त्रिलोचन महादेव मंदिर जहां स्वयं-भू है भगवान शिव

जलालपुर, जौनपुर। जिला मुख्यालय से 20 किमी दूर दक्षिणी पूर्वी छोर पर स्थित त्रिलोचन का महादेव मंदिर प्राचीन काल से आज भी अपनी महत्ता के लिए जाना एवं पहचाना जाता है। यहां के बारे में कहा जाता है कि भगवान भोलेनाथ यहां स्वयं-भू है। यहां पर उभरा शिवलिंग हर्ष काल को चिन्हित करता है। इस शिवलिंग पर नीचले भाग पर भगवान भोलेनाथ की स्पष्ट तस्वीर देखी जा सकती है जो किसी दुनियावी कारीगर द्वारा नहीं बनायी गयी। इतना ही नहीं इतिहास में यह भी वर्णित है कि यहां स्थित ब्राहृ कुण्ड का प्रयोग स्वयं ब्रहृा जी हवन पूजन के लिए करते थे।

मंदिर बनने के बाद झगड़ा इस बात को लेकर शुरू हुआ कि वो जंगल का हिस्सा यानी वो मंदिर किस गांव की सीमा में आता है। इसको लेकर दो गांव आपस में भिड़ गए। मामला मारपीट तक पहुंच गया। फिर गांव के ही कुछ समझदार लोगों ने तय किया कि इसका फैसला भगवान शिव ही करेंगे कि वो किस गांव में रहना चाहते हैं। दोनों गांव के लोगों ने भगवान शिव के मंदिर में जाकर प्रार्थना की और मंदिर के गेट पर अपना अपना ताला लगा दिया। अगले दिन जब दोनों पक्षों ने अपना अपना ताला खोला तो देखा शिवलिंग रेहटी गांव की तरफ मुड़ा हुआ है। तबसे लेकर आज तक वो शिवलिंग वैसे ही रेहटी गांव की तरफ मुड़ा हुआ है और लोगों ने इसे भगवान शंकर का आशीर्वाद समझ लिया और मंदिर रेहटी गांव को मिल गया। मंदिर के पास एक कुंड भी है जो हमेशा पानी से भरा रहता है। कहते हैं कि वहां स्नान करने से बुखार और चर्म रोग खत्म हो जाता है। सावन महीने के दौरान इस मंदिर में अच्छी खासी भीड़ जमा होती है।

यहां के पुजारियों का कहना है कि तीसरी नेत्र खोलकर बाबा भोले शंकर ने यहीं पर भस्मासुर को भस्म किया था। यहां शिवलिंग नहीं है। अपितु उस पर पूरा चेहरा, आंख, मुंह, नाक आदि बना हुआ है। पुजारी के अनुसार मंदिर को लेकर समीपवर्ती दो गांवों रेहटी और डिंगुरपुर में इस बात को लेकर विवाद था कि यह मंदिर किस गांव की में है। कई पंचायतें और तर्क-वितर्क हुए। लेकिन तय नहीं हो सका। तब दोनों गांवों के बुजुर्गों ने फैसला किया कि यह फैसला स्वयं भगवान भोलेनाथ करेंगे। उन्होंने मंदिर के दरवाजे में ताला जड़ दिया और घर चले गए। ताला दोनों पक्ष की ओर से जड़ा गया। अगले दिन जब लोग मंदिर पहुंचे तो शिवलिंग स्पष्ट रूप से उत्तर दिशा में रेहटी ग्राम की तरफ झुका हुआ था। जिसे देख लोग आश्चर्यचकित हो गए। तभी से शिव मंदिर को रेहटी गांव में माना जाता है।

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