पंचायत चुनाव की सरगर्मियां चरम पर: मतपेटिकाएं ब्लॉक पहुंचीं, गांवों में शुरू हुआ जोरदार प्रचार
सिकरारा जौनपुर -उत्तर प्रदेश में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2026 को लेकर अब तैयारियां तेज हो गई हैं। बीते 23 दिसंबर को जारी अनंतिम मतदाता सूची में पाई गई खामियों को दूर करने की अंतिम तिथि नजदीक आते ही ग्रामीण इलाकों में चुनावी हलचल तेज हो गई है। इसी बीच सोमवार को सिकरारा ब्लॉक मुख्यालय पर सभी मतपेटिकाओं (बैलट बॉक्स) के पहुंचते ही पंचायत चुनाव की तैयारियों में जैसे पंख लग गए।
ब्लॉक विकास अधिकारी (बीडीओ) पवन कुमार प्रजापति ने बताया कि सभी मतपेटिकाओं को सुरक्षित रूप से ब्लॉक मुख्यालय के पुराने सभागार कक्ष में रखवा दिया गया है। उन्होंने कहा, "30 दिसंबर तक ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) अंतिम रूप से मतदाता सूची जमा करेंगे। उसके बाद इन प्रपत्रों की जांच पड़ताल के साथ डिजिटल फीडिंग का कार्य शुरू होगा।"
गांवों में शुरू हुआ घर-घर अभियान
ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अब दिन-रात एक कर चुके हैं। वे अपने समर्थकों और रिश्तेदारों के नाम मतदाता सूची में सुनिश्चित करने के लिए घर-घर जाकर सूची का मिलान कर रहे हैं। जिनके नाम गलती से सूची से कट गए हैं, उनके लिए दावे दर्ज करवाने में जुटे हैं, तो वहीं नए मतदाताओं (खासकर 18 वर्ष पूरे करने वाले युवाओं) के नाम जोड़ने का अभियान भी जोरों पर है।
इस दौरान गांवों में एक और दिलचस्प बदलाव देखने को मिल रहा है — दावतों और भोज का दौर शुरू हो चुका है। प्रत्याशी घर-घर जाकर मतदाताओं से मिल रहे हैं, उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और समर्थन मांगते हुए चाय-नाश्ते से लेकर भोज तक का आयोजन कर रहे हैं। यह सब कुछ बताता है कि ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के पदों के लिए मुकाबला इस बार बेहद रोचक होने वाला है।
राज्य स्तर पर पंचायत चुनाव की समय-सारिणी
उत्तर प्रदेश राज्य निर्वाचन आयोग के अनुसार:
23 दिसंबर 2025 — अनंतिम (ड्राफ्ट) मतदाता सूची का प्रकाशन
24 से 30 दिसंबर 2025 — दावे-आपत्तियां दर्ज करने की अवधि
31 दिसंबर 2025 से 6 जनवरी 2026 — आपत्तियों का निस्तारण
6 फरवरी 2026 — अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
इसके बाद ही चुनाव की अधिसूचना जारी होगी और संभावित तौर पर अप्रैल-जुलाई 2026 के बीच मतदान होने की उम्मीद है। राज्य में इस बार करीब 12.69 करोड़ मतदाता होंगे, जिनमें 40 लाख से ज्यादा नए मतदाता (ज्यादातर युवा) जुड़े हैं।
ग्रामीण लोकतंत्र की मजबूती का मौका
पंचायत चुनाव ग्रामीण भारत के लिए लोकतंत्र की सबसे मजबूत कड़ी माने जाते हैं। गांव का विकास, सड़क, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य, मनरेगा जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन और ग्रामीणों की आवाज सीधे सरकार तक पहुंचाने का जिम्मा ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्यों के कंधों पर होता है। ऐसे में इस बार मतदाताओं में उत्साह के साथ-साथ जिम्मेदारी का भी अहसास बढ़ा है।
जो प्रत्याशी अभी से मतदाता सूची को लेकर सजग हैं, वे निश्चित रूप से चुनावी मैदान में मजबूत स्थिति में नजर आ रहे हैं। अब देखना यह है कि अंतिम सूची में कितने नाम जुड़ते हैं और कितने कटते हैं, लेकिन एक बात तय है — ग्रामीण उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का महासमर अब शुरू हो चुका है!
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