सत्ता धारियों और अपराधियों की मिली भगत का परिणाम है कानपुर की घटना -अखिलेश यादव



लखनऊ:  कानपुर की घटना के पश्चात समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आरोप लगाया है कि कानपुर मुठभेड़ मामले में यूपी सरकार अपनी पोलपट्टी खुलने के डर से आनन-फानन में मुख्य अपराधी को न पकड़कर छोटी-मोटी मुठभेड़ दिखाने का नाटक करवा रही है। इससे पुलिस कर्मियों का मनोबल और गिरेगा। अपराधियों को जिन्दा पकड़ कर वर्तमान सत्ता का भंडाफोड़ होना चाहिए।

सपा मुखिया ने कहा कि कानपुर मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मियों के मारे जाने को भाजपा सरकार की ऐतिहासिक नाकामी करार देते हुए इसे सत्ताधारियों और अपराधियों की मिली भगत का खामियाजा बताया है। उन्होंने कहा कि इस मिलीभगत का खामियाजा कर्तव्यनिष्ठ पुलिस कर्मियों को भुगतना पड़ा है। उन्होंने कानपुर में कुख्यात अपराधी को पकड़ने गई पुलिस टीम के 8 वीरों की शहादत पर श्रद्धांजलि देते हुए संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। राज्य सरकार से शहीद पुलिस कर्मियों को एक-एक करोड़ तथा घायलों को 50-50 लाख रुपए देने की मांग की है। सपा अध्यक्ष ने शुक्रवार को कहा कि भाजपा राज में अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है। बेलगाम अपराधियों ने नृशंस हत्या ही नहीं की मृत पुलिस कर्मियों के असलहे भी लूट ले गए।

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अब तो इस सच्चाई को स्वीकार करे कि उत्तर प्रदेश में माफियाओं की समानांतर सरकार चल रही है। राज्य में अपराधिक अवांछित तत्वों का साम्राज्य कायम हो चुका है। अखिलेश ने सवाल किया कि आखिर इतना जघन्य काण्ड करने की बदमाशों की हिम्मत कैसे पड़ गई? उन्होंने कहा कि यह सब ‘ठोकों नीति‘ का ही परिणाम है कि अपराधी पुलिस को ठोकने का दुस्साहसपूर्ण कृत्य करने में आगा-पीछा नहीं सोचते हैं। सपा मुखिया ने कहा कि मुख्यमंत्री जब-तब दावा करते रहे हैं कि उनके राज में अपराधी या तो जेल भेजे गए या प्रदेश के बाहर चले गए। विकास दुबे दुर्दान्त हिस्ट्रीशीटर है, उस पर 25 हजार रुपए का इनाम था। 20 साल पहले उसने थाने में घुसकर हत्याएं की थीं। राज्य सरकार के बताये कि इसके बावजूद वह कैसे रह रहा था?


अखिलेश ने कहा कि दरअसल भाजपा ने उत्तर प्रदेश को हत्या प्रदेश बना कर रख दिया है।  भाजपा नेतृत्व की अहंकारी भाषा ने उत्तर प्रदेश को डुबो दिया है। पूरा राज्य डरा-सहमा हुआ है। कानून के राज्य की क्या यही परिभाषा है? जब अपराधी बेखौफ होकर जेल से भी अपना कारोबार चला रहे हैं तो फिर जनता की रक्षा कौन करेगा? क्या प्रदेश में कानून व्यवस्था संविधान के अनुसार कायम है? कानपुर की घटना ने तो प्रदेश के रामराज्य और कानून की धज्जियां उड़ा दी है। यह पूरी व्यवस्था के लिए खुली चुनौती है। उन्होंने कहा कि कानपुर की एक अकेली घटना नहीं।

राजधानी लखनऊ के पारा क्षेत्र में एक मजदूर की कूच-कूच कर हत्या कर दी गई, लखनऊ के ही गोमतीनगर विस्तार में एक अवकाश प्राप्त डीआइजी के घर में घुसे युवक की थाना में मौत हो गई। उसके फांसी लगाने की कहानी बताई गई। प्रयागराज में 4 हत्याएं, अमरोहा में युवक की गोली मारकर हत्या, गाजियाबाद के साहिबाबाद में पिता और आठ साल की बच्ची की हत्या हुई और महोबा में पैरौल पर आए कैदी की हत्या हुई। सोनभद्र में निषादों की हत्या की गई। इन हत्याओं से प्रदेश थर्राया है। भाजपा ने अपने काले कारनामों से उत्तर प्रदेश को हत्या प्रदेश बना दिया है।


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