कोरोना संक्रमित मरीजों के प्रति स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही खोल रही है सरकारी दावों की पोल



जौनपुर। कोरोना संक्रमण काल में सरकार एवं प्रशासनिक अधिकारी मरीजों के उपचार को लेकर चाहे जितने दावे कर रहे हैं सभी दावों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी कर्मचारी झूठा साबित करने में तनिक भी परहेज नहीं कर रहे हैं।विगत दो तीन दिनों में सरकारी अस्पतालों एवं स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों की करने उपरोक्त आरोपों की पुष्टि करती है। जी हां कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल के बाहर अथवा सीढ़ियों पर तड़पते नजर आ रहे है तो कहीं लाश को लावारिश बागों में छोड़ कर भाग जा रहें है। शासन प्रशासन पूरी तरह बेखर केवल अच्छी व्यवस्था का दावा करता फिर रहा है। 
आज की ताजा घटना है कि जिला महिला अस्पताल परिसर में बने कोरोना मरीजों के एल टू अस्पताल के बाहर एक कोरोना संक्रमण से संक्रमित महिला बाहर परिसर में लगभग चार घन्टे तक तड़पती रही स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का ध्यान उस कोरोना पीड़ित महिला की तरफ तब तक नहीं गया जब तक मीडिया के लोगों द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत नहीं किया गया। बड़ी मशक्कत के बाद किसी तरह से महिला को उपचार मिल सका है। 
जबकि प्रदेश सरकार के सीएम से लेकर शासन एवं प्रशासन के द्वारा रोज बयान जारी किया जा रहा है कि कोरोना मरीजों के उपचार में जरा भी लापरवाही नहीं हो रही है। कोरोना संक्रमण से संक्रमित मरीजों का उपचार कर बचाने का पूरा प्रयास दिन रात जारी है। इसके पहले जनपद के वाराणसी मार्ग पर स्थित ट्रामा सेन्टर की सीढ़ियों पर 24अप्रैल को एक कोरोना मरीजों तड़पता रहा और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता का स्पष्ट संकेत दे रहा था। यहां पर आक्सीजन रहने के बाद भी मरीज को उसका लाभ इसलिए नहीं मिल रहा है क्योंकि विभाग ने अभी तक तकनीशियन की व्यवस्था इस अस्पताल के लिए नहीं किया है। यह भी घटना स्वास्थ्य विभाग को सवालों के कटघरे में खड़ा करती है। 
इतना ही नहीं बीते 24 अप्रैल को ही महराजगंज के गद्दोपुर गांव के बगीचे में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण से संक्रमित महिला की डेड बॉडी छोड़ कर फरार हो गये। जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से शिकायत की गयी तो स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही के बजाय बचाव करने लगे। हलांकि की लगभग पांच घन्टे तक लाश बाग में लावारिश पड़ी रही ग्रामीणों की सूचना पर एसडीएम और सीओ बदलापुर मौके पर पहुंच कर लाश को वहीं गड्ढा खोदा कर दफन करा दिया था। 
इस तरह ये तीनों घटनायें जिले के स्वास्थ्य विभाग पर प्रश्न चिन्ह लगा रहे है कि आखिर मरीजों और मृतकों की लाशों के साथ लापरवाही क्यों बरती जा रही है। विभाग के उच्चाधिकारी इस संक्रमण काल में पीड़ित आवाम के प्रति उदासीन क्यों है। जो भी हो लेकिन ये सभी घटनाये सरकारी दावों की पोल खोल रही है। 

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