खुदरा व्यापार के लिए ग्रामीण इलाकों के मेलों का आज भी कोई जोड़ नहीं

जौनपुर। गांव-गांव में नवरात्रि के बाद से छोटे-छोटे मेलों का दौर जारी है।यह सिलसिला दीपावली तक जारी रहेगा।जैसे-जैसे इन गांवों में आगे पीछे रामलीला समाप्त हो रहा है वैसे ही आगे पीछे दिन प्रतिदिन किसी न किसी गांव में मेला लग रहा है। उत्तर आधुनिकता के उभार एवं पूंजीवाद के दबाव ने व्यक्तिवाद, अकेलापन और गला काट प्रतिस्पर्धा से सामूहिकता और सामाजिकता पर बहुत कुप्रभाव डाला है। कृषि आधारित ग्रामीण समाज पर पूंजीवाद और उत्तर आधुनिकता आज भी गांवों को उतना प्रभावित नहीं कर पाई है, जिसकी बानगी ये मेले हैं।यह विकास खंड मछलीशहर के गांव बामी का रामलीला समाप्त होने पर बृहस्पतिवार की शाम लगे मेले का दृश्य है। जहां मेले में चीनी और गुड़ की जलेबी, गट्टा,फल, मिठाईयां, बच्चों के खिलौने और साज श्रृंगार आदि के सामानों की दुकानें सजी हुई हैं। शनिवार को धन तेरस है ऐसे में मेले ही नहीं पूरी मछलीशहर तहसील क्षेत्र के कस्बों और बाजारों की रौनक अपने चरम पर है।छूट और आफर के विज्ञापनों से अखबारों के पेज भरे पड़े हैं।बामी गांव के बच्चों का उत्साह आज सातवें आसमान पर है।एल के जी में पढ़ने वाले साहस सिंह की बुधवार को अर्द्धवार्षिक परीक्षा समाप्त हो गई है सुबह से ही बस मेले में खरीदारी योजना और मेला देखने के लिए मिलने वाले पैसे की गिनती बारम्बार हुई है।

आनलाइन शापिंग के जमाने में ग्रामीण इलाकों में लग रहे ये मेले खुदरा व्यापार के लिए आज भी बड़े आधार का काम कर रहे हैं। जिस गांव का मेला हो उस गांव में फुटकर की किल्लत न हो ऐसा हो नहीं सकता।इन मेलों में आज भी इतने पैसे की आवक-जावक है कि मेले के व्यापार में लगे लोगों का महीने भर से उत्साह वर्धन जारी है। आज के मेले के बाद कल किस गांव का मेला है खुदरा व्यापारी इसकी

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