गंगा में चल रहे कार्य से नदी का स्वरूप बदलने के डर से विरोध शुरू,पीएम सीएम को भेजी गई चिट्ठी


 
मोक्षनगरी काशी में गंगा के बदलते स्वरूप की हैरान करने वाली तस्वीरें सामने आई है। ललिता घाट पर चल रहें निर्माण कार्य कि वज़ह से घाटों के अर्ध चंद्राकार स्वरूप पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इसे लेकर काशी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं. नदी वैज्ञानिकों से लेकर जनप्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य से नाराज हैं। जनप्रतिनिधियों ने उठाये सवाल वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अजय राय ने गंगा में चल रहे निर्माण कार्य पर सवाल उठाये हैं। उनका कहना है कि 'गंगा पार नहर बनाने और ललिता घाट पर चौड़ा प्लेटफॉर्म बनाने के गंगा के मूल स्वरूप बदल रहा है। वैज्ञानिक और नदी विशेषज्ञयों के मुताबिक इसके गंभीर नतीजे देखने को मिल सकते हैं'। अजय राय के अलावा सपा नेता किशन दीक्षित ने भी सरकार के फैसले पर तंज किया है। उन्होंने प्रधानमन्त्री पर कटाक्ष करते हुए फेसबुक पर लिखा है कि 'क्या इसी दिन के लिए मां गंगा ने बुलाया था।' 

बताई हैरान कर देने वाली सच्चाई नदी वैज्ञानिकों ने भी उठाये सवाल 

नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने इस पर चिंता जताते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर समस्या को दूर करने की मांग की है.नदी विज्ञानियों का कहना है कि गंगा के बीच धारा में निर्माण के दुष्परिणाम आने वाले पांच से छह सालों में नजर आने लगेंगे। घाटों पर बालू के पहाड़ बन जाएंगे और पंचगंगा के आगे कटाव तेज हो जाएगा और मालवीय पुल भी क्षतिग्रस्त हो सकता है। आईआईटी बीएचयू के नदी विज्ञानी प्रो. यूके चौधरी ने ललिता घाट पर सौ फीट लंबे और डेढ़ सौ फीट चौड़े बनाए गए प्लेफार्म निर्माण पर चिंता जताई है। प्रो. चौधरी ने बताया कि ललिता घाट पर ही काशी में गंगा अद्र्धचंद्राकार स्वरूप लेती हैं। वहीं पर बांधनुमा स्वरूप बनाकर गंगा के बहाव को रोक दिया गया है। इससे गंगा का अद्र्धचंद्राकार स्वरूप बदल गया है। 
 

डीएम बोले- कराएंगे जांच घाटों के खिसकने का डर 
विशेषज्ञों से परामर्श लिए बिना यह कार्य कराया जा रहा है। इससे गंगा के वेग में कमी आएगी और गंगा घाटों को छोड़ देंगी। इससे दशाश्वमेध से लेकर अस्सी तक बालू व सिल्ट भारी मात्रा में जमा हो जाएगी। ललिता घाट के बाद वरुणा पार तक मालवीय पुल के पास कटाव होगा। ललिता घाट पर बनाया गया बंध 90 डिग्री के कोण पर बनाया गया है। यह सीधे प्रवाह को रोकेगा। इससे जो हानियां होंगी इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। पांच से छह साल में पूरा घाट सिल्ट से जमा हो जाएगा। इसको निकालना मुश्किल हो जाएगा। गंगा अस्सी से दशाश्वमेध तक घाटों से खिसक जाएंगी। ललिता घाट पर जलधारा अवरुद्ध होने से दशाश्वमेध के अपस्ट्रीम में मिट्टी का जमाव होगा। ललिता घाट के बाद गंगा घाटों का नजारा बदल जाएगा। इससे मालवीय पुल के पिलर भी क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। 

प्रधानमंत्री ने कहा था, नहीं होगी मूलस्वरूप से छेड़छाड़ 
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व न्यास अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी ने कहा कि अपवर्ग प्रदान करने वाली मां गंगा तारक मंत्र देने वाले बाबा विश्वनाथ के गंगा तटीय मूलस्वरूप में कोई बदलाव नहीं होगा ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था। इसी विश्वास पर काशीवासियों को विश्वास है। प्रधानमंत्री ने कहा था कि काशी विश्वनाथ धाम का निर्माण शास्त्रोक्त रीति होगा। प्राचीनता के साथ नवीनता होगी इसके मूल स्वरूप में कोई छेड़छाड़ नहीं होगी। प्रधानमंत्री से निवेदन है कि वह इस पर जल्द से जल्द ध्यान दें। इससे लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है.गंगा के अद्र्धचंद्राकार स्वरूप से कोई छेड़छाड़ ना हो।

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