सत्ता के आगे कानून और कानून के रखवाले कैसे होते हैं नतमस्तक, जाने जौनपुर मड़ियाहूं कस्बा की घटना



योगी जी अब आपके सत्ताधारी दल का जन प्रतिनिधि ही जब गरीबों को उजाड़ने लगे हुए है तो गरीब की मदत कैसे होगी ? 

 जौनपुर । सत्ता की हनक के सामने कानून और कानून के रखवाले कैसे मौन होते हैं इसका ताजा उदाहरण जौनपुर के तहसील मड़ियाहू मुख्यालय पर सत्ता धारी दल की विधायक द्वारा आज गरीबों के आशियाने को जबरिया उजाड़ने के दौरान देखने को मिली है। पुलिस की मौजूदगी में जेसीबी मशीन गरीबों का आशियाना उजाड़ दिया पुलिस मूक दर्शक की भूमिका में नज़र आयी है। पुलिस के अधिकारी सीओ का मोबाइल फोन नाट रिचेबुल था तो एसडीएम मड़ियाहूं का फोन लगभग तीन बजे दिन स्वीच आफ था ताकि न कोई बात कर सके नहीं किसी की शिकायत सुनने को मिले विधायक जी पूरी मनमानी तरीके से गरीबों को उजाड़ कर जमीन पर कब्जा जमा ले। इसे कहते हैं सत्ता का दबाव इससे यह भी साबित हो गया कि कानून आम जनता एवं गरीब कमजोर लोगों के उपर अपनी हनक दिखा सकता है कानून के रखवाले कमजोर पर हाबी हो सकते है। 
यहाँ बतादे कि कि आज सुबह के समय मड़ियाहूं विधायक के पति एवं पुत्र लगभग दो सौ की संख्या में दबंगो को लेकर लाठी डन्डे असलहे से लैस होकर मड़ियाहूं कस्बा स्थित शिवाजी नगर खैरूद्दीनगंज मोहल्ले में स्टेशन रोड पर दिन दहाड़े जेसीबी मशीन लगाकर सैकड़ों परिवार का रोजी रोजगार चलाने वाले गरीबों की गोमटियों को ध्वस्त करा दिया।यहाँ तक कि गोमटियों मे रखें लाखों रूपये के सामानों को भी तहस नहस कर दिया गोमटियों मे अपनी जीविका चलाने वाले मौके पर रोते बिलखते रहे लेकिन किसी भी स्तर से उनकी मदत नहीं हो सकी है। यहाँ तक कि मीडिया के लोग मौके पर गये तो उनसे भी हाथा पायी कर लिया गया। खबर यह है कि विधायक लीना तिवारी के मदत में जो लोग दबंगयी कर रहे थे वह सभी बुलाये गये दबंग लोग थे। खबर है कि जब कस्बा की जनता बड़ी संख्या में विरोध करने लगी तब निर्माण कार्य तो रूक गया तब तक तो सब कुछ बर्बाद हो चुका था। घटना के बावत पीड़ित पक्ष के ओम प्रकाश साहू और उनके बच्चों द्वारा बताया गया कि उक्त जमीन का विवाद पूर्व में सिविल न्यायालय जौनपुर में चल चुका है और  वर्ष 1989 में मेरे पिता के नाम मेरी जमीन मानते हुए न्यायालय से फैसला हो चुका है ।
 विधायिका डॉ लीना तिवारी के ददीया ससुर पूर्व विधायक स्वर्गीय राज किशोर तिवारी मुकदमे को हार गये थे मुकदमे के दौरान उन्होंने अपने बयान में आराजी नंबर 931 से अपना कोई वास्ता सरोकार नहीं होने का बयान दिया है  बयान के आधार पर न्यायालय अपर जिला जज जौनपुर द्वारा बयान का हवाला  अपने फैसले में दिया  है। इसके बाद भी सत्ता का पूरी तरह दुरुपयोग करते हुए। जबरदस्ती कब्जा  किया गया और भारी क्षति पहुंचायी गयी है।  
विधायक के इस कृत्य से कस्बा मड़ियाहूं के लोगों में रोष तो है लेकिन सत्ता की ताकत के आगे कुछ कर पाने की स्थिति में खुद को नहीं पा रहे हैं। इस पूरे प्रकरण में कानून और कानून के रखवालो द्वारा कोई एक्शन न लिए जाने के सन्दर्भ में एसडीएम के सरकारी मोबाइल नंबर 9454417109 पर लगभग तीन बजे दिन तक फोन किया जाता रह एसडीएम साहब का सरकारी नंबर स्वीच आफ बताता रहा। इसी तरह पुलिस ने तहसील स्तरीय अधिकारी सीओ मड़ियाहूं के सरकारी मोबाइल नंबर 9454401634 पर लगातार काल किया गया यह नम्बर नाट रिचेबुल बताता रहा सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि इन दिनों अधिकारीयोंके मोबाइल पर काल न लगने का कारण क्या हो सकता है। 
दोनों अधिकारी सत्ता के सामने नतमस्तक हो गये थे और विधायक के परिजन एवं गुर्गे पूरी आजादी के साथ गरीबों का आशियाना उजाड़ कर काबिज हो सके इसलिए अधिकारी भी मौन हो गये है। यह हो रहा है योगी जी के राज में, जब जनप्रतिनिधि ही गरीबों को उजाड़ने मे लगा है तो पीड़ित अपनी पीड़ा किसके दरवाजे पर सुना सकेगा यह एक बड़ा एवं गम्भीर सवाल खड़ा हो गया है। 
  

Comments

  1. ये खुद को सरकार मानती है लगता है

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