अशोका इंस्टीट्यूट में गांधी जयंती पर पोस्टर प्रतियोगिता, स्टूडेंट्स ने बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा


 वाराणसी। अशोका इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड मैनेजमेंट में भारत को ब्रितानी हुकूमत से आजाद कराने में अहम भूमिका निभाने वाले महात्मा गांधी की 153वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस उपलक्ष्य में इंस्टीट्यूट में पोस्टर प्रतियोगिता और एक्सटेंपोर का आयोजन किया। प्रतियोगिता में बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स ने हिस्सा लिया।
पोस्टर प्रतियोगिता में अनुपमा और प्रिया जायसवाल अव्वल रहीं। जितेश और विशाल सिंह यादव ने क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया। एक्सटेंपोर प्रतियोगिता में निभिलेश गुप्ता-प्रथम, सिद्धार्थ तिवारी-द्वितीय और जयति जायसवाल-तृतीय रहीं। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में शामिल थीं डा.शना और प्रशांत गुप्ता। इंस्टीट्यूट की सीनियर टीचर शर्मिला सिंह की देखरेख में दोनों प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं।
प्रतियोगिता में बाजी मारने वाले स्टूडेंट्स को सम्मानित करती हुई अशोका इंस्टीट्यूट की निदेशक डा.सारिका श्रीवास्तव ने कहा महात्मा गांधी के सपने तभी पूरे होंगे जब हम स्वच्छता के प्रति जागरूकता पैदा करेंगे। साथ ही प्रकृति को हरा-भरा रखने के लिए बड़े पैमाने पर पेड़ लगाएंगे। सत्य और अहिंसा को लेकर बापू के विचार हमेशा से न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया का मार्गदर्शन करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। उन्हीं के विचारों के सम्मान में हर साल 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। महात्मा गांधी के विचार न सिर्फ भारत, बल्कि पूरे विश्व का मार्गदर्शन करते आए हैं और आगे भी करते रहेंगे। गांधी जी इस बात में विश्वास रखते थे कि हिंसा के रास्ते पर चलकर आप कभी भी अपने अधिकार नहीं पा सकते। इसीलिए उन्होंने अंग्रेजों का विरोध करने के लिए सत्याग्रह का रास्ता अपनाया। बापू ने लंदन में कानून की पढ़ाई जरूर की, लेकिन बड़ा अफसर अथवा वकील के लिए नहीं, देश को गुलामी से आजाद कराने के लिए। अपने जीवन में उन्होंने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन किए। वह हमेशा लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ते रहे।
बिजनेस स्कूल के प्रिंसिपल सीपी मल्ल ने महात्मा गांधी के विचारों को रेखांकित करते हुए कहा कि बापू ने चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी सत्याग्रह, दलित आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन किया। इन आंदोलनों के दम पर उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य की नींव कमजोर करने में अहम भूमिका निभाई। साथ ही भारतीय समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी बुराइयों के प्रति लगातार आवाज उठाई। वो चाहते थे कि ऐसा समाज बने जिसमें सभी लोगों को बराबरी का दर्जा हासिल हो क्योंकि सभी को एक ही ईश्वर ने बनाया है। उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। नारी सशक्तीकरण के लिए भी वह हमेशा प्रयासरत रहे। गांधीजी के सपने तभी पूरे होंगे जब हम उनके बताए शांति, अहिंसा, सत्य, समानता, महिलाओं के प्रति सम्मान जैसे आदर्शों पर चलेंगे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में अशोका इंस्टीट्यूट के प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स वैभव श्रीवास्तव, स्वयं मिश्रा, स्नेहा गुप्ता, आदित्य सिंह, पारुल, इशा सिंह, चंद्रकांत वर्मा आदि प्रमुख थे।

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