हाईकोर्ट का आदेश : नाबालिग की अभिरक्षा का निर्णय लेते समय उसके सर्वोच्च हित का रखे ध्यान

 
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यदि एक नाबालिग लड़की अपने हित और भविष्य के लिए समझदारी भरा निर्णय लेने में सक्षम है तो उसे अपने पसंद के व्यक्ति के साथ रहने का हक है। न्यायमूर्ति वीके बिडला तथा न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की खंडपीठ ने अलीगढ़ की शिवानी व मनीष प्रताप सिंह की याचिका पर यह आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि नाबालिग लड़की की अभिरक्षा का निर्णय लेते समय उसके हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। कोर्ट ने अपनी पसंद के व्यक्ति से विवाह करने वाली नाबालिग लड़की की अभिरक्षा उसके पति को सौंपने की मांग स्वीकार कर ली है।
अलीगढ़ के गांधी पार्क थाने में नाबालिग लड़की के अपहरण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। पुलिस ने लड़की को बरामद कर नारी निकेतन भेज दिया और उसके पति मनीष को जेल भेज दिया। दोनों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा वे पति-पत्नी की तरह रह रहे हैं।
शिवानी के शैक्षिक रिकार्ड से पता चला कि घटना के समय उसकी आयु 16 वर्ष चार माह थी। पति मनीष ने शिवानी की अभिरक्षा की मांग में याचिका की। कोर्ट ने कहा कि अन्य पीठों ने लगातार यह दृष्टिकोण अपनाया है कि जो नाबालिग अपने भविष्य के जीवन के लिए निर्णय लेने की क्षमता रखती है और स्वेच्छा से वैवाहिक रिश्ते में बंधी है, उस पर विचार करना चाहिए।

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