हत्या का आरोपी समीक्षा अधिकारी गिरफ्तार, गया सलाखों के पीछे


लखनऊ: राजधानी के चर्चित ठेकेदार की हत्या के मामले में फरार चल रहा समीक्षा अधिकारी अजय यादव पुलिस के हत्थे चढ गया है। देर रात पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर लिया। पीजीआई थाने की पुलिस ने शुक्रवार रात सेक्शन अफसर (वित्त विभाग) अजय यादव को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस को यहां फर्जी कागज समेत बड़ी मात्रा में बेरोजगारों को लजाल में फंसाने के दस्तावेज मिले।
गौरतलब है कि राजधानी लखनऊ के पीजीआई थाना क्षेत्र के सेक्टर 14 स्थित बरौली क्रॉसिंग के पास बुधवार को दिन दहाड़े गोरखपुर के हिस्ट्रीशीटर दुर्गेश यादव की हत्या कर दी गई थी। इसका पीडियो भी वायरल हो चुका है। मृतक दुर्गेश मूल रूप से गोरखपुर के मठ भताड़ी उरुवा बाजार निवासी उमाकांत यादव का पुत्र था। वह गोरखपुर से मंगलवार को लखनऊ आया था और सचिवालय में सेक्शन अधिकारी अजय कुमार यादव के वृंदावन कॉलोनी स्थित मकान में किराये पर रह रहे दोस्त के साथ ठहरा था। 
हत्या से पहले हमलावरों ने दुर्गेश को कमरे में बंदकर जमकर पीटा था।
पुलिस ने बताया कि दुर्गेश यादव गोरखपुर के उरुवा बाजार थाने का हिस्ट्रीशीटर था। उसके खिलाफ खिलाफ लूट, रंगदारी, फर्जीवाड़े के 8 मुकदमे गोरखपुर में दर्ज थे। यह पूरा कांड अजय यादव के घर पर ही हुआ था। सेक्शन ऑफिसर अजय यादव के मकान पर असलहों से लैस बदमाशों ने प्रॉपर्टी डीलर दुर्गेश यादव (35) की गोली मारकर हत्या कर दी। बदमाश एसयूवी से आए थे। बदमाशों ने यहां पहले दुर्गेश के साथियों को एक कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद दुर्गेश की पिटाई शुरू कर दी। दुर्गेश बचकर भागने लगा तो गेट के पास बदमाशों ने उसे गोली मार दी। दुर्गेश के दोस्त मानवेंद्र यादव ने पलक ठाकुर समेत छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
वृंदावन कालोनी स्थित मकान में उसका एक कमरा रिजर्व था। जांच के सिलसिले में जब पुलिस इस हत्याकांड की जांच के लिए पहुंची तो वहां
हर जगह खून बिखरा था। इससे साफ हो रहा था कि दुर्गेश और आरोपियों में मारपीट हुई थी। कमरे की तलाशी ली गई तो भारी मात्रा में फर्जी मार्कशीट और अन्य दस्तावेज बरामद मिले। सचिवालय से जुड़े हुए भी कई कागजात और मुहर पुलिस को मौके से मिली थी।
पुलिस के मुताबिक दुर्गेश की हत्या रुपयों के लेनदेन में हुई है। दुर्गेश ने र्कई लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर पलक ठाकुर और मनीष यादव से काफी रुपये ऐंठे थे। पूछताछ में सामने आया कि पलक ठाकुर का ही अकेले 22 लाख रुपये का लेनदेन था।

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