*ऑनलाइन गेमिंग विधेयक 2025: इनोवेशन की बढ़ावा और नागरिकों की सुरक्षा, लोकसभा में हुआ पास*



इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि पैसे से जुड़ा ऑनलाइन गेम एक गंभीर सामाजिक और जन स्वास्थ्य समस्या बन गया है और इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। वैष्णव ने बुधवार को लोकसभा में पैसे से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम पर प्रतिबंध लगाने वाले विधेयक को पारित करने के बाद कहा कि प्रस्तावित कानून ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देगा और भारत को ऐसे गेम के विकास का केंद्र बनाएगा।

लोकसभा ने पैसे से खेले जाने वाले ऑनलाइन गेम के संचालन, खेल की सुविधा देने और विज्ञापन पर प्रतिबंध लगाने वाले ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन और विनियमन विधेयक को पारित कर दिया है। सरकार ऐसे ऐप के जरिए बढ़ती लत, धन शोधन और वित्तीय धोखाधड़ी की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए कदम उठा रही है।

वैष्णव ने बताया, "हमारा प्रयास ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग, ऑनलाइन सोशल गेमिंग को बढ़ावा देना है और हम चाहते हैं कि भारत एक गेमिंग विकास का केंद्र बने। इसके लिए पहले से ही कई प्रयास किए जा रहे हैं।"

मंत्री ने कहा कि जहां तक डिजिटल तकनीक का सवाल है, ऑनलाइन गेमिंग तीन मुख्य क्षेत्रों के साथ एक ‘प्रमुख क्षेत्र’ के रूप में उभरा है।

उन्होंने कहा, "दो सेक्टर, ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेमिंग, समाज के लिए अच्छे हैं। हम तीन में से दो सेक्टर को बढ़ावा दे रहे हैं... इन दोनों को कानूनी मान्यता मिलेगी और इनका प्रचार किया जाएगा। यह विधेयक एक प्राधिकरण बनाएगा जो मूल रूप से ई-स्पोर्ट्स और ऑनलाइन सोशल गेमिंग को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम और योजनाएं बनाएगा।"

मंत्री ने कहा कि तीसरा सेक्टर, पैसे से जुड़ा ऑनलाइन गेम है, जो समाज को नुकसान पहुंचा रहा है और यह एक प्रमुख सामाजिक और सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभरा है।

वैष्णव ने कहा, ‘‘यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी ऑनलाइन गेम खेलने की लत और उसके दुष्प्रभाव को लेकर एक नई बीमारी ‘गेमिंग डिस्ऑर्डर’ को वर्गीकृत किया है, जो चिंता, अवसाद, नींद की समस्या, सामाजिक अलगाव और तनाव का कारण बनती है।’’

मंत्री ने कहा, ‘‘यह मनोवैज्ञानिक संकट और पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में गंभीर व्यवधान पैदा करता है। हमने देखा है कि पैसे से खेले जाने वाला ऑनलाइन गेम की लत के कारण मध्यम वर्ग के परिवारों को अपनी पूरी जीवन भर की बचत गंवानी पड़ी है। आत्महत्या के मामले भी सामने आए हैं।’’


*विधेयक में क्या-क्या है?*

ई-स्पोर्ट्स को आधिकारिक खेल का दर्जा मिलेगा।

सुरक्षित और बच्चों के लिए उपयुक्त गेम्स को सरकार बढ़ावा देगी।

ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी (पोकर, रम्मी, लॉटरी आदि) पूरी तरह बैन।

ऐसे गेम्स के विज्ञापन और प्रचार पर रोक।

बैंक और पेमेंट ऐप्स को ऐसे ट्रांजैक्शन करने की अनुमति नहीं।

सरकार गैरकानूनी गेमिंग साइट्स को ब्लॉक कर सकती है।

राष्ट्रीय स्तर पर एक प्राधिकरण बनेगा।
यह तय करेगा कौन सा गेम सुरक्षित है और कौन मनी गेम है।

शिकायतों का समाधान करेगा और नियम बनाएगा।

ऑनलाइन जुआ या सट्टा चलाने पर: 3 साल की जेल या 1 करोड़ जुर्माना।
विज्ञापन करने पर: 2 साल की जेल या 50 लाख जुर्माना।

पैसों से जुड़े लेन-देन पर: 3 साल की जेल या 1 करोड़ जुर्माना।

बार-बार गलती पर सज़ा और जुर्माना और भी ज्यादा होगा।

ये अपराध गंभीर और गैर-जमानती होंगे।

विधेयक में कहा गया कि कंपनियां और उनके अफसर गलत गेमिंग प्लेटफॉर्म चलाते पाए गए तो वे जिम्मेदार होंगे। लेकिन जिन निदेशकों का इसमें हाथ नहीं होगा, उन्हें सजा नहीं मिलेगी। सरकार और नियामक एजेंसियां सख्ती से जांच करेंगी और कानून लागू करेंगी।

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