मल्हनी उप चुनाव:मतदान के बाद अब वोटों की गणित बैठा कर जिताने हराने पर बहस शुरू



जौनपुर। मल्हनी चुनाव के लिये मतदान खत्म होने के बाद अब चाय खाने से लेकर चट्टी चौराहे तक उसके समर्थकों द्वारा जीत हार पर बहस शुरू हो गयी है। जनता के बीच में चल रही चर्चा से एक बात तो साफ हो गयी है कि सत्ता धारी दल भाजपा मल्हनी के उप चुनाव में जीत की दहलीज से कोसो दूर है ऐसा जनमत कह रहा है। लड़ाई सपा प्रत्याशी लकी यादव एवं निर्दल प्रत्याशी धनन्जय सिंह के बीच बतायी जा रही है। हलांकि की जीत का सेहरा किसके सर होगा यह तो गणना के बाद ही स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है लेकिन प्रत्याशियों के समर्थक अपने गणित से अपने प्रत्याशी को जिता रहे हैं। 
यहाँ बतादे कि चुनाव खत्म होने के दूसरे दिन सुबह मार्निग वाक से ही सपा और निर्दल के समर्थक अपने तर्क से जीत का दावा करते नजर आ रहे। समर्थन पूरे विधानसभा मे भले न घूमें हो लेकिन मतदाताओं का मिजाज घर बैठे बता रहे हैं ।साथ एक बात ताल ठोंक कर बता रहे हैं कि मतदाताओं ने अपने को बेचा है इसीलिए उनके खरीददार प्रत्याशी के समर्थक जीत के लिए ताल ठोंक रहे है। इस चुनाव में यह भी स्पष्ट  हो गया है कि मुद्दा तो गायब रहा पैसा और जातीय समीकरण का खेल धड़ल्ले से चलता रहा। जिला प्रशासन और आयोग के अधिकारी प्रेक्षक के कागजी शख्ती का दावा करते रहे है। 
बतादे कि प्रदेश की सरकार मल्हनी पर कब्जा करने के लिए सरकारी शक्तियों को लगा रखा था लेकिन जनता का गुस्सा भाजपा को बैक फुट पर लाकर खड़ा कर दिया और बता दिया कि अब जनता लफबाजी में आने वाली नहीं है। जो काम करेगा वही जनता के उपर राज कर सकेगा। 
यहाँ एक खेल और देखा गया कि बसपा की नेता एक ओर तो पैसा लेकर अपने मूल वोटों की कीमत लेती है वही बसपा के मतदाता लोकल स्तर पर अपनी कीमत लगा कर खुद को बेचते हैं। ऐसा नजारा इस चुनाव में देखने एवं सुनने को मिला है। सरकारी मशीनरी भी अपना खेल की है ऐसी चर्चा आम जनता के बीच हो रही है।
मतदान के दिन 03 नवम्बर को रात्रि 7.30 बजे के बाद जिला प्रशासन की ओर से चुनाव खबर जारी हुई उसमें मतदान पोलिंग 56.67 प्रति. रहा लेकिन दूसरे दिन मतदान पोलिंग प्रति. 57.05 हो गया है। इसके पीछे का रहस्य तो सरकारी तंत्र ही बता सकता है। 
यहाँ यह भी बता दे कि क्षत्रिय समाज के लोग वोटों की गणित बैठा कर निर्दल प्रत्याशी को जिता रहे हैं तो यादव समाज के लोग अपनी गणित से सपा यानी लकी को जिता रहे हैं। वहीं भाजपा के लोग भी जीत का दावा करते नजर आ रहे है। लेकिन भाजपा के अलावां कोई भाजपा को लड़ाई में नहीं मान रहा है। जनता के बीच जो चर्चा है उसके अनुरूप परिणाम आने पर सरकार को अपने कार्यशैली पर विचार करना पड़ सकता है ।

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