पहले कोरोना अब सीमा पर सैनिकों का जमावड़ा क्या चाहता है चीन


 
मुन्ना त्रिपाठी 

कोरोना संकट के बीच अचानक भारत-चीन सीमा पर हलचल बढ़ने और तनाव की खबरें क्या संकेत देती हैं? राहत इंदौरी का एक मशहूर शेर है-
'सरहदों पर बहुत तनाव है क्या।
 कुछ पता तो करो चुनाव है क्या॥

और खौफ बिखरा है दोनों समतो में,
तीसरी समत का दबाव है क्या॥‘

देश में कोरोना संकट से निपटने में सरकार की कसरत सबके सामने है। 22 मार्च को जब एक दिवसीय ताली-थाली-घंटी नाद का आयोजन हुआ था तब सरकार पोषित मीडिया चीख-चीख कर कह रहा था कि कोरोना वायरस की उमर 12 घंटे होती है और  प्रधानमंत्री ने 14 घंटे का जो कर्फ्यू वाला मास्टर स्ट्रोक खेला है उससे कोरोना वायरस की श्रंखला (चैन) टूट जाएगी। फिर 24 मार्च की आधी रात से शुरू हुआ लॉकडाउन बढ़ते-बढ़ते चार चरण पूरा कर चुका है और अब देश अनलॉक-1 से गुजर रहा है। विरोधाभास यह है कि अन्य देशों में लॉकडाउन लगने के समय कोरोना संक्रमितों की जो संख्या थी वह लॉकडाउन खत्म होने पर अपेक्षाकृत कम थी। भारत इस मामले में अपवाद है। जिस दिन लॉकडाउन शुरू हुआ तब देश में कोरोना पीड़ितों की संख्या 500 थी और जब लॉकडाउन में ढील दी गयी तब यह संख्या 2.50 लाख से ऊपर है। इसका अर्थ क्या है? साफ है कि बडबोले प्रधानमंत्री और उनके सहयोगी कोरोना संक्रमण रोकने की रणनीति में विफल रहे हैं। इस विफलता के संकेत लॉकडाउन के पहले चरण में ही दिखने लगे थे जब देश का मजदूर अपने गृहराज्य/जिले/नगर/गाँव जाने के लिए सड़कों पर उतरा था।

इस बीच लद्दाख से लगी भारत-चीन सीमा पर सैन्य तनाव की खबरें परवान चढ़ीं। मई के आखिरी हफ्ते में इस तनाव को चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बयान ने और हवा दी। शी चिनफिंग ने सबसे खराब स्थिति की कल्पना करते हुए सेना को युद्ध की तैयारियां तेज करने का आदेश दिया और उससे पूरी दृढ़ता से देश की सम्प्रभुता की रक्षा करने को कहा। चीन की सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के महासचिव और करीब 20 लाख सैनिकों वाली सेना के प्रमुख 66 वर्षीय शी ने संसद सत्र के दौरान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और पीपुल्स आर्म्ड पुलिस फोर्स के प्रतिनिधियों की पूर्ण बैठक में हिस्सा लेते हुए यह टिप्प्णी की थी। उनकी यह टिप्पणी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच तीन हफ्तों से जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में आयी थी। हाल के दिनों में लद्दाख और उत्तरी सिक्किम में भारत और चीन की सेनाओं ने अपनी उपस्थिति काफी हद तक बढ़ाई है। यह दोनों देशों की सेनाओं के बीच दो अलग-अलग तनातनी भरा महीना बीत  जाने के बाद भी तनाव बढ़ने और दोनों पक्षों के रुख में कठोरता आने का स्प्ष्ट संकेत देता है। करीब 3,500 किलोमीटर लंबी एलएसी दोनों देशों के बीच वस्तुत: सीमा का काम करती है। इस बीच ताजा खबर यह है कि भारत चीन  के बीच पूर्वी लद्दाख  में जारी गतिरोध के दरम्यान चीनी सैनिक भारत के गलवान क्षेत्र  से दो से ढाई किलोमीटर पीछे चले गए हैं। इस गतिरोध को लेकर दोनों देशों की बात जारी है और इसे लेकर इसी हफ्ते सैन्य स्तर की बैठक होने जारी है. इस इलाके में भारत की सेनाएं भी पीछे हटी हैं। दोनों देशों की सेनाओं के बीच इस हफ्ते कई जगहों जिनमें पेट्रोलिंग पॉइंट 14 (गलवान क्षेत्र), पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग इलाका शामिल है पर बैठकों का दौर जारी  है। लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता 6 जून को हो चुकी है, चीन की सेना ने अपनी टुकड़ियों को पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी, पीपी-15 और हॉट स्प्रिंग्स इलाके से दो से ढाई किलोमीटर पीछे कर लिया है। चीन के इस कदम के बाद भारतीय सैनिकों और सैन्य वाहनों को भी इस क्षेत्र से पीछे कर लिया गया है। इस क्षेत्र में बटालियन कमांडर लेवेल की बातचीत होगी और वह हॉटलाइन के जरिए अपने समकक्षों से बात करेंगे. इस क्षेत्र में शुरुआती स्तर की बातचीत हुई है, चीन की गतिविधियां भी पूर्वी लद्दाख के इसी क्षेत्र से शुरू हुई थीं। भारतीय सेना की टीमें पहले से ही चुशुल में चीनी सैनिकों से बात करने के लिए मौजूद हैं और वह इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर रही हैं।

पूर्वी लद्दाख सेक्टर में फिलहाल भारत और चीन की सीमाओं पर तैनात सैनिकों की संख्या लगभग एक समान है। दोनों देशों की ओर से गोला-बारूद समेत अन्य हथियार भी इकट्ठा कर लिए गए हैं। एलएसी पर 1967 के बाद से एक भी गोली नहीं चली है। गलवन नाला इलाके में चल रहे निर्माण कार्य को लेकर दोनों देशों के बीच ये तनाव चल रहा है।

अब खेल देखिये और समझिये। भारत-चीन तनातनी के बीच महेश विक्रम हेगड़े के पोस्टकार्ड न्यूज़ ने सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जिसमें इज़राइल, रूस, अमेरिका और जापान जैसे देशों की टिप्पणियां हैं। यह  इमेज सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई। देशभर में लगे लॉकडाउन के बीच कोरोना आपदा को लेकर भारत की सूझबूझ की झूठी तारीफों के बाद अब ये फेक बयान वायरल किये गये। 

ग्राफ़िक में दुनिया के बड़े नेताओं के हवाले से निम्नलिखित टिप्पणियां लिखी गईं-

1.       जो भारत पर हमला करने की योजना बना रहे हैं उन्हें पहले हमसे सामना करना होगा- इज़राइल (बेंजामिन नेतन्याहू)
2.       हम हमेशा भारत के साथ हैं- रूस (व्लादिमीर पुतिन)
3.       भारत हमारा मित्र है और हम हमेशा भारत के साथ हैं – अमेरिका (डॉनल्ड ट्रम्प)
4.       अगर चीन भारत पर हमला करता है तो यह चीन के अंत की शुरुआत होगी- जापान (शिंज़ो आबे)
एशिया न्यूज नेटवर्क की खबर के अनुसार इन सभी बड़ी-बड़ी हस्तियों के नाम के साथ दावा किया गया कि चीन के मुद्दे पर बाकी सभी देश भारत के साथ हैं। 30 मई को फ़ेक न्यूज़ वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज़ ने यह ख़बर अपने फ़ेसबुक पर पोस्ट की थी। इसे 850 से ज़्यादा बार शेयर किया गया। फ़ैक्ट-चेकवायरल फोटो में दिए हुए सभी कोट्स सर्च किए लेकिन कोई भी संबंधित परिणाम सामने नहीं आया। हालांकि अमेरिका और रूस ने भारत और चीन के बीच तनाव को लेकर आधिकारिक बयान दिए हैं लेकिन वे बयान सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही बातों से कोसों दूर हैं। 27 मई को ट्रम्प ने दोनों एशियाई महाशक्तियों के बीच में मध्यस्थता करने की पेशकश की थी। लेकिन भारत सरकार ने ट्रम्प के उस दावे को ख़ारिज़ कर दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने पीएम मोदी से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल  के मामले पर बात की है। 1 जून को रूस के दूत रोमन बबूष्की ने इंडिया टुडे से बातचीत में बॉर्डर पर तनाव को लेकर बयान दिया, उन्होंने कहा, “…दोनों देशों ने हॉटलाइन, विशेष प्रतिनिधि बातचीत और अनौपचारिक शिखर सम्मेलन जैसे विशेष तौर-तरीके विकसित किए हैं। हमें विश्वास है कि भारतीय और चीनी मित्र मिलकर इस समस्या का हल निकालने में सक्षम हैं। हम ऐसी हर कोशिश की सराहना करते हैं।” जापान और इज़राइल ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बयान जारी नहीं किया है। यहां ध्यान देने की बात है कि निक्केई एशियन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक 2004 के बाद चीन ने हर साल अपना व्यापार बढ़ाया है। इस संस्थान को दिए एक इंटरव्यू में हाइफ़ा यूनिवर्सिटी के मैरीटाइम पॉलिसी एंड स्ट्रेटजी रिसर्च सेंटर के निदेशक प्रोफ़ेसर शॉल चोरेव ने कहा कि चीन के निवेश से इज़राइल ‘बहुत खुश’ है और ऐसी उम्मीद नहीं है कि ‘अमेरिका की इच्छा के मुताबिक’ काम किया जाएगा।  इसलिए सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीर के हिसाब से इन देशों ने भारत-चीन तनाव पर भारत का समर्थन करने की पेशकश नहीं की है। पिछले कुछ हफ़्तों में बॉर्डर पर तनाव के चलते भारत और चीन के बारे में फ़ेक न्यूज़ की बाढ़ आ गई है। 

एक कहावत है कि अगर आपके हाथ की एक ऊँगली में दर्द हो रहा है तो आप दुसरे हाथ की ऊँगली पर चोट करो। इससे आप पहली वाली ऊँगली का दर्द भूल जाओगे। भारत-चीन विवाद की जो गरमागर्म खबरें सोशल मीडिया से लेकर गोदी मीडिया तक पसरी हैं उनका एक मात्र उद्देश्य कोरोना पर सरकार की विफलता को छिपाना है। भारतीय जनता पार्टी संयोग और प्रयोग की पाठशाला है। इसलिए डोकलाम से लेकर गलवान तक ऐसे संयोग और प्रयोग चलते रहेंगे।

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