पूर्वांचल विश्वविद्यालय में छात्रों का फूटा गुस्सा: अव्यवस्थाओं के विरुद्ध उभरी बड़ी आवाज, छात्रा ईश्विका सिंह ने दी राजभवन शिकायत की खुली चेतावनी

जौनपुर।वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में पिछले कई महीनों से बढ़ती अव्यवस्थाओं, उपेक्षित सुविधाओं, बदहाल व्यवस्थाओं और छात्र–छात्राओं की सुरक्षा व शैक्षणिक गुणवत्ता पर लगातार पड़ रहे प्रतिकूल प्रभावों के खिलाफ आखिरकार छात्रों का धैर्य खत्म हो गया और छात्रा ईश्विका सिंह के नेतृत्व में एक विशाल छात्र प्रतिनिधिमंडल ने कुलसचिव को 9-सूत्रीय बेहद विस्तृत, तथ्यपूर्ण और कठोर ज्ञापन सौंपा, जिसमें विश्वविद्यालय की जमीनी हकीकत को बिना किसी लाग-लपेट के सामने रखा गया। बुधवार को छात्रों का प्रतिनिधिमंडल कुलसचिव केशलाल से मिलकर यह ज्ञापन सौंपा।

छात्रों ने कहा कि विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय की हालत चिंताजनक ही नहीं, बल्कि शर्मनाक हो चुकी है—पाठ्यक्रमों की अनिवार्य पुस्तकें उपलब्ध नहीं, कई विभागों की किताबें वर्षों से अपडेट नहीं हुईं, पुरानी पुस्तकें, पढ़ने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं। महिला छात्रों ने यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के महिला शौचालयों की दशा इतनी खराब है कि प्रवेश करते ही गंदगी, बदबू, टूटी सीटें, खराब दरवाज़े और सफाई की बेहद खराब व्यवस्था नज़र आती है, जो न केवल स्वास्थ्य को जोखिम में डालती है बल्कि सीधे-सीधे छात्राओं की गरिमा और सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।

छात्राओं ने कहा कि महीनों से शिकायत करने के बावजूद महिला छात्रावास का वाई-फाई ठीक नहीं किया गया, जिसकी वजह से ऑनलाइन क्लास, शैक्षणिक सामग्री डाउनलोड, प्रैक्टिकल वर्क और असाइनमेंट सब कुछ प्रभावित हो रहा है, और डिजिटल इंडिया के युग में ऐसी स्थिति विश्वविद्यालय प्रशासन की गंभीर लापरवाही को दर्शाती है।

इसके साथ ही कंप्यूटर साइंस विभाग में यह स्थिति है कि छात्रों की संख्या अधिक और कंप्यूटर बेहद कम हैं—जो उपलब्ध हैं, उनमें कई काम नहीं करते, कई स्लो हैं, कई बार सुचारू रूप से बूट भी नहीं होते, जिससे तकनीकी शिक्षा की रीढ़ ही कमजोर हो गई है। इसी तरह विज्ञान संकाय के छात्रों ने बताया कि वर्षों से प्रयोगशालाएँ शुरू कराने का वादा किया जा रहा है, पर आज तक लैब का निर्माण पूरा नहीं हुआ, जिससे प्रयोगक्षमता शून्य हो चुकी है और वे केवल सैद्धांतिक ज्ञान तक सीमित हो रहे हैं, जो शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए घातक है।

छात्रों ने विश्वविद्यालय परिसर में पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी को भी एक बड़ी गंभीर समस्या बताया—निर्माण कार्यों के नाम पर पेड़ों की कटाई न केवल अवैध है, बल्कि यह विश्वविद्यालय की हरियाली को धीरे-धीरे समाप्त कर रही है; इसी तरह पानी की टंकियों के ओवरफ्लो से प्रतिदिन हजारों लीटर स्वच्छ जल बिना किसी उपयोग के बह जाता है, जो सीधे-सीधे संसाधनों की बर्बादी और प्रबंधन की विफलता को दर्शाता है।

ज्ञापन में कई विभागों में महिला कॉमन रूम न होने, जहाँ हैं वहाँ गंदगी और दुर्व्यवस्था होने की समस्या भी प्रमुखता से उठाई गई, जिससे छात्राओं को बैठने तक की सुविधा मयस्सर नहीं है; कैंटीन व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त है, कई घंटों तक चलने वाली कक्षाओं के बावजूद छात्रों के लिए भोजन–पानी की कोई उपयुक्त व्यवस्था उपलब्ध नहीं है, जिससे खासकर दूर-दराज़ से आने वाले छात्रों को गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

छात्रों ने सबसे गंभीर मुद्दा सुरक्षा से संबंधित बताया—सत्र शुरू होने के महीनों बाद भी ID कार्ड जारी न होने से बाहरी असामाजिक तत्वों का परिसर में प्रवेश आसान हो गया है, जो छात्राओं के लिए असुरक्षित माहौल पैदा करता है; छात्रों ने बताया कि बाहरी लोग कभी भी प्रवेश कर लेते हैं और कई बार छात्राओं के साथ अभद्र टिप्पणियों की शिकायतें भी आती हैं।

छात्रा नेता ईश्विका सिंह ने बेहद तीखे शब्दों में कहा कि “यह समस्याएँ सिर्फ असुविधा नहीं हैं, यह हमारे अधिकारों, हमारी सुरक्षा, हमारे भविष्य और हमारी शिक्षा के साथ खिलवाड़ है। विश्वविद्यालय प्रशासन से मौखिक शिकायतों पर कोई कार्यवाही नहीं होती, आश्वासन मिलते हैं, समाधान नहीं। अब छात्र समुदाय चुप नहीं बैठेगा। यदि इन सभी समस्याओं का समयबद्ध, पारदर्शी और प्रभावी समाधान नहीं हुआ, तो हम सभी छात्र-छात्राएँ एकजुट होकर राजभवन जाकर माननीय राज्यपाल/कुलाधिपति महोदय से विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ औपचारिक शिकायत करेंगे और हस्तक्षेप की मांग करेंगे, क्योंकि अब हमें हमारी शिक्षा से समझौता स्वीकार्य नहीं है।”

ज्ञापन सौंपे जाने के बाद कुलसचिव केशलाल ने कहा कि छात्रों की माँगें जायज़ हैं और शीघ्र ही इस पर कार्यवाही की जाएगी।

छात्रों ने कहा कि अब समय आ गया है कि विश्वविद्यालय अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने के बजाय वास्तविक सुधार लाए, अन्यथा छात्र समुदाय बड़े आंदोलन के लिए तैयार है। ज्ञापन सौंपे जाने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर भारी दबाव बन गया है और छात्र समुदाय अब उम्मीद कर रहा है कि इस बार गंभीरता के साथ ठोस और ईमानदार कार्रवाई की जाएगी।

उक्त अवसर पर ईश्विका सिंह, तनु सिंह, सौम्या सिंह, अंशिका सिंह, अवनीश सिंह, अंश मौर्य, विनय पाल, अभिषेक सिंह, अभय सिंह समेत आदि छात्र–छात्राएं उपस्थित रहे।

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