मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र से बीपी सरोज का नाम घोषित होते ही जानें क्यों क्षेत्र में उठने लगे है विरोधी स्वर

जौनपुर। लोकसभा चुनाव के जिले के दोनो संसदीय क्षेत्र पर मुख्य विपक्षी दल ने अपने पत्ते भले ही नही खोले है लेकिन सत्ताधारी दल भाजपा ने दोनो संसदीय क्षेत्र 73 जौनपुर संसदीय क्षेत्र से कृपाशंकर सिंह और 74 मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र से 2019 के चुनाव में जिला प्रशासन की कृपा एवं सत्ता की हनक पर 182 वोट से सांसद बने बीपी सरोज पर फिर दांव लगा दिया है। बीपी सरोज की घोषणा होते ही क्षेत्र में विरोधी स्वर उठने लगे है। लोग इनके पांच साल के कार्यकाल के लेकर सवाल खड़े करते हुए नेतृत्व को सवालो के कटघरे में खड़ा कर रहे है।
मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र इस बार 2024 में टिकट मांगने वालो की लम्बी फेहरिस्त रही कई ऐसे टिकट के दावेदार रहे जो अपने राजनैतिक जीवन की शुरुआत भाजपा से किया और आज तक भाजपा का ही झन्डा ऊंचा करते रहे है। बीपी सरोज बसपा से भाजपा ज्वाइन किये और 2019 भाजपा से टिकट हथिया लिए,भाग्य ने साथ दिया और जिला प्रशासन ने सत्ता के दबाव में जीतने वाले प्रत्याशी टी राम बसपा को 182 वोट से पराजित होने की घोषणा करते हुए बीपी सरोज को सांसद बनने का प्रमाण पत्र दे दिया।
सांसद बनने के बाद बीपी सरोज क्षेत्र से अधिकतम समय तक गायब रहे। पूरे संसदीय क्षेत्र में कोई भी विकास का काम नहीं किया हां अपने समाज के लिए सवर्ण समाज के खास कर ब्राह्मण और राजपूत समाज के लोगो की हरिजन बनाम सवर्ण (एससीएसटी) के मुकदमे में फंसाने का काम जरूर किया। जो आंकड़े मिले है उसके अनुसार मछलीशहर (सु) संसदीय क्षेत्र के थानो पर लगभग एक हजार से अधिक ब्राह्मण और राजपूत परिवार को एससीएसटी के मुकदमें  सांसद बीपी सरोज के प्रभाव में फंसाया जा चुका है।
इतना ही नहीं संसदीय क्षेत्र के सांसद होने और केन्द्र में भाजपा की सरकार होने के कारण इनके आतंक से आम जनमानस भी पांच साल तक दुबका नजर आया है। ऐसे व्यक्ति को पुन: भाजपा द्वारा चुनाव मैदान में उतारने की घोषणा के साथ ही संसदीय क्षेत्र के लोग सबक सिखाने के लिए मचलने लगे साथ ही भाजपा नेतृत्व से सवाल करते नजर आए कि एक तरफ नेतृत्व चार सौ के पार का नारा लगा रही है दूसरी ओर ऐसे व्यक्ति को टिकट दे रही है जिसकी क्षेत्र में छबि पूरी तरह से खराब है। ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि भाजपा के नारे का हश्र क्या होने वाला है। ऐसे  प्रत्याशी का जनमानस तो साथ नहीं देगा लेकिन फिर अगर सत्ता की हनक आयी और ईवीएम का खेल हुआ तो कुछ भी हो सकता है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
अब यहां पर एक सवाल यह है कि जिस व्यक्ति की छबि क्षेत्र में खराब चल रही है उसे भाजपा नेतृत्व ने टिकट क्यों थमाया है। क्या नेतृत्व जन मानस के नाराजगी का कोई असर नहीं मानता है। ईवीएम का खेल कर 2019 की तरह फिर बीपी सरोज को लोकसभा की दहलीज पर पहुंचाने का काम किया जाएगा।  हलांकि संसदीय क्षेत्र के जनता की नजर अब सपा प्रत्याशी ओर लगी है। जन मत है कि सपा ने यदि किसी अच्छे व्यक्तित्व वाले को मछलीशहर (सु) से अपना उम्मीदवार घोषित करेगी तो परिणाम चौकाने वाला संभव है।

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