मल्हनी उपचुनावःनामांकन प्रक्रिया में सत्ता पक्ष अथवा दवंग ने आयोग की गाइड लाइन को नकारा तो प्रशासन की चुप्पी क्यों ?
नामांकन करने जाते भाजपा प्रत्याशी 6 सहयोगियों के साथ
जौनपुर। जनपद में मल्हनी उप चुनाव के लिये चुनाव का विगुल बजने के साथ ही नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। नामांकन के लिये कोविड 19 को दृष्टिगत रखते हुए आयोग ने एक गाइड लाइन जारी करते हुए जिला प्रशासन को उसका कड़ाई से पालन कराने का शख्त निर्देश दिया है। लेकिन यहाँ जनपद में प्रशासनिक अधिकारी "समरथ के नहिं दोष गोसाईं " वाले मुहावरे को चरितार्थ करते नजर आ रहे है। नामांकन प्रक्रिया में सत्ता पक्ष अथवा दवंग के उपर आयोग की गाइड लाइन का असर नज़र नहीं आया और प्रशासन के अधिकारी मूदहु आंख कतहूँ कुछ नाही की स्थिति में आंखे बन्द किये रहे जबकि विपक्षी दलों के प्रत्याशीयो को आयोग के निर्देशो का पालन कराने में जरा भी कोर कसर नहीं छोड़ा गया है। इससे जिले के सरकारी अमले की मंशा भी झलकने लगी है।
गाइड लाइन के तहत नामांकन करने जाते सपा प्रत्याशीयहाँ बतादे कि बसपा प्रत्याशी जेपी दूबे नामांकन करने आये तो उनके वाहन एवं सहयोगियों को शेखपुर तिराहा पर रोक दिया गया और आयोग की गाइड लाइन के तहत प्रत्याशी एवं दो समर्थको को प्रवेश की अनुमति मिली। इसी तरह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी युवा नेता लकी यादव भी 14अक्टूबर को नामांकन के लिये लाव लश्कर के साथ शेखपुर तिराहा पर पहुंचे तो उनके समर्थकों को रोक कर आयोग के गाइड लाइन का हवाला देकर मात्र प्रत्याशी सहित तीन लोगों को प्रवेश दिया गया। इसके बाद निर्दल प्रत्याशी के रूप में पूर्व सांसद एवं बाहुबली नेता धनन्जय सिंह नामांकन के लिये गये तो उनके साथ के समर्थक नारे बाजी करते हुए कचहरी के मुख्य गेट तक गये वहां उनके साथ नामांकन कोर्ट तक चार की संख्या में लोग गये जबकि प्रत्याशी सहित तीन की अनुमति आयोग ने दिया है।
गाइड लाइन का कितना पालन धनन्जय सिंह निर्दल
इतना ही नहीं 15 अक्टूबर को सत्ता पार्टी भाजपा के प्रत्याशी मनोज कुमार सिंह ने नामांकन करने पहुंचे तो उनके साथ भी भाजपा के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में नारे बाजी का प्रदर्शन करते हुए कचहरी के मुख्य द्वार तक गये इतना ही नहीं इनके साथ पांच- की संख्या में भाजपा के लोग पीठा सीन अधिकारी के कक्ष तक गये और कक्ष के बाहर प्रशासन के सहयोग से उन्हें बैठने की व्यवस्था दी गयी नामांकन के पश्चात फिर सभी प्रत्याशी के साथ बाहर निकले हैं। प्रशासनिक अधिकारी आंख बन्द किये बैठे रहे मानो उन्हें कोई जानकारी नहीं है। सब कुछ आयोग की गाइड लाइन के तहत हो रहा है। यहां तक कि प्रशासन के अधिकारी और सुरक्षा बल के लोग भाजपाईयो के सहयोगी की भूमिका में नज़र आये। जब सवाल उठा तो चुप्पी साध लिए थे। इस तरह प्रशासन के सह पर भाजपाईयो ने आयोग के गाइड लाइन की खुले आम धज्जियां उड़या है।
कांग्रेस गाइड लाइन का पालनवहीं फिर कांग्रेस के प्रत्याशी जब नामांकन करने पहुंचे तो प्रशासन के लोग सक्रिय हो गये और गाइड लाइन का कड़ाई से पालन कराया गया। इसके अलावां निर्दल प्रत्याशियों ने तो बिना किसी शोर शराबे के आयोग के गाइड लाइन का खुद ही पालन करते हुए नामांकन पत्र दाखिल कर चलते बने थे। इस प्रकार नामांकन के समय सत्ता पक्ष द्वारा आयोग की गाइड लाइन के उल्लंघन पर प्रशासन की चुप्पी एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए संकेत कर रही है कि क्या चुनाव प्रक्रिया मे मतदान और गणना तक निष्पक्षता बरकरार रहेगी। क्या आयोग इसे गम्भीरता से लेने की जरूरत महसूस करेगा ?
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