राज्यपाल के हाथों इन 20 शिक्षकों को मिला कोरोना वारियर्स सम्मान


लखनऊः राज्यपाल ने प्राथमिक शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि कम से कम पांचवी तक की शिक्षा मातृभाषा में हो ऐसे प्रयास होने चाहिए। आज के बच्चे कल के देश रखवाले हैं। अतः उन्हें गुणवत्तायुक्त शिक्षा अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिये। बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ उनके उत्तम स्वास्थ्य की भी व्यवस्था होनी चाहिए। कोरोना ने परिवार को एक साथ रहना एवं खाना सिखाया।
ये विचार राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने लखनऊ में आयोजित कोविड-19 वारियर्स अवार्ड-2020 के कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस अवसर पर राज्यपाल ने कोविड-19 वारियर्स अवार्ड से 20 लोगों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि विपत्ति के समय प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह मदद के लिये आगे आये, हर जगह सरकार नहीं पहुंच सकती। ये कार्य समाजसेवी संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं तथा जनप्रतिनिधियों सभी का है।
राज्यपाल ने कहा कि सरकार का हाथ-पैर समाज होता है। हमारे देश की आबादी 130 करोड़ से अधिक है, फिर भी भारत में अन्य देशों की तुलना में कोरोना के कम मामले आए, जबकि हमारे प्रदेश में 24 करोड़ की आबादी तथा संसाधन कम होने के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सुनियोजित तरीके से कोरोना बीमारी को रोकने का जो प्रयास किया गया, वह सराहनीय है। बीमारी के शुरूआती दिनों में हमारे पास चिकित्सा सुविधायें नहीं थी, किन्तु प्रदेश सरकार ने इस दिशा में बहुत तीव्र गति से कार्य किया और आज हमारे पास सुसज्जित अस्पतालों के साथ-साथ कोविड-19 के परीक्षण की सुविधाएं भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं।
राज्यपाल ने कोरोना वारियर्स की तारीफ करते हुये कहा कि आपत्ति को अवसर में बदलने के प्रयास होने चाहिए। उन्होंने कच्छ में आये भूकम्प त्रासदी की चर्चा करते हुए कहा कि उस समय आयी भीषण त्रासदी के समय हम कुछ नहीं कर सके और भीषण जनहानि हुई, लेकिन हमने धैर्य एवं साहस से काम लिया और सुनियोजित विकास का प्रयास किया। आज कच्छ पहले से भी सुरक्षित और खूबसूरत शहरों में से एक है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमें बच्चों की अच्छी शिक्षा हेतु सुरक्षात्मक तरीके से व्यवस्था करनी है आज आनलाइन शिक्षा की व्यवस्था हो रही है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने नई शिक्षा नीति लागू की है। हमें उसके अनुसार शिक्षा प्रणाली को आगे बढ़ाने के प्रयास सच्चे मन से करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के जितने भी विश्वविद्यालय हैं सभी ने शिक्षा प्रणाली को मजबूत करते हुये वेबिनार आयोजित किये हैं। वहां तकनीकी का प्रयोग हुआ है। हमारा प्रयास है कि 2035 तक 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हो सकें। हमारा प्रयास रोजगार मांगने वाला नहीं बल्कि देने वाला होना चाहिए। हमने आपत्ति को अवसर में बदला है।
लाकडाउन के समय परिवार इकट्ठा हुए। बच्चों को दादा-दादी, नानी-नानी का प्यार मिला, जो परिवार बिखर रहे थे, उनमें मिलकर रहने की भावना जगी है। टीबी से ग्रसित अधिक से अधिक बच्चों को गोद लें और उनके लिए उचित चिकित्सा, पौष्टिक आहार की व्यवस्था भी करें। यह कार्य किसी एक व्यक्ति का नहीं है।

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