भारत बन्द आन्दोलन को बिफल करने में जुटा सरकारी तंत्र,राजनैतिक दलों के नेताओं पर पुलिस का पहरा

 
आज किसान संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है। किसानों के बुलाये गये बंद का 11 राजनीतिक दलों ने समर्थन किया है।
भारत बंद को देखते हुए गृह मंत्रालय ने पहले ही राज्यों को एडवाइजरी जारी कर किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए थे।
इसी कड़ी में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अधिकारियों को निर्देश दिया है कि भारत बंद के नाम पर किसी को भी कानून हाथ में न लेने दिया जाये। अगर कोई जानबूझकर ऐसा करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ सख्ती से निपटा जाए।
सीएम योगी के निर्देश के बाद पुलिस कार्रवाई भी शुरू हो गई है। राजधानी लखनऊ में पुलिस ने किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र तिवारी को हिरासत में ले लिया।
कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका में पुलिस ने उन्हें उनके ऑफिस से हिरासत में लिया। उधर, वाराणसी में भी भारत बंद के दौरान माहौल बिगड़ने की आशंका को देखते हुए दर्जन भर से ज्यादा समाजवादी पार्टी के नेताओं को उनके घर में ही नजरबंद किया गया है। उनके घरों के बाहर पुलिस ने डेरा डाल दिया है।
प्रयागराज में किसानों के समर्थन में विपक्षी पार्टियों का प्रदर्शन शुरू हो गया है। सपा कार्यकर्ताओं ने प्रयागराज स्टेशन के आउटर पर बुंदेलखंड एक्सप्रेस ट्रेन को रोक दिया।
ग्वालियर से मडुवाडीह जाने वाली ट्रेन को भी बीच रास्ते में रोक दिया। सपा कार्यकर्ताओं ट्रेन के इंजन पर चढ़कर प्रदर्शन किया और कृषि बिल वापस लिए जाने की मांग की।
मौके पर जिला और रेलवे पुलिस मौजूद है। इस बीच सपा कार्यकर्ताओं और पुलिस में झड़प भी हुई। पुलिस द्वारा सपा कार्यकर्ताओं को हटाने के बाद ट्रेन रवाना की गई।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के गृह जिले इटावा में सुबह-सुबह ही सपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और जबरन दुकानों को बंद करवाना शुरू करवा दिया। इटावा में सुबह से ही भारत बंद का व्यापक असर की खबर है।
जौनपुर में भारत बन्द का असर दिखा ग्रामीण क्षेत्र की मंडियोंमें काम नहीं हुआ जबकि शहरी इलाकों में किसान संगठनों के आह्वान का असर व्यापारियों के उपर न के बराबर दिखा है। प्रशासनिक अधिकारी एवं पुलिस बल के लोग सपा के पदाधिकारियों के घरों पर सुबह से दबिशें देकर उन्हें उनके घरों पर रोकने का काम किया है। साथ ही जिले में धारा 144 लगा कर आन्दोलन को कमजोर करने का सरकारी प्रयास किया गया है। हलांकि की शहर की मंडियों में सुरक्षा व्यवस्था के बीच निर्बाध रूप से काम किया गया था ।
किसानों के साथ खड़े होने का दावा करने वाले राजनैतिक दलों के लोगों द्वारा भारत बन्द के तहत सड़क पर न नजर आने पर आम जनता राजनैतिक दलों के प्रति सवाल खड़े करने लगे हैं। 

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