जुमे की नमाज को लेकर डीजीपी हुए शख्त जानें क्या दिया अधिकारियों को आदेश, लापरवाही पर होगी कार्रवाई



डीजीपी मुख्यालय ने सभी कमिश्नरेट व जिलों के पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान मस्जिदों से होने वाली तकरीरों व नमाजियों पर दृष्टि रखी जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि नमाज के लिए आने वाले लोगों की संख्या रोजाना की तरह हो। कहीं भी अतिरिक्त जमावड़ा न होने पाए। क्षेत्र में बाहरी लोगों के आवागमन पर भी नजर रखी जाए।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने निर्देश में कहा कि सीएए के विरुद्ध हाेने वाले विरोध-प्रदर्शन से संबंधित छोटी से छोटी सूचना को गंभीरता से लेते हुए वरिष्ठ अधिकारी तत्काल कार्रवाई करें। सभी कमिश्नरेट व जिलों में ऐसे पॉकेट्स, मोहल्ले चिह्नित किए जाएं, जहां पूर्व में सीएए के विरोध में प्रदर्शन हुए हैं। मुख्यालय ने पूर्व में सीएए विरोधी प्रदर्शन में शामिल 1,896 अराजक तत्वों की सूची भेजी थी। इसमें शामिल लोगों के सत्यापन व कार्रवाई के संबंध में अभी तक जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है। ऐसे लोगों को तत्काल चिह्नित कर उन पर नजर रखी जाए, क्योंकि वे मौजूदा परिस्थिति का लाभ उठाकर कुत्सित गतिविधियां अंजाम दे सकते हैं।
बता दें कि वर्ष 2019 में सीएए विधेयक पारित होने के बाद 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया इस्लामिया में उपद्रव हुआ था, जिसकी आग अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तक भी पहुंची थी। इसके बाद तीन दिन तक प्रदेश के 41 जिलों में विरोध प्रदर्शन होते रहा। कई जिलों में आगजनी, पथराव व हिंसा भी हुई थी। जबकि 20 दिसंबर को दोपहर में जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से निकली भीड़ ने जगह-जगह आगजनी व पथराव किया। इसे लेकर प्रदेश भर में पुलिस ने 497 मुकदमे दर्ज कर 5,836 आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें पीएफआई के 113 सदस्य शामिल थे।नौ जिलों में हिंसक घटनाओं के दौरान 21 उपद्रवियों की मौत हुई थी और 61 पुलिसकर्मी फायर इंजरी व 400 पथराव में घायल हुए थे। सोशल मीडिया पर भ्रामक सूचनाएं फैलने पर 29 जिलों में इंटरनेट सेवा को अस्थायी रूप से बंद किया गया था। प्रदर्शन में शामिल अराजक तत्वों ने करीब 3.57 करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त किया था। इसकी क्षतिपूर्ति के लिए 680 लोगों को रिकवरी नोटिस जारी हुआ। अब तक 6,54,172 रुपये की रिकवरी की जा चुकी है।
वर्ष 2019 में सीएए के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर सितंबर 2022 तक प्रदेश में 509 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने 406 मुकदमों में आरोप पत्र दाखिल किया, जबकि 72 में फाइनल रिपोर्ट लगाई थी। वहीं 31 मुकदमों की विवेचना जारी है। कमिश्नरेट में सबसे ज्यादा हिंसक प्रदर्शन लखनऊ में हुआ था। यहां 63 मुकदमे दर्ज हुए थे। वहीं कानपुर में 22 और वाराणसी में 10 मुकदमे दर्ज हुए थे। अगर जोन की बात करें तो आगरा जोन में सर्वाधिक 105, जबकि मेरठ जोन में 104 मुकदमे दर्ज हुए थे।

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