें से शुरू होकर 17 दिनों तक चलता हैं। इसमें देश के विभिन्न प्रान्तों से हजारों जायरीन मत्था टेकने आते हैं। थानाध्यक्ष चन्दन राय ने बताया कि अराजक तत्वों पर विशेष नजर रहेगी तथा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल की व्यवस्था मौजूद रहेगी।
जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किमी पश्चिम गौसपुर गाँव स्थित दरगाह के बिषय में कहावत है कि इजारत शाह नगीना दोनों भाई लगभग 8 सौ वर्ष पूर्व इजारत के बगदाद शरीफ गये थे जहाँ से उन दोनों ने एक ईंट लाया था। गौसपीर में रात्रि विश्राम के बाद उन्हें स्वप्न में बरसात हुई कि ईंट को इसी जगह एक रौजा की तामीर करके नस्ब कर दिया जाय, ताकि इस जमीन पर भी बगदाद शरीफ की तरह गौसपाक फैज का चश्मा जारी रहे।
यही पाक ईंट दरगाह की गुंबद के स्थित छोटे से कुब्बे में नश्ब है जहां जायरीन मत्था टेककर मिन्नतें मुरादें करते हैं। दरगाह के द्वार के दक्षिण तरफ शाह मोहम्मद और शाह नगीना की मजार बनी है। यहां भी लोग चादर चढ़ाते हैं। दरगाह पर प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को अकीदत मंद पहुंचते हैं लेकिन जिला विकास विभाग, जिला पंचायत, विभाग पीडब्ल्यूडी विभाग के लापरवाही के कारण इमामपुर बाजार से गौसपुर दरगाह तक रास्ता खराब होने से जायरीनों को बहुत हुई परेशानी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, लगभग गौसपुर के दरगाह तक पहुंचने वाला सभी रास्ता तालाब में तब्दील होता दिख रहा था
खुटहन, जौनपुर। स्थानीय क्षेत्र के गौसपीर दरबार का फाटक शुक्रवार की रात 11 बजकर 11 मिनट पर खुलते ही मस्जिद में मत्था टेकने के लिए जायरीनों का सैलाब उमड़ पड़ा। इसी के साथ यहाँ का सालाना उर्स (मेला) भी शुरू हो गया। मस्जिद के भीतर पहुँचे जायरीनों कलश में रखा गुसुल का पानी लेने के लिए बेताब दिखे।
मान्यता है कि पानी पीने और शरीर पर छिड़क लेने मात्र से प्रेती बाधा सहित शारीरिक रोगों का निवारण हो जाता हैं। यह उर्स प्रत्येक वर्ष रवि उस्मानी की 11वें से शुरू होकर 17 दिनों तक चलता हैं। इसमें देश के विभिन्न प्रान्तों से हजारों जायरीन मत्था टेकने आते हैं। थानाध्यक्ष चन्दन राय ने बताया कि अराजक तत्वों पर विशेष नजर रहेगी तथा भीड़ को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल की व्यवस्था मौजूद रहेगी।
जनपद मुख्यालय से लगभग 30 किमी पश्चिम गौसपुर गाँव स्थित दरगाह के बिषय में कहावत है कि इजारत शाह नगीना दोनों भाई लगभग 8 सौ वर्ष पूर्व इजारत के बगदाद शरीफ गये थे जहाँ से उन दोनों ने एक ईंट लाया था। गौसपीर में रात्रि विश्राम के बाद उन्हें स्वप्न में बरसात हुई कि ईंट को इसी जगह एक रौजा की तामीर करके नस्ब कर दिया जाय, ताकि इस जमीन पर भी बगदाद शरीफ की तरह गौसपाक फैज का चश्मा जारी रहे।
यही पाक ईंट दरगाह की गुंबद के स्थित छोटे से कुब्बे में नश्ब है जहां जायरीन मत्था टेककर मिन्नतें मुरादें करते हैं। दरगाह के द्वार के दक्षिण तरफ शाह मोहम्मद और शाह नगीना की मजार बनी है। यहां भी लोग चादर चढ़ाते हैं। दरगाह पर प्रत्येक सप्ताह गुरुवार को अकीदत मंद पहुंचते हैं लेकिन जिला विकास विभाग, जिला पंचायत, विभाग पीडब्ल्यूडी विभाग के लापरवाही के कारण इमामपुर बाजार से गौसपुर दरगाह तक रास्ता खराब होने से जायरीनों को बहुत हुई परेशानी का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं, लगभग गौसपुर के दरगाह तक पहुंचने वाला सभी रास्ता तालाब में तब्दील होता दिख रहा था
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