अमृत जल व नमामि गंगे योजना धनाभाव के चलते अब ठन्डे बस्ते की ओर,जिम्मेदार क्यों है मौन
जौनपुर। जनपद मुख्यालय पर नगर पालिका परिषद क्षेत्र में जल निगम के तत्वावधान में संचालित 264 करोड़ रुपये की परियोजना अमृत पेय जल एवं नमामि गंगे का कार्य अब धनाभाव के कारण धीरे-धीरे ठन्डे बस्ते की ओर बढ़ने लगा है। अब तक हुए कार्यों का भुगतान पूर्णतः न हो पाने के कारण ठेकेदार अब हाथ खड़े करने लगे हैं। जो जनपद वासियों के लिए संकट की स्थिति खड़ा कर सकता है। सड़कें खोद कर पड़ी है धूल गर्दा इतना उड़ रहा है पूरा शहर प्रदूषण की चपेट में आ गया है। जो जन स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
यहां बतादे कि इस प्रोजेक्ट के लिये शासन स्तर से 264 करोड़ रुपए के बजट का ऐलान किया और जिस धनराशि से 156 किमी पाइपलाइन बिछाने एवं एसटीपी प्लांट बनाने का काम किया जाना है। अभी तक 30 किमी पाइपलाइन बिछायी जा सकी है। इस परियोजना का कार्य करा रही गाजियाबाद की कंपनी टेक्नोक्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेड ने लगभग 40 करोड़ रुपये का काम कराया और उसको अभी तक महज 10 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा सका है। इस कारदायी संस्था ने लोकल स्तर पर काम करने ठेकेदारों का लगभग 04 करोड़ रुपये का बकाया कर रखा है जिसके परिणाम स्वरूप अब ठेकेदार काम को रोक दिये हैं।
यहां बतादे कि नमामि गंगे योजना के तहत सात किमी गहरी सीवर लाइन बिछाने का प्रस्ताव है साथ ही तीन पम्पिंग स्टेशन,एक एसटीपी, एक मेन पम्पिंग स्टेशन, 14 ड्रेनो का टैप बनाया जाना है। अभी केवल दो किमी सीवर लाइन बिछायी गयी है। 14 ड्रेनो के टैप के सापेक्ष 04 पर काम हो रहा है। लगभग 40 करोड़ रुपये का काम करायें जाने के बाद जल निगम ने 15 करोड़ रुपये का बजट प्रस्ताव शासन को भेजा जिसमें 10 करोड़ रुपये ही मिल सका है। इस तरह भुगतान न मिलने के कारण कारदायी फर्म एवं ठेकेदारों ने काम को रोक दिया है।
यहां पर बड़ा संकट यह भी है कि जब कारदायी फर्म को ठेका दिया गया था उस समय और आज तीन साल बाद की स्थिति में बड़ा अन्तर है घरों की संख्या बढ़ गयी कालोनियां भी बढ़ी है ऐसे में काम भी बढ़ गया। जब फर्म भुगतान की बात करती है तो विभाग कहता है जितना प्रस्ताव में ठेका देते समय था उसी का भुगतान संभव है। ऐसे में परियोजना का काम प्रभावित होना लाजिमी है। हलांकि जल निगम के जेई शैलेश यादव कहते हैं कि 40 करोड़ रुपये के काम के सापेक्ष अभी 10 करोड़ रुपये ही मिले हैं जिसे कारदायी फर्म को दिया गया है हाँ लोकल ठेकेदारों भुगतान बकाया होने से काम रुका हुआ है लेकिन बजट की व्यवस्था होते ही काम शुरू हो जाएगा। अगर संस्था काम छोड़ कर जायेगी तो उसकी जमानत राशि 10 प्रतिशत काट कर पुनः नये संस्था को ठेका देकर काम को पूरा कराया जायेगा।
इस तरह कुल मिलाकर धनाभाव के कारण अब अमृत जल योजना और नमामि गंगे योजना का काम धीरे-धीरे ठप होता नजर आ रहा है। अब यहां सवाल इस बात का है कि जब शासन धन देने की स्थिति में नहीं था शहर के सड़कों सहित गलियों की खुदाई क्यों करवा दिया है। इस समस्या से शहर की आवाम जूझने को मजबूर हो गयी है। उड़ती धूल से पूरा वातावरण प्रदूषित हो गया है इससे निजात कैसे मिलेगी यह तो अब शासन ही बता सकता है।
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