जौनपुर : क्षेत्र की शान ‘लक्ष्मी’ हाथी को नम आंखों से दी विदाई
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार लक्ष्मी के अंतिम दर्शन और विदाई के समय सैकड़ों लोग एकत्र हुए। सभी की आंखें नम थीं और माहौल गमगीन था। हिमताज परिवार के लिए यह क्षति अपूरणीय है, क्योंकि लक्ष्मी उनके परिवार का अभिन्न हिस्सा थी। स्थानीय लोगों का कहना है कि साथ परिवार के वरिष्ठ सदस्य रहे ओम नारायण पांडेय ने 1980 में इस हाथी को अपने घर लाये थे, उस समय यह बिल्कुल बच्चा और छोटी थी, उसका नाम लक्ष्मी रखा गया। लक्ष्मी केवल एक हाथी नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की पहचान बन चुकी थी। वह सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में आकर्षण का केंद्र रहती थी। आज से लगभग 30 वर्ष पूर्व यह हाथी लक्ष्मी चोरी हो गई थी, जिसे चित्रकूट धाम मंडल के अतर्रा में बरामद किया गया, तो वहां के पुलिस अधिकारियों ने ओम नारायण पांडेय से कहा कि कैसे साबित होगा कि हाथी आपकी है, तो श्री पांडेय ने उस समय वहां के पुलिस अधिकारियों से कहा कि आप हाथी को पीछे छुपा दीजिए, मैं उसे नाम लेकर बुलाऊंगा, यदि वह बोल देगी तो आप जान जाएगा कि हाथी मेरा है और नहीं तो दूसरे का। हाथी को एक दीवाल के पीछे खड़ा किया गया और ओम नारायण पांडेय ने उसका नाम लेकर पुकारा की लक्ष्मी कहां हो इतना सुनते ही हाथी लक्ष्मी जोर से दहाड़ मारी, फिर उन्होंने कहा कि आओ मैं आ गया हूं उनकी आवाज सुनकर वह वहां से चल दी और उनके पास आकर के उन्हें प्यार से सूंड में लपेटकर अपने ऊपर बैठा लिया, यह देखकर वहां के पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वास्तव में लक्ष्मी इन्हीं की हाथी है तो इन्हें सौंप दिया। उसकी मृत्यु का समाचार फैलते ही आसपास के गांवों से भी लोग अंतिम विदाई देने पहुंचे। यह क्षति लंबे समय तक सभी के दिलों में याद रहेगी।
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