भाजपा नेता ने भीम राव अम्बेडकर को बताया ब्राह्मण



मयावती के बारे में कहा नहीं है हिन्दी का ज्ञान ,मच गया सियासी संग्राम 

भाजपा के इस बड़बोले नेता रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का एक और बेतुका बयान सामने आया है। उन्होंने भीमराव अंबेडकर को ब्राह्मण बताया है साथ ही मायावती को अपनी पूरी पार्टी के साथ भाजपा की सदस्यता लेने की भी सलाह दी है। उन्होंने अपने पहले का बयान का बचाव करते हुए कहा कि हमने कोई अपशब्द नहीं कहा है, बल्कि एक तर्कसंगत बात की है। हमें दलित शब्द से आपत्ति है और मैं इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी एक पत्र लिखूंगा। अपने खिलाफ दी गई तहरीर पर उन्होंने कहा कि अगर मायावती के बारे में मैंने नकल करके एलएलबी पास करने की बात कही है, तो उसका एक आधार है।

मायावती को हिंदी का ज्ञान नहीं है, क्योंकि आज तक किसी ने मायावती को अपना भाषण लिखते हुए नहीं देखा। जो चार बार प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, वह अपना भाषण खुद से देगा। रंजीत ने कहा कि मायावती खुद को दलित कहे तो हमें कोई आपत्ति नहीं लेकिन वह तो अपने आप को दलित की बेटी कहती हैं। दलित का अर्थ दबा-कुचला होता है।


रंजीत बहादुर ने अंबेडकर को लेकर कहा कि बसपा के लोगों को उन्हें समझने की जरूरत है। उन्हों कहा कि अंबेडकर भले ही सालकर जाति के रहे हों, लेकिन इनके जो गुरु थे वो पंडित महादेव अंबेडकर थे। उन्होंने इनकी विद्वता को देखकर अपना प्रिय शिष्य बनाया और उन्होंने अपना अंबेडकर नाम इनको दिया। रंजीत ने कहा कि अंबेडकर ब्राह्मण होते हैं।

महाराष्ट्र के ब्राह्मणों के नाम के आगे कर लगा रहता है, जैसे शिरोडकर, तेंदुलकर। कर का मतलब हाथ से होता है।इसलिए जनेऊ हमारे कंधे पर रहता है। इसलिए जनेऊ को भी कर कहते हैं। इसलिए अपने कर्मों के आधार पर अंबेडकर खुद ब्राह्मण हो गए थे। मैं इनको ब्राह्मण मानता हूं। फिर भी अंबेडकरवादी आज ब्राह्मणों को गाली देते हैं। रंजीत ने कहा कि अंबेडकर से बड़ा राष्ट्रधर्म को मानने वाले राष्ट्र प्रेमी कोई दूसरा नहीं हो सकता।

रंजीत ने कहा कि ओवैसी के दादा अंबेडकर को मुसलमान बनाना चाहते थे, लेकिन वो नहीं बने। अंबेडकर हमेशा देश के बंटवारे के विरोधी थे। लेकिन जब बंटवारा हो गया तो अंबेडकर ने कहा था कि यहां का सारा मुसलमान पकिस्तान चला जाए और पाकिस्तान के सारा हिन्दू वापस अपने देश आ जाए। क्योंकि अंबेडकर के मानना था कि मुसलमान कभी भी मानवता का शुभचिंतक नहीं हो सकता।


मुसलमान केवल मुसलमानों का ही भला चाहता है। उस आधार पर अंबेडकरवादियों को भाजपा के साथ आना चाहिए। इस आधार पर मायावती को अपने सभी लोगों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर लें। क्योंकि हिंदुओं को तोड़ने से कोई लाभ नहीं मिलेगा और हिन्दू टूटने वाला भी नहीं है। आज यह लोग बौद्ध के नाम पर हमारे सनातन धर्म को तोड़ना चाहते हैं। जबकि बौद्ध एक संस्कार है, और वह हिंदुओं की तरह ही है। इसलिए बहुत भी सनातन धर्म से अलग नहीं हो सकते।

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