हाईकोर्ट ने वर्चुअल सुनवाई का आदेश लिया वापस,जाने कारण क्या रहा


कोरोना वायरस के नए वेरीएंट ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों को देखते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट  की प्रधान पीठ और लखनऊ बेंच में आज से मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई का आदेश सोमवार को वापस ले लिया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के विरोध को देखते हुए हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस राजेश बिंदल ने अपने आदेश को वापस ले लिया है. कोर्ट ने कहा मंगलवार से हाईकोर्ट में वर्चुअल और फिजिकल बहस दोनों होंगी.
हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की तरफ से निर्देश आया है कि प्रतिबंध के पूर्व की भांति कार्य होगा. लेकिन कोर्ट में प्रेसाइडिगं ऑफिसर को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वह यह निश्चित करेगा कि कोर्ट रूम में एक साथ 10 व्यक्तियों से ज्यादा लोग नहीं रहेंगे. वहीं अधिवक्ताओं के लिए मात्र 6 चेयर ही उपलब्ध होगी. प्रेसाइडिंग ऑफिसर के पास या अधिकार होगा कि वह किसी की एंट्री को कोर्ट रूम में रोक सके. उधर, कोविड-19 की गाइडलाइन के अनुरूप कोर्ट का सैनिटाइजेशन व अन्य कार्य होंगे.
इससे पहले कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए चीफ जस्टिस राजेश बिंदल की अध्यक्षता में रविवार को हुई प्रशासनिक कमेटी की बैठक में तीन जनवरी से मुकदमों की वर्चुअल सुनवाई का फैसला लिया गया था. जिन मुकदमों में अधिवक्ता उपस्थित नहीं हो पाएंगे, उनमें अदालतें कोई विपरीत आर्डर पास नहीं करेगी. हाईकोर्ट के महाधिवक्ता कार्यालय में सभी सरकारी वकीलों को सुबह 9:30 बजे मुख्य स्थाई अधिवक्ता कार्यालय में आने का अनुरोध किया था. हाईकोर्ट प्रशासनिक कमेटी के सीनियर जजों ने यह फैसला बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों से वार्ता के बाद लखनऊ व प्रयागराज में कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए लिया है।




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