मेडिकल कालेज जौनपुर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

मेडिकल कालेज जौनपुर में विश्व हेपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन
जौनपुर(उत्तरशक्ति)।उमानाथ सिंह स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, जौनपुर की प्रधानाचार्य प्रो० डाo रूचिरा सेठी एवं मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो० डाo ए०ए०जाफरी के दिशा निर्देश में चिकित्सा अधीक्षक, डा० विनोद कुमार एवं मुदित चौहान विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के द्वारा आज 28 जुलाई, 2025 को विश्व हिपेटाइटिस दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन अस्पताल भवन के ओ०पी०डी में किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि के रूप में डा० रूचिरा सेठी ने अपने उ‌द्बोधन में कहा कि आज हम सभी विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर एकत्र हुए है- एक ऐसा दिन जो हमें यकृत (लीवर) से जुड़ी गंभीर बीमारियों, विशेष रूप से हेपेटाइ‌टिस बी और सी, के प्रति जागरूकता और सुरक्षा के संकल्प की याद दिलाता है। हेपेटाइ‌टिस बी और सी दोनों ही वायरल संक्रमण हैं जो यकृत को गंभीर रूप से नुकसान पहुँचा सकते हैं। यह रोग रक्त और शरीर के अन्य तरल पदार्थों के संपर्क से फैलता है। खासकर यदि वे संक्रमण लंबे समय तक बना रहे तो यह लिवर सिरोसिस, फेल्योर, और लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है। लेकिन घबराने की आवश्यकता नहीं है। यह बीमारी रोकथाम योग्य है, इलाज योग्य है, और सबसे जरूरी बात- जागरूकता ही बचाव का सबसे बड़ा उपाय है।मुख्य चिकिस्सा अधीक्षक प्रो० डा o ए० ए०जाफरी ने विश्व हैपेटाइटिस दिवस पर लोगों को जागरूक करते हुए बताया कि हेपेटाइटिस बी के लिए सुरक्षित और प्रभावी टीका उपलब्ध है यह टीकरण बच्चों को जन्म के तुरंत बाद और किशोरो / वयस्कों को भी दिया जा सकता है। जबकि हेपेटाइटिस सी के लिए अभी कोई वैक्सीन नहीं है, परंतु इसका इलाज संभव है बशर्ते यह समय पर पकड़ में आ जाए। इसलिए मैं सभी से आग्रह करता हूँ
1. सुरक्षित रक्त जांच और स्टेराइल सुइयों का उपयोग सुनिश्चित करें। 2. टीकाकरण समय पर करवाएं, खासकर नवजातों और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए। 2. अस्वछ जीवनशैली, अनावश्यक दवा का सेवन, या नशे की आदतों से दूर रहें। 4. सबसे महत्वपूर्ण नियमित स्वास्थ्य परीक्षण करते रहें।यह दिन सिर्फ जानकारी का नहीं, जिम्मेदारी का दिन है। आप सभी से अनुरोध है कि न केवल स्वयं जागरूक बने, बल्कि अपने परिवार, मित्रों और समाज को भी इन जानकारियों से अवगत कराएं। यही हमारे भविष्य को सुरक्षित बनाने का रास्ता है। अंत में कार्यक्रम के आयोजकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आप सभी का धन्यवाद करता हूँ कि आप इस आवश्यक विषय पर गंभीरता से सहभागी बने रहे है।

चिकित्सा अधीक्षक डॉ .विनोद कुमार  ने बताया कि हमारे अस्पताल में हेपेटाटिस से संबंधित निःशुल्क जांच शिविर, नवजात शिशुओं, स्वास्थ्यकर्मियों और जोखिन में आने वाले सभी व्यक्तियों के लिए हेपेटाइ‌टिस बी का टीका उपलब्ध है। विशेष रूप से, मातृत्व वार्ड में पैदा होने वाले शिशुओं को टीकाकरण सुनिश्चित किया जा रहा है। रक्त जांच एवं सुरक्षित रक्त आपूर्ति उपचार एवं परामर्श सेवा, स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम, दवाओं और सरकारी योजनाओं का लाभ, जांचो की निःशुल्क सुविधा दी जा रही है। हेपेटाइटिस से लड़ने के लिए हमें केवल अस्पताल की नहीं समाज की भी भूमिका चाहिए। सावधानी समय पर की जाय और सतर्कता ही इसका सबसे बढ़ा इलाज है। आइए हम सब मिलकर इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए एकजुट हो।कार्यक्रम के आयोजक डा० मुदित चौहान* ने कहा कि हेपेटाइटिस बी केवल एक रोग नहीं, बल्कि एक मौन महामारी है, जो हमारे गांव कस्बों और शहरों में धीरे-धीरे अपने पांव पसार रही है। इसका सबसे बड़ा खतरा यह है कि यह लंबे समय तक बिना लक्षणों के शरीर में सक्रिय रह सकता है, और जब तक इसका पता चलता है तब तक यह लीवर को गंभीर क्षति पहुँचा चुका होता है। डॉo जितेन्द्र कुमार एवं डॉ ० आशुतोष सिंह द्वारा चिकित्सा महाविद्यालय के लेक्चर हॉल में सेमीनार का आयोजन किया गया। जिसमें डॉ o जितेन्द्र ने हेपेटाइटिस के बारे में बताया कि हेपेटाइटिस एक वायरल संक्रमण है जो लीवर (यकृत) को प्रभावित करता है। इसके कई प्रकार है A,B,C,D और E जिनमें से हेपेटाइटिस बी और सी सबसे अधिक गंभीर माने जाते हैं क्योंकि ये दीर्घकालिक (क्रॉनिक) संकमण में बदल सकते हैं। हेपेटाइटिस बी का उपचार प्रारंभिक अवस्था में आमतौर पर किसी विशेष दवा की आवश्यकता नहीं होती। मरीज को आराम पोषण युक्त भोजन और लीवर सुरक्षित दवाओं के साथ मनीटर किया जाता है। यदि संक्रमण कई महीनों से अधिक बना रहे तो उपचार आवश्यक हो जाता है। उपयोग की जाने वाली मुख्य दवाएं है Tenofovir, Entecavir, Lamivudine (कम इस्तेमाल होती है। प्रतिरोधकता के कारण ये दवाएं वायरस की वृद्धि को रोकती है। लीवर डैमेज को कम करती हैं और सिरोसिस व कैंसर की संभावना को घटाती है।
आशुतोष सिंह ने हेपेटाइटिस बी और सी के डायग्नोसित यानि सही जांच व पहचान की प्रक्रिया पर विस्तार से प्रकाश डाला। HBeAg टेस्टः यह सबसे प्राथमिक और आवश्यक टेस्ट है। अगर या पॉजिटिव आता है तो व्यक्ति हेपेटाइटिस बी से संकनित माना जाता है। Anti-HBs टेस्ट: यह एंटीबॉडी की उपस्थिति बताता है और दर्शाता है कि व्यक्ति को टीककारण पूर्व संक्रमण से प्रतिरक्षा है या नहीं। HBeAg और Anti-HBe: यह टेस्ट वायरस की सक्रियता और संक्रामकता को दर्शाते है। HBV DNA टेस्टः यह टेस्ट लीवर की स्थिति का मूल्यांकन करता है, विशेष रूप से SGOT, SGPT बिलीरुबिन आदि का स्तर। Ultrasound/Fibroscan: लीवर में सूजन, फैटी लीवर या सिरोसिस की स्थिति को समझने के लिए किया जाता है तथा उनके द्वारा हेपेटाइटिस सी के जांचो के बारे में भी बताया गया।कार्यक्रम के अंत में उप प्रधानाचार्य, प्रोफेसर डॉ o आशीष यादव ने कहा कि हेपेटाइटिस जागरूकता कार्यक्रम में आप सभी की सक्रिय भागीदारी, उत्साह और जागरूकता ने इस आयोजन को सफल बनाया। मैं इस अवसर पर, इस मंच से, आप सभी को हृदय से धन्यवाद देता हूँ और अभिनंदन करता हूँ। विशेष रूप से हमारे सम्माननीय चिकित्सकों द्वारा दी गई महत्वपूर्ण जानकारियाँ, छात्रों की सहभागिता, और सभी सहयोगियों का समर्पण प्रशंसनीय है। आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि स्वस्थ जीवन ही सच्ची समृद्धि है।इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा डॉ चंद्रभान ,डा० जितेन्द्र, डा० आदर्श, अचल सिंह, डा० नवीन सिंह, डा पूजा पाठक, डा0 विनोद वर्मा, डo हमजा अंशारी, डॉo तुमुन नन्दन, डॉ o स्वेता सिंह, डा० संजीव यादव, डॉo पूजा पाठक, डॉ अनिल, डा० पंकज इत्यादि चिकित्सक एवं छात्र/छात्रायें व मरीज तथा उनके तीमारदार उपस्थित रहें।

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