कृषि का दर्शन पोषण का है, शोषण का नहीं - डा रमेश चन्द यादव



जौनपुर। कलेक्ट्रेट स्थिति प्रेक्षागृह में आत्म निर्भर भारत हेतु आयोजित तीन दिवसीय उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस के दूसरे दिन सोमवार को किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जैविक खेती, कृषि यंत्रीकरण, सिचाई प्रबंधन, कटाई उपरान्त फसल प्रबंधन से किसानों की आय दूनी करने तथा रबी फसलों के वेहतर उत्पादन वाली तकनीकीयो एवं लाभकारी कृषि योजनाओं से विशेषज्ञों द्वारा किसानों को प्रशिक्षित किया गया।
डिप्टी पीडी (आत्मा) डा. रमेश चंद्र यादव ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने तथा टिकाऊ एवं किफायती खेती के लिए जैविक खेती ही सर्वोत्तम विकल्प है। उन्होंने कहा कि कृषि का दर्शन पोषण का है, शोषण का नही, कृषि की सर्वश्रेष्ठ पद्धति वही है जो सबके लिए कल्याणकारी हो। डा. यादव ने कहा कि आज खेती में हानिकारक रासायनिक उर्वरकों के बजाय जैविक खादों एवं जैव उर्वरकों के एकीकृत उपयोग तथा हानिकारक कीट नाशकों की जगह जैविक कीटनाशकों का प्रयोग करना नितान्त जरूरी हो गया है। बायोपेस्टिसाइड एवं बायोऐजेंट के प्रयोग से अपनी आय में वृद्धि कर किसान अपनी समृद्धि कर कृषि का सतत विकास कर सकते है।
कृषि वैज्ञानिक डा. सुरेन्द्र सोनकर ने मशरूम की खेती, मसाला की खेती की जानकारी दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला विकास अधिकारी बीबी सिंह तथा संचालन एफपीओ की सीईओ संध्या सिंह ने किया। समारोह में कृषि विभाग, उद्यान विभाग, कृषि रक्षा तथा स्वयं सहायता समूहों द्वारा स्टाल लगाकर विभागीय योजनाओं की जानकारी दी गई। इस मौके पर शिखा मौर्या, अनिता, पूनम, करिश्मा, राम चन्द्र दूबे, महेंद्र सिंह आदि भारी संख्या में किसान मौजूद रहे।

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