वरूणा ट्रेन का संचालन शुरू होना कहीं प्राईवेटाईजेसन तो नहीं, उठने लगे सवाल



जौनपुर। कोरोना संक्रमण के पश्चात केन्द्र सरकार एवं रेलवे बोर्ड देश के हर इलाके की ट्रेनो का संचालन शुरू कर दिया लेकिन देश के प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से प्रदेश की राजधानी लखनऊ एवं आर्थिक नगरी कानपुर तक चलने वाली वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन न किये जाने पर सरकार और रेलवे बोर्ड दोनों को आवाम सवालों के कटघरे में खड़ा कर रही है। 
बतादे कि वाराणसी से लखनऊ और कानपुर तक चलने वाली वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन कोरोना काल के पहले प्रतिदिन चलती थी तो इसका पूरा लाभ पूर्वांचल के लोगों को मिल रहा था। यात्री व्यापारी कर्मचारी आदि लोग सुबह लखनऊ कानपुर जा कर शाम को वापस अपने घरों को लौट जाते रहे है। इसका परिणाम यह था ट्रेन खचाखच भरी जाती थी और उसी तरह वापस भी होती रही। जन मानस के साथ रेलवे बोर्ड को भी बड़ा मुनाफा हो रहा था। 
कोरोना महामारी आने के बाद ट्रेन का संचालन बन्द किया गया तो संचालन शुरू होने का नाम ही नहीं ले रहा है। सूत्र की माने तो खबर यह आ रही है कि सरकार इस ट्रेन का प्राईवेटाईजेसन करने की फिराक में है इसके बाद इस ट्रेन का किराया तीन गुना बढ़ा कर प्राइवेट कम्पनी चलायेगी। ट्रेन चला कर जनता को सुविधा देने के बजाय इसका प्राईवेटाईजेसन करके जनता की जेब को ढीली कर प्राइवेट कम्पनी को लाभ पहुंचाने का खेल किया जा रहा है। 
इस संदर्भ में उप्र सरकार के पूर्व मंत्री जगदीश नरायन राय से बात करने पर उन्होंने कहा कि केन्द्र और प्रदेश की भाजपा सरकारें जन हित के बजाय जनता के शोषण का काम कर रही है। भाजपा सरकार देश को अम्बानी अडानी के हाथों गिरवी रखने की योजना पर काम कर रही है। श्री राय ने कहा कि वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन से एक दो जिला नहीं बल्कि पूरा पूर्वांचल यात्रा कर रहा था लेकिन भाजपा की सरकार को जनता की चिन्ता नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सरकार देश बेचने की तैयारी कर रही है। 
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष इन्द्रभुवन सिंह से वरूणा एक्सप्रेस ट्रेन को न चलाये जाने के बाबत वार्ता करने पर इन्होंने कहा कि भाजपा की दोनों सरकारें किसान नौजवान सहित आम जन की विरोधी है। अब तो इनसे जन हित की बात की अपेक्षा करना खुद के साथ धोखा ही होगा। श्री सिंह ने कहा कि कोरोना काल के बाद बहाने बना कर हर क्षेत्र में मंहगाई बढ़ा कर रेल बस दोनों के किराये में जबर्दस्त बृद्धि करके जनता को लूटने का खेल किया जा रहा है। साथ ही यह सरकार प्राईवेटाईजेसन को बढ़ावा दे कर पूंजी पतियों को आर्थिक रूप से मजबूत बना रही है तो गरीबों की कमर तोड़ने का काम कर रही है। 

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