कोरोना महामारी के चलते अविकसित एवं विकासशील देश की उच्च शिक्षा हुईं प्रभावित - प्रो बागेश्वर दूबे




शोसल डिस्टेन्सिंग से कोरोना के कहर को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है लेकिन बचा नहीं जा सकता है  - प्रो रामेश्वर दूबे

जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय में वित्तीय अध्ययन  एवं गणित विभाग के संयुक्त तत्वाधान में  ’कोविड –19 के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव और संभावनाएं’ विषय पर एक दिवसीय अंतराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन आज  मंगलवार को किया गया । वेबीनार में बतौर मुख्य अथिति, अडाडिस अबाबा विश्वविद्यालय इथिओपिया के  प्रो. नागेश्वर दुबे ने कोरोना महामारी के चलते अविकसित देशों एवं विकासशील देशों के उच्च शिक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा की  । प्रो दुबे ने बताया कि किस प्रकार से स्नातक और परास्नातक स्तर की कक्षाओं की शिक्षा और मूल्याकंन के कार्यों में बदलाव आ रहा है ।

मोतीलाल नेहरू नेशनल इनस्टीट्यूट आफ़ टेक्नोलाजी, प्रयागराज के प्रो. रविन्द्र त्रिपाठी ने पूंजी और मजदूरों के मुक्त विचरण को इस महामारी का मुख्य कारण बताया । साथ ही इस समस्या से निपटने के लिये लोकल स्तर पर निर्माण और रोजगार को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया  । उन्होनें प्राकृतिक संसाधनों के सीमित  दोहन की जरुरत को इंगित किया ।
इस अवसर व्यवसायिक सलाहाकार और अंतराष्ट्रीय ट्रेनर रश्मि रंजन ने अर्थव्यव्सथा के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी कम्पनियों के व्यवसाय में किये गये बदलावों के उदाहरण से बताया कि किस प्रकार निर्माण, इ-कामर्स, फ़ैशन, खुदरा व्यापार और होटल आदि के क्षेत्र में व्यापार के तरीकों में परिवर्तन लाकर कम्पनियां अपने व्यापार को बचाने का प्रयास कर रहीं हैं । श्री रंजन के द्वारा अमेजान, स्टाइल डाट काम, डाबर, आई.टी.सी. होटल के उदाहरण से बदलाव को बताया गया ।
गांबिया विश्वविद्यालय, अफ़्रिका से ड़ा शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि यह वक्त जीविका और जीवन के बीच में किसी एक को चुनने की चुनौती लेकर आया है । उन्होंने करोना से उत्पन्न आर्थिक संकट की तुलना 1930 की वैश्विक मंदी से की और नये चुनौतियों से लड़ने की जरुरत पर बल दिया  ।
लिवर पूल जान मार्स विश्वविद्यालय लंदन के प्रो. रामेश्वर दुबे ने बताया कि सिर्फ़ शोशल डिस्टेन्सिंग से करोना के कहर को कुछ समय के लिये टाला जा सकता है पर इससे  बचा नहीं जा सकता है । उनका कहना था कि भारत में सिर्फ़ बहस हो रही है पर जमीनी काम नहीं हो रहा है । इसके लिये व्यापक स्तर पर अध्ययन और अनुसंधान से ही रास्ता निकलेगा | अनुसंधान के परिणामों से व्यापार के लिये उपयोगी नितियां और रणनितियां बनाने में मदद मिलेगी । भारत में उच्च कोटि के अनुसंधान की संभावना है ।
कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. बी. बी. तिवारी ने दोनों विभागों को वेबिनार के सफ़लता के लिये शुभकामनाएं दी। वेबिनार के प्रारंभ में प्रतिभागियों का स्वागत अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अजय द्विवेदी ने किया | वक्ताओं का परिचय वित्तीय अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष सचिन अग्रवाल एवं गणित विभाग के डॉ राजकुमार ने कराया। वेबिनार में ड़ा नितेष जायसवाल, ड़ा राम नारायण यादव, आलोक गुप्ता, शिखा दुबे, अखिलेश्वर नाथ आदि सहित देश विदेश से सौ प्रतिभागी उपस्थित रहे । धन्यवाद ज्ञापन प्रो. अजय द्विवेदी ने किया ।

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