जनपद के 12 जनप्रतिनिधियों में पांच ने नहीं दिया जन स्वास्थ्य के लिए निधि का पैसा



    जौनपुर । कोविड 19 वैश्विक महामारी से निपटने के लिए  जिले के जनप्रतिनिधियों ने शुरुआत के समय में  जिले की जनता को सुरक्षित रखने के लिए अपने निधियों से स्वास्थ्य विभाग को धनराशि देने का पत्र जारी कर सस्ती लोकप्रियता हासिल तो कर लिया लेकिन बाद में जो सच्चाई सामने नजर आयी वह कुछ और ही रही है।  जिसमें  पांच विधायक एवं एक एम एल सी तथा सांसद ने जिले के स्वास्थ्य विभाग को निधि की धनराशि अवमुक्त कराया। शेष चार विधायक एवं एक सांसद ने जिले को धनराशि देना उचित नहीं समझा है और धन अवमुक्त करने से सम्बंधित विभाग से रोकवा दिया है। राजनीति करने वालों के ऐसे दोहरे चरित्र से जनता अनभिज्ञ उन्हें अपना मसीहा मान रही है। 
बतादे कि बीते दिवस जिले के लगभग सभी जनप्रतिनिधियों में सस्ती लोकप्रियता के लिए जनता को सुरक्षित रखने के लिए जिला प्रशासन को पत्र देने की होड़ लगी थी लेकिन जब सच  में निधि के  खाते से धनराशि रिलीज करने की बात आयी तो जिन लोगों ने धनराशि रिलीज करने का पत्र दिया उनमें विधायकों में  शहर विधायक एवं मंत्री गिरीश चन्द यादव , शाहगंज विधायक शैलेन्द्र यादव ललई, मड़ियाहू विधायक लीना तिवारी, मछली शहर विधायक जगदीश सोनकर, मल्हनी विधायक एवं पूर्व मंत्री पारस नाथ यादव सहित एम एल सी बृजेश सिंह प्रिन्सू तथा सांसद जौनपुर श्याम सिंह यादव  का नाम है।  जिन जनप्रतिनिधियों ने  धनराशि रिलीज करने से परहेज किया  उसमें केराकत विधायक दिनेश चौधरी  , जफराबाद विधायक हरेन्द्र प्रताप सिंह, बदलापुर विधायक रमेश मिश्रा, मुगराबादशापुर विधायक सुषमा पटेल सहित मछली शहर के सांसद वीपी सरोज का नाम शामिल है। 
सरकारी सूत्र के अनुसार जनप्रतिनिधियों के पत्र के क्रम में विधायक निधि से  कुल  94.27 लाख रुपये के सापेक्ष  56.66 लाख रुपये  स्वास्थ्य विभाग के लिए अवमुक्त कर दिया गया है। जिसमें   24 लाख रुपये  सी एम एस को भेजा गया है।  और 33.56 लाख रुपये सी एम ओ  को भेजा गया है।  जबकि सांसद निधि की धनराशि 43 लाख रुपये सी एम एस को भेजा गया है इस तरह सी एम एस को कुल 67 लाख रुपये  जनप्रतिनिधियों की निधि से डीआरडीओ विभाग से पत्र जारी कर धनराशि की प्रथम किस्त  अवमुक्त कर दिया गया है। 
इस धनराशि से कोरोना संक्रमण से पीड़ित मरीजों के उपचार आदि की व्यवस्था करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया गया है। 
यहाँ बतादे कि कि जिन जनप्रतिनिधियों ने निधि से धनराशि रिलीज करने से परहेज किया है उसमें सत्ता धारी दल के लोगों की संख्या अधिक है एक विपक्षी दल की है। जनप्रतिनिधियों की इस कार्यशैली से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जनपद की आवाम के प्रति उनके मन में कितनी चिन्तायें है।

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