आखिर गरीबों के खाद्यान की कालाबाजारी कराने वाला कौन है ?
जन मानस के बीच में बक्शा पुलिस द्वारा पकड़ा गया खाद्यान चर्चा का बिषय
जौनपुर। विगत माह 27अप्रैल को जनपद के थाना बक्शा पुलिस द्वारा पकड़े गये सरकारी खाद्यान के सच का खुलासा आज तक मुकदमे की विवेचना कर रहे आई ओ ( विवेचनाधिकारी ) अथवा जिला आपूर्ति विभाग या जनपद के शीर्ष हुक्मरान नहीं कर सके है। जबकि जिले की आवाम जानना चाहती है कि वह कौन है जो गरीबों को देने के आये खाद्यान की कालाबाजारी करने में संलिप्त है। यह बात आम जन मानस के बीच में चर्चा का बिषय बना है आखिर जिम्मेदार कौन है ?
यहाँ बतादे कि कि विगत माह अप्रैल की 27 तारीख को सायं काल के समय एक ट्रक में सरकारी खाद्यान गेहूं की 240 बोरी यानी 120 कुन्तल जौनपुर से हरियाणा कालाबाजारी के लिए जा रहा था। इसकी सूचना बक्शा के थाना प्रभारी शचीन्द्र चौधरी को हुईं थानाध्यक्ष ने घेरा बन्दी करके ट्रक को पकड़ते हुए कालाबाजारी के लिए जा रहे खाद्यान को बरामद करते हुए ट्रक चालक को हिरासत में लेने के बाद आपूर्ति विभाग को सूचित किया आपूर्ति विभाग से इंस्पेक्टर मौके पर पहुंच कर तहरीर देकर मुकदमा पंजीकृत करा दिया ।
उस समय ट्रक चालक का बयान आया कि वह अन्डा लेकर गया था वापसी में जौनपुर मुख्यालय पर स्थित लकी ट्रांसपोर्ट के माध्यम से सरकारी गेहूं लाद कर हरियाणा ले जा रहा था। खबर वायरल तो हुईं लेकिन इसका खुलासा नहीं हुआ कि खाद्यान कौन ले जा रहा था और किसकी संलिप्तता रही है । हलांकि ट्रक पकड़े जाने की सूचना पर लकी ट्रांसपोर्ट का मालिक ताला बंद कर फरार हो गया है।
अब यहाँ पर सवाल खड़ा होता है कि लाक डाऊन अवधि में एक तरफ तो सरकार गरीबों को भूख से बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाये बैठी है और खाद्यान का मुंह गरीबों के लिए खोल दिया है तथा निःशुल्क गेहूं चावल मुहैया कराने में जुटी हुई है। वहीं दूसरी ओर सरकारी खाद्यान गेहूं जिले से कालाबाजारी हेतु हरियाणा जा रहा था। पकड़ा जाने के बाद आज तक एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद भी काला बाजारी में संलिप्त जनो के उपर से नकाब सरकारी तंत्र नहीं उठा सका है जिसके कारण अब सरकारी तंत्र सवालों के कटघरे में खडा नजर आ रहा है। हलांकि आपूर्ति विभाग के अधिकारी चाहे विपणन के हो या सप्लाई के हो सभी एक दूसरे की जिम्मेदारी बता कर खुद को सच का पता लगाने से दूर बता रहे है। जबकि विवेचनाधिकारीने इतना कहा कि पकड़ा गया माल किसी कोटेदार या व्यपारी का नहीं है सरकारी होने की प्रबल संभावना है।
सूत्र की माने तो यह खाद्यान किसी सरकारी गोदाम से कालाबाजारी हेतु हरियाणा जा रहा था। यदि सूत्र सही है तो निश्चित रूप से इस खेल में सरकारी तंत्र का हाथ संभव है। खबर तो यह भी आ रही है सरकारी तंत्र के एक अधिकारी इसमें लीपा पोती कराने के प्रयास में है और आई ओ पर दबाव भी है ताकि सच सामने न आ सके। साथ ही किसी व्यपारी अथवा कोटेदार को बलि का बकरा बनाया जा सकता है इस सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है । जो भी हो अब जिले की जनता में इस बात की चर्चा है कि आखिर गरीबों के खाद्यान की कालाबाजारी करने वाला कौन है ?
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