आखिर 50 हजार की इनामी शाइस्ता तमाम संकट आने के बाद भी क्यों नहीं हो रही पुलिस के समक्ष सरेन्डर


शौहर अतीक, देवर अशरफ और बेटे असद की हत्या के बावजूद शाइस्ता का कुछ पता नहीं। घर की तीन-तीन लाशें उठीं, लेकिन वह किसी के जनाजे में शामिल होने नहीं पहुंची। सवाल यह है कि दुखों का पहाड़ टूट पड़ने के बावजूद शाइस्ता आखिर छुपी कैसे रह सकती है। कहीं यह पांच हजार करोड़ से अधिक की काली कमाई को बचाने का दांव तो नहीं? डर है कि कहीं वह जेल जाए और उसके गुर्गे ही संपत्तियों पर काबिज हो जाएं। सवाल-कयास और भी हैं, लेकिन जवाब किसी के पास नहीं।
उमेश पाल हत्याकांड में नामजद होने के बाद शाइस्ता खुद ही 50 हजार की इनामी है। गिरफ्तारी से बचने के लिए वह सामने नहीं आ रही। पांच लाख के इनामी बेटे असद का एनकाउंटर हुआ तो यह लगा था कि शाइस्ता अपने बेटे का चेहरा जरूर देखने आएगी। मगर, यह कयास ही साबित हुआ। जिस बेटे पर जान छिड़कती थी, उसे वह आखिरी बार देखने तक नहीं पहुंची। इसके बाद अतीक और अशरफ की हत्या हुई तो किसी को कल्पना भी न थी कि वह नहीं आएगी।
अफवाहें कई तरह की उड़ीं। यहां तक उड़ाया गया कि शाइस्ता शौहर-देवर को देखने के लिए अस्पताल पहुंच गई है। सरेंडर कर दिया है...। सारी बातें हवा-हवाई थीं और शाइस्ता की हर जगह गैरहाजिरी ने यह सिद्ध भी कर दिया। असल सवाल यह है कि शाइस्ता इतनी पत्थरदिल कैसे हो सकती है। इसके पीछे कुछ दलीलें हैं। बड़ी यही कि अतीक ने काली कमाई के जरिये पांच हजार करोड़ से अधिक की संपत्ति जुटाई है।
कई कंपनियां खड़ी की हैं। ईडी की छापेमारी के बाद बहुत कुछ सामने आ भी चुका है। अतीक के रहते शाइस्ता आश्वस्त रहती कि सबकुछ मैनेज हो जाएगा। खुद शाइस्ता को बहुत चिंता करने की जरूरत नहीं थी। मगर, अब तो हालात एकदम उलट हैं। अतीक का एक बेटा ढेर हो चुका है। दो जेल में हैं और दो बाल संरक्षण गृह में। अगर वह पुलिस या अदालत के समक्ष समर्पण कर देती है तो उसे भी जेल जाना होगा। उसके लिए जेल से जमानत पर बाहर आना आसान नहीं।
उसके खिलाफ कई नए मामले भी दर्ज हो सकते हैं। ऐसे में सलाखों के पीछे ही लंबी जिंदगी काटनी पड़ सकती है। उसके जेल जाते ही अतीक के लिए काम करने वाले ही हावी हो सकते हैं। लिहाजा, संपत्ति को बचाने के लिए शाइस्ता ने इतना कड़वा घूंट पिया है। वही अब अतीक के प्रयागराज से लेकर देश के विभिन्न शहरों में रियल एस्टेट कारोबार को संभालेगी।
हाल ही में अतीक के करीबी वकील खान शौलत हनीफ, अकाउंटेंट सीताराम शुक्ला, रियल एस्टेट कारोबारी खालिद ज़फर, बसपा के पूर्व विधायक आसिफ जाफरी, बिल्डर संजीव अग्रवाल, कार शोरूम मालिक दीपक भार्गव समेत 18 से अधिक लोगों के यहां ईडी की छापेमारी से 50 से अधिक खोखा (शेल) कंपनियों का पता चला है। इनमें रकम अतीक ने निवेश की थी। इनके जरिए अतीक अपने काले धन को सफेद करता था। यही सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है।

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