काशी के दंडी स्वामियों के समक्ष संकट,सरकार बताये अन्नक्षेत्र कब खुलेगा
ऐसी मान्यता हैं की माँ अन्नपूर्णा की नगरी काशी में कोई भूखे पेट नहीं सोता है। शास्त्रों में वर्णित है कि ”अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकर प्राण वल्लभे। ज्ञान वैराग्य सिद्धयर्थ भिखां देहि च पार्वति।” यहां पर बाबा के भोग आरती के बाद श्रीकाशी विश्वनाथ के मंदिर प्रांगण के बरामदे में प्रति दिन बैठा कर सैकड़ों दंडी स्वामियों को भोग प्रसाद खिलाने और उनको निश्चित दक्षिणा देने की परम्परा एवं व्यवस्था दशकों से चली आ रही है। अब कोरोना संक्रमण काल में काशी के ये दंडी स्वामी ने शासन प्रशासन से अन्न क्षेत्र को दोबारा और जल्द ही खोलने की अपील किया है।
लॉकडाउन के चलते मार्च माह में ही इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी। मंदिर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार अभी बाबा की रसोई निर्माणधीन है। बाबा के सभी भोग प्रसाद ज्ञानवापी कूप के पास एक जगह घेर बनाया जा रहा है। टेड़ी नीम स्थित विश्वनाथ मंदिर का अन्नक्षेत्र भी बंद है हालांकि मंदिर प्रशासन के अनुसार इसे जल्द ही खोलने की तैयारी चल रही है।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर से दंडी स्वामियों के भोग प्रसाद और दक्षिणा की व्यवस्था कोरोना काल से बंद चल रही है। इससे दंडी स्वामियों के सामने संकट खड़ा हो गया है और उन्होंने सरकार से अन्नक्षेत्र को दोबारा खोलने की अपील की है।
दंडी स्वामियों का कहना है कि बाबा के दरबार से हम लोगों को दशकों से भिक्षा मिलती रही है। कोरोना के कारण पिछले नौ महीने से हम लोगों का भोग प्रसाद और दक्षिणा पूरी तरह से बंद कर दी गई है। सरकार और प्रशासन को इस बारे में विचार करना होगा। उन्होंने सीएम और पीएम से गुहार लगाई है कि वह बाबा दरबार से मिलने वाली भिक्षा को फिर से शुरू कराएं। बाबा का अन्नक्षेत्र बंद होने से दंडीस्वमी आर्थिक रूप से भी परेशान हैं।
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