निष्पक्ष जांच के लिये अधिकारीयो को सिन्डीकेट तोड़ना होगा, पटल पर रहते जांच प्रभावित कर सकता है



जौनपुर। जौनपुर के विकास भवन में आकंठ भ्रष्टाचार में गोते लगा रहे हैं बाबुओं के सिन्डीकेट  द्वारा लूट पाट के एक नहीं मामलों की परतें अब खुलने लगी है।  सफाईकर्मियों के पेरोल,एसीपी, जीपीएफ  तथा नियमविरुद्ध मनमाने स्थानान्तरण अन्य पंचायतकर्मियों के साथ ही साथ ग्राम प्रधानों का जाँच के नाम पर गत 3-4 वर्षों से लगातार शोषण कर उच्चाधिकारियों के नाक के नीचे लाखों रुपए का वारा-न्यारा किया जाता रहा है। निष्पक्ष जांच के लिए इस सिन्डीकेट को तोड़ना बहुत जरूरी है। 
यहाँ पर मची  लूटपाट के मुख्य सूत्रधार सीडीओ के स्टेनों सतीश चंद्र के रसूख के आगे बुरी तरह नतमस्तक सफाईकर्मियों में से कई द्वाराअपना नाम नहीं छापने की शर्त पर इस लूटपाट की पूरी योजना के बारे में विस्तार से बताया गया कि सीडीओ  के स्टेनों  बहुत दिन से पंचायत विभाग पर अपना सिक्का जमाकर शोषण करने का षडयंत्र रचा जा रहा था। बराबर पंचायत विभाग के मूल कर्मचारियों को सीडीओ  के स्टेनों होने का धौंस देकर उलजुलूल स्थानान्तरण करने का दबाव बनाया जाता था, शोषण से आजिज आकर प्रकरण संगठन के संज्ञान में लाने पर जिम्मेदार पदाधिकारियों द्वारा वस्तुस्थिति से तत्कालीन सीडीओ प्रकाशचन्द्र श्रीवास्तव को अवगत कराने पर उनके द्वारा अपने स्टेनो सतीशचंद्र को बुरी तरह लताड़ते हुए भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति नहीं करने की कठोर चेतावनी दी गई थी,
 किंतु कुछ ही दिनों बाद फिर स्टेनों की गम्भीर शिकायतें पाए जाने पर   इन्हें स्टेनों के मुख्य कार्य से मौखिक रूप से पृथक कर सिर्फ डाक इंडोर्समेंट का महत्वहीन कार्य कराया जाता था।यही स्थिति जब तक शीतला प्रसाद श्रीवास्तव जौनपुर में तैनात रहे ।किंतु श्री प्रसाद के स्थानांतरण के उपरांत जुलाई,2017में आलोक सिंह के सीडीओ बने उनको ज्वाइन करते ही सतीश कुमार को अपने खतरनाक मंसूबों को साकार करने का सुअवसर प्राप्त हो गया,अपने चहेते डीडीओ ऑफिस के राजीव कुमार(रोशन)को साजिश के तहत पँचायत विभाग में लूटपाट को अंजाम देने के लिए नियुक्त करा लिया और रोशन बाबू द्वारा सतीश कुमार के संरक्षण में पँचायत विभाग को निचोड़ने का कार्य बखूबी अंजाम दिया जाने लगा।
हालात इस कदर बदतर हो गए कि 2017 में पूरे जिले के सफाईकर्मियों एवं ग्राम्य विकास अधिकारी/ग्राम पंचायत अधिकारियों के एक साथ काल्पनिक स्थानान्तरण सूची जिसमें कार्यरत कर्मचारियों को दूरस्थ स्थानान्तरण का भय दिखाकर 21विकास खण्डों में एडीओ पँचायत के माध्यम से  लाखों रुपए का धनोपार्जन किया गया उसके बाद उस काल्पनिक स्थानान्तरण सूची जिस पर किसी भी सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर नहीं थे फाड़ कर फेंक दिए गए। लाखों रुपये की लूट करने के बाद हौंसला बुलंद सतीश कुमार और रोशन बाबू की जुगलजोड़ी द्वारा मई, 2017 में फिर लगभग 58 ग्राम पंचायत एवं 60 ग्राम विकास में  कर्मचारियों के स्थानांतरण का खेल खेला गया जिसमें भारी धन उगाही करते हुए 10-15वर्ष से एक ही विकास खण्ड पर कार्यरत कर्मचारियों को जानबूझकर छोड़ते हुए नए कर्मचारियों को जिन्होंने पैसा कम दिया था दूरस्थ स्थानान्तरण कर दिया गया,इस लूटपाट को बहुत ही गोपनीय तरीके से रोशन बाबू के आवास पर ही पत्रावली बनाकर अंजाम दिया गया जिससे पूरे जिले में हड़कम्प मच गया और इस लूटपाट की जानकारी तात्कालीन जिलाधिकारी डॉ0बलकार सिंह को होने पर उन्होंने तात्कालीन सीडीओ और डीपीआरओ को बुरी तरह लताड़ा था,और रोशन बाबू को तलब भी किया किंतु इसी बीच डॉ0 बलकार सिंह का ट्रांसफर हो जाने के कारण सतीश कुमार और रोशन की जुगलबंदी दण्डित होने से बच गई और फिर सीडीओ आलोक सिंह की सरपरस्ती में दोनों की लूट  भलीभांति फलती फूलती रही। 
इसी बीच सतीश कुमार ने रोशन का ट्रांसफर सीडीओ से कह कर डीडीओ ऑफिस के स्था0-1पर करवाते हुए रोशन के स्थान सुजीत कुमार की तैनाती करा दिया  और पँचायत विभाग में लूटपाट का कार्यक्रम बदस्तूर जारी रखा।सतीश कुमार के रसूख और हनक के आगे तत्कालीन ज़िला पंचायत राज अधिकारी भी बौने एवं असहाय हो गए थे।अगस्त,2018 में तात्कालीन सीडीओ आलोक सिंह का ट्रांसफर हो गया और इस पद पर आकंठ भ्रष्टाचारी गौरव वर्मा आ गये । गौरव वर्मा को दुधारू गाय पँचायत विभाग के बारे में स्टेनों द्वारा जानकारी दी गई कि कैसे पँचायत विभाग से बड़े आसानी से लाखों रुपये कमाए जा सकते हैं। गौरव वर्मा का ग्रीन सिगनल मिलते ही उनके  सरपरस्ती में सतीश कुमार, रोशन बाबू और सुजीत कुमार के सिन्डीकेट ने दोनों हाथों से पँचायत विभाग को लूटने का अभियान शुरू कर दिया एक साजिश के तहत सफाई कर्मियों के स्थानान्तरण का अधिकार डीपीआरओ से छीन लिया गया और स्टेनों सतीश कुमार द्वारा मनमाने तरीके से पूरे जिले के सफाईकर्मियों और जाँच का पटल अपने चहेते और मोहरे सुजीत कुमार को आवंटित करा दिया गया सीडीओ खुद अपने हस्ताक्षर से सफाई कर्मियों का तवादला करने लगे इसमें स्टोनो के माध्यम से मोटी कमाई शुरू कर दिया गया था। पूर्व में जिलाधिकारी के आदेश से जिले के सभी तहसीलो के सफाई कर्मियों की जांच तहसील स्तर पर देखा जाता रहा लूट पाट के लिए 6 बाबुओं का कार्य सुजीत  को आवंटित कर दिया गया।  विभाग के वरिष्ठ और योग्य लिपिकों को दरकिनार कर पूरे जिले की जाँच और पूरे जिले के सफाईकर्मियों के स्थापना का पटल सुजीत कुमार को आवंटित कराकर पँचायत विभाग का पूरा नियंत्रण सतीश कुमार और रोशन बाबू  अपने हाथों में ले लिया । पँचायत विभाग की समस्त पत्रावलियां स्टेनों और रोशन बाबू के इशारे के बगैर आगे नहीं बढ़ती है।
अब सतीश कुमार, राजीव कुमार(रोशन)और सुजीत कुमार की दुरभिसंधि से सफाईकर्मियों, ग्राम पंचायत अधिकारियों का शोषण और बढ़ गया, यहाँ तक कि सफाईकर्मियों/पंचायतकर्मियों का ट्रांसफर आदेश शासनादेश के विपरीत स्टेनों द्वारा रोशन बाबू के माध्यम से तैयार कराकर सीडीओ के कैम्प कार्यालय में मंगाकर जन019 से फर019 के दौरान करीब 500 से अधिक सफाई कर्मियों का ट्रांसफर सतीश कुमार और रोशन बाबू द्वारा सीडीओ के हस्ताक्षर से जारी कराकर सफाई कर्मियों से लाखों रुपये की वसूली की गयी। सफाईकर्मियोे के नियमविरुद्ध ट्रांसफर का कराए जाने का प्रकरण जब तूल पकड़ा तो पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। कुछ पँचायत कर्मी इस प्रकरण को लेकर मा0उच्च न्यायालय में वाद भी दायर कर दिए जिससे पूरे प्रदेश में किरकिरी हुई

इधर मामला संज्ञान में आने पर जिलाधिकारी ने जांच का आदेश दिया है। पँचायत विभाग के विश्वनीय सूत्र और सफाई कर्मियों में इस बात की चर्चा है कि पँचायत विभाग में लूटपाट के सूत्रधार  स्टेनों सतीश कुमार, स्थापना बाबू राजीव कुमार(रोशन)और पूरे जिले के सफाईकर्मियों के स्थापना और पूरे जिले की ग्राम प्रधानों की जाँच जैसी महत्वपूर्ण महत्वपूर्ण पटलों का अकेले संचालन कर रहे स्टेनों और रोशन के मोहरे सुजीत कुमार को अपने अपने पदों से हटाते हुए निष्पक्ष जाँच की जाय तभी न्याय होगा अन्यथा यह सब प्रभावी पद पर रहते हुए जाँच को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं और प्रभावित होने की प्रबल संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

Comments

  1. पत्रकार महोदय, किसी भी अधिकारी ( गौरव वर्मा) पर बिना कोई सबूत के सीधा आरोप लगाना गैरकानूनी होता है। कही आप खुद द्वारा पूर्व में की गई 65 लाख की टिप्पणी का साक्ष्य देने में असमर्थ तो नहीं।
    जांच का परिणाम आने से पूर्व ही उसपे सवाल खड़े करना, जिले के वरिष्ठतम अधिकारी की कार्यशैली पर हमला है ।
    कृपया, देश के सर्वोच्च परीक्षा से नियुक्त हुए अधिकारियों पे सवाल उठाने से पूर्व खुद का इतिहास देख लें।

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  2. ये बहुत ही हास्यास्पद है कपिल देव भैया । आप के अनुसार तो पूरा का पूरा जिला एक स्टनो और दो बाबू द्वारा संचालित किया जाता है। आप जिन सूत्रों पे यकीन कर रहे हैं एक बार उन्हें भी जांच ले कही वो अपने फ़ायदे के चक्कर में आप का इस्तेमाल तो नहीं कर रहे।

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