न्यायपालिका की उत्तर प्रदेश सरकार पर तल्ख टिप्पणी,राज्य को बना दिया जंगलराज

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगातार आलोचकों पर दबाव बनाने के आरोप लगते रहे हैं। अब न्यायपालिका भी इस सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है । हालांकि, इस बार इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की आलोचना से जुड़े एक मामले में आरोपी को राहत देते हुए अहम फैसला सुनाया। दरअसल, यशवंत सिंह नाम के एक व्यक्ति पर आरोप था कि उसने कुछ समय पहले ट्वीट में कहा था कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य को ऐसे जंगलराज में बदल दिया है, जहां कोई कानून व्यवस्था नहीं है। इसी को लेकर पुलिस ने उस पर एफआईआर दर्ज की थी।
हालांकि, कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि कानून व्यवस्था के हालात पर मतभेद प्रकट करना भारत जैसे संवैधानिक लोकतंत्र की पहचान है। जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल ने एफआईआर रदद करते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी हमारे संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत सुरक्षित है।
बताया गया है कि पुलिस ने यशवंत पर आईटी ऐक्ट के सेक्शन 66-डी (कंप्यूटर का इस्तेमाल कर धोखाधड़ी) और आईपीसी की धारा 500 (मानहानि) के तहत केस दर्ज किया था। यह एफआईआर 2 अगस्त को कानपुर देहात के भोगनीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज हुई थी। इसमें पुलिस ने आरोप लगाता था कि सिंह ने अपने ट्वीट में अपहरण, हत्या और फिरौती से जुड़ी कई घटनाओं का जिक्र किया था।
हालांकि, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ इस्तेमाल की गई धाराओं के तहत अपराध का कोई मामला नहीं बनता, इसलिए केस को रद्द किा जाता है। सिंह के वकील धर्मेंद्र सिंह ने भी कोर्ट से कहा कि राज्य के मामलों में टिप्पणी करना किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक अधिकारों का हिस्सा है। सिर्फ मतभेद अपराध तो नहीं हो सकता। एफआईआर दुर्भावना के चलते दर्ज की गई, ताकि याचिकाकर्ता को राज्य सरकार के खिलाफ मतभेद की अभिव्यक्ति जाहिर करने से रोका जा सके।

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