आखिर मेडिकल कॉलेज कब पूर्ण रूप से बनकर जनपद वासियों मेडिकल सुविधा प्रदान कर सकेगा ?

जौनपुर। जनपद में बन रहा मेडिकल कॉलेज निर्माण और चालू होने के मामले में 25 सितम्बर 2014 से आज तक कागजी बाजीगरी का मात्र खेल बन कर रह गया है। लगभग आठ वर्ष बीतने के बाद भी जौनपुर का उमानाथ सिंह राजकीय मेडिकल कॉलेज आज तक न तो पूर्ण रूप से बनकर तैयार हो सका न ही यहां पर शैक्षिक गतिविधियों के साथ स्वास्थ्य आदि की व्यवस्थाओ की गतिविधियां ही शुरू हो सकी है। मेडिकल कॉलेज की सभी व्यवस्थायें भले ही धरातल पर दृष्टिगोचर नहीं है लेकिन जिले के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर प्रदेश की सरकार इस मेडिकल कॉलेज को लेकर कागजी बाजीगरी का खेल करते हुए खुद अपनी पीठ थपथपा रही है। 
यहां बता दे की 25 सितम्बर 14 को जौनपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज की आधार शिला पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रखते हुए ऐलान किया था कि प्रत्येक दशा में राजकीय मेडिकल कॉलेज 2017 के पहले आम जनता के लिए काम करने लगेगा और मेडिकल के पढ़ाई का भी काम शुरू हो जायेगा। इसके निर्माण के लिए  554 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 100 करोड़ रुपए की धनराशि जारी कर दिया। मेडिकल कॉलेज निर्माण का ठेका सबसे पहले कार्यदाई संस्था राजकीय निर्माण निगम को मिला। यहां पर सामान आपूर्ति करने की ऐसी जंग छिड़ी कि मेडिकल कॉलेज का निर्माण निर्धारित समय पर नहीं पूरा हो सका तो ठेका ही बदल दिया गया और कार्यदाई संस्था टाटा कंस्ट्रक्शन को काम दिया गया यह संस्था भी आकंठ भ्रष्टाचार में गोताखोरी करने लगी लेकिन मेडिकल कॉलेज के निर्माण में कोई गति नहीं हुई तो इसे ब्लैक लिस्टेड करते हुए ठेका बालाजी कंस्ट्रक्शन को दे दिया गया जो वर्तमान में निर्माण का काम कच्छप गति से कर रही है। अब इस कार्यदाई संस्था का कहना है कि जो बजट है वह मंहगाई के चलते ना काफी है इसलिए काम फिर रूक गया है। रिवाइज्ड बजट के लिए शासन को पत्र भेजा गया है लेकिन सरकार अथवा शासन स्तर से रिवाइज्ड बजट की स्वीकृत नहीं मिली है। 
मेडिकल कालेज के निर्माण का कार्य आधा अधूरा था इसके बाद विधान सभा चुनाव से पहले सस्ती लोकप्रियता के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने 25 अक्टूबर 21 को जनपद सिद्धार्थ नगर से वर्चुअल रूप से यूपी के नौ मेडिकल कॉलेजो का उद्घाटन किया उसमें जौनपुर का राजकीय मेडिकल कॉलेज भी शामिल रहा। नवम्बर 21 में यहां पर एमबीबीएस के प्रथम वर्ष के छात्रो के एडमिशन का दावा किया गया प्राचार्य के रूप मे प्रो शिव कुमार की नियुक्ती हो गयी। काफी उठा पटक के बाद प्रथम वर्ष के छात्रो को ऐडमिशन हुआ और पढ़ाई मेडिकल कॉलेज के बजाय जिला अस्पताल में शुरू की गयी। मेडिकल कॉलेज के शिक्षक के रूप में जिनकी नियुक्तियां की गयी वे सभी संविदा पर है और केवल खानापूर्ति वाले चिकित्सक है वास्तव में जो डिग्री मेडिकल कॉलेज के शिक्षक के लिए चाहिए ऐसे चिकित्सक वहां जाने से परहेज कर लिया क्योंकि सब कुछ कागज पर नजर आता रहा धरातल पर कुछ भी नहीं था।
यहां बता दें  कि 9 सितम्बर 22 को प्रदेश के मुख्यमंत्री जौनपुर आगमन पर जौनपुर के मेडिकल कॉलेज के निर्माण की प्रगति एवं व्यवस्थाओं को जानने के लिए विशेष रूप से आये और पूर्वांचल विश्वविद्यालय में सरकारी उड़न खटोले से उतरने के पश्चात सीधे मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करने गये और कार्यदाई संस्था को फटकार भी लगाया इसके बाद भी मुख्यमंत्री को वापस लखनऊ लौटने के बाद फिर कार्यदाई संस्था ने पूरी तरह से काम बन्द कर दिया और कहा कि जो बजट स्वीकृत है वह आगे काम करने की इजाजत नहीं देता है। रिवाइज्ड बजट का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। स्वीकृत मिलने के बाद ही काम शुरू हो सकता है।हलांकि जिले के आला हुक्मरान लगभग हर तीसरे दिन मेडिकल कॉलेज के निर्माण की प्रगति जानने के लिए निरीक्षण करते है और निर्देशित करते है कि गुणवत्तापूर्ण ढंग से मेडिकल कॉलेज के निर्माण का कार्य पूरा करे लेकिन कार्यदाई संस्था है कि जिले के हुक्मरान की बात को संभवत: गम्भीरता से नहीं लेते है। तभी तो कार्यदाई संस्था ने काम बन्द कर दिया है। 
अभी दो दिन पूर्व 04 नवम्बर को मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य ने दावा किया है कि अब मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के साथ ही पैरामेडिकल की पढ़ाई करायी जायेगी शासन से 60 सीटो पर ऐडमिशन की स्वीकृत मिल भी गयी है। अब सवाल यह खड़ा होता है कि मेडिकल कॉलेज को अपूर्ण रहने के कारण जब अभी तक एमबीबीएस के छात्रो का शिक्षण कार्य नहीं हो रहा है तो पैरामेडिकल के छात्रो को कहां और कैसी शिक्षा दी जायेगी। इस अभी तक मेडिकल कॉलेज को लेकर जो मौके पर भौतिक स्थिति नजर आ रही है और अधिकारियों के जो बयानात आ रहे है वह शुद्ध रूप से कागजी बाजीगरी का खेल ही नजर आ रहे है। इस तरह आठ साल बीतने के बाद आज तक मेडिकल कॉलेज बजट के अभाव में अधूरा पड़ा हुआ है।

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