जनहित में जिला प्रशासन की पहल को लग रहा है पलीता


आज भी जिले में बिक रहा है दोहरा, गुटका एवं चाइनीज मंझा 

      जौनपुर । जिलाधिकारी के जनहित की पहल को जनपद के व्यापारी से लगायत उपभोक्ता तक पलीता लगा रहे है तभी तो  जिलाधिकारी की जनहित की किसी भी पहल को अब तक पूर्ण रूप से अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है । हां अधीनस्थ अधिकारी कागजी  बाजीगरी का  खेल करके जिलाधिकारी को खुश करते हुए अपनी पीठ खुद ही थपथपा रहे है ।
जी हां हम सबसे पहले स्लो प्वाइजन  दोहरा की बात करते है । जिलाधिकारी जौनपुर ने दिनेश कुमार सिंह ने जनपद में दोहरा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए आदेश जारी किया कि दोहरा खाते हुए पकड़े जाने पर खाने वाले को 300 रुपए  का  जुर्माना वसूला जाएगा । इस मीठे जहर की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए मुख्य राजस्व अधिकारी (सीआरओ) को नोडल अधिकारी नियुक्त किया है कि इस अधिकारी के नेतृत्व में छापामारी करके दोहरा बनाने वालो पर कार्यवाही की जाएगी । सीआरओ के नेतृत्व में गठित टीम द्वारा छापामारी करके दोहरा पकड़ा गया  जुर्माना वसूला गया । दोहरे के  व्यवसायी भी  तू डाल डाल मैं पात पात की कहावत को चरितार्थ करते हुए शहर छोड़ कर गांव की राह पकड़ लिए और दोहरे की कीमत बढ़ा कर चोरी छिपे बिक्री चालू रखें है । इसमें  दाद में खाज का काम पुलिस विभाग कर रहा है । इलाकाई पुलिस एवं थाना प्रभारी दोहरा व्यापारीयो  से धनोपार्जन कर अबैध रूप से दोहरे को बनाने से लेकर बिक्री में सहायक साबित हो रहे है । ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जिलाधिकारी इस पर प्रतिबंध लगाने में कितने सफल हो सकेगे ।
दूसरा  जिलाधिकारी ने जनपद में चाइनीज मंझा की बिक्री पर प्रतिबंध लगाते हुए  नोडल अधिकारी सीआरओ को इसके खिलाफ अभियान चलाने का हुक्म दिया । प्रशासन मंझा की बिक्री रोकने का  प्रयास करता रहा और  लगभग  15 दिन के अन्दर चाइनीज मंझा की चपेट में आने से  लगभग एक दर्जन लोग अस्पताल की देहरी पर पहुंच गये लोगों का नाक गला अंगुली आदि कट गया है । इससे सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि मंझे की बिक्री निर्बाध रूप से जारी है । ऐसे में  प्रशासन के  प्रयास पर सवाल खड़ा होना लाजिम है कि प्रशासन के लोग सचमुच मंझो की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के लिए काम कर रहे थे या फिर सबकुछ दिखावा था या सस्ती लोकप्रियता का खेल रहा है । इसे तो प्रशासन के लोग ही जाने लेकिन सच यही है कि मंझा बिका आम जन जख्मी हुए है।
तीसरा  स्वच्छता अभियान के तहत जिलाधिकारी ने  आदेश जारी किया कि कचहरी अथवा सरकारी कार्यालयों के आसपास गुटका पान मसाला आदि की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया जाये ताकि कार्यालय  आदि को साफ सुथरा रखा जा सके । इस पर भी रोक नहीं लग सका है  खुद जिलाधिकारी के  नाक के नीचे कलेक्ट्रेट परिसर सहित कलेक्ट्रेट के आसपास बाहर भी खुले आम पान गुटका गोमटियों एवं दुकानों पर बेंचा जा रहा है । तहसील  विकास भवन इसके प्रमाण है  और सच तो यह कि जिलाधिकारी के अधीन काम करने वाले कर्मचारी पूरे दिन गुटका अथवा दोहरा,  पान मुंह में दबायें  इधर उधर पीच मारते नजर आते है ।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या जिलाधिकारी अथवा सरकारी अमला  जनहित से जुड़े मुद्दों पर प्रतिबंध लगा सकता है । यदि हां तो अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है यदि नहीं तो इस तरह के आदेश को जारी करने के पीछे का रहस्य क्या है । हलांकि प्रशासन को चाहिए कागजी बाजीगरी के खेल एवं फोटो ग्राफी के खेल से अलग हटकर उपरोक्त तीनों पर शक्ति पूर्वक अभियान चला कर जनपद की आवाम को नशा मुक्त करना चाहिए । साथ ही मंझे से होने वाली दुर्घटनाओ पर  बिराम लगने की सार्थक पहल करना चाहिए ।

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