डीजल के मुल्य में लगातार हो रही वृद्धि से टूटी कमर, मंहगाई सातवें आसमान,ट्रान्सपोटर भी परेशान


 

डीजल की कीमत में लगातार बढ़ोतरी ने ट्रांसपोर्टरों के साथ ही आम लोगों की कमर तोड़ दी है। ट्रांसपोर्टरों ने माल भाड़े में 10 से 20 फीसदी तक का इजाफा कर दिया है। जिसका सीधा असर रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों पर दिख रहा है। बिल्डिंग मटेरियल से लेकर खाद्य तेल पर माल भाड़ा बढ़ने का साफ असर दिख रहा है। कानपुर और लखनऊ से गोरखपुर का भाड़ा 20 फीसदी से अधिक बढ़ गया है। वहीं डीजल की कीमतों से मौरंग बालू से लेकर अन्य बिल्डिंग मटेरियल की कीमतों में इजाफा है। 
साल भर में डीजल का दाम  25 रुपये तक बढ़ने से ट्रांसपोर्टर माल भाड़ा बढ़ाने को विवश हुए हैं। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि माल भाड़ा बढ़ाने के बाद भी मुनाफा नहीं है। सिर्फ मार्केट में बने रहने के लिए ऐसा करना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टर धर्मेन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि दो दिन पहले 10 से 20 फीसदी तक माल भाड़ा बढ़ाने के बाद भी मुनाफे की स्थिति नहीं बन पा रही है। टोल टैक्स, डीजल, टायर, मोबिल से लेकर मजदूरी में काफी इजाफा हो गया है। 
ट्रांसपोर्टर अनुपन मिश्रा का कहना है कि साल भर में प्रति कुंतल 100 रुपये तक माल भाड़ा बढ़ाने के बाद भी मुनाफा नहीं है। साल भर में 200 से अधिक ट्रकों की बिक्री ट्रांसपोर्टरों की स्थिति बताने को पर्याप्त है। ट्रांसपोर्टर राजन राय का कहना है कि कोरोना काल में मांग नहीं होने के बाद भी डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से कमर टूट गई है। डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर रोजमर्रा की जरूरतों पर पड़ रहा है। चेंबर ऑफ कामर्स के अध्यक्ष संजय सिंघानिया का कहना है कि बरेली से खाद्य तेल आता है। महीने भर पहले 20 हजार भाड़ा लगता था जो बढ़कर 24 हजार पहुंच गया है। वहीं चेंबर ऑफ ट्रेडर्स के अध्यक्ष अनूप किशोर अग्रवाल का कहा है कि दिवाली को लेकर बीकानेर से माल आता है। पिछले साल माल 400 से 450 रुपये कुंतल में आता था, इस बार भाड़ा 550 रुपये प्रति कुंतल पहुंच गया है। वहीं कारोबारी संजय सिंघानिया का कहना है कि राजस्थान से सरसों मंगाया जाता है। एक चक्कर के माल भाड़े में 12 हजार रुपये का इजाफा हो गया है। 
डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से मौरंग बालू और गिट्टी की कीमतें भी कम नहीं हो पा रही है। बांदा से मौरंग बालू लाने में एक ट्रक में 32 हजार रुपये का खर्च आ रहा है। जबकि साल भर पहले यह खर्च 25 हजार था। पिछले साल की तुलना में मौरंग बालू की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं है। इसी तरह झांसी से गिट्टी लदे ट्रक पर डीजल खर्च 38 हजार रुपये आ रहा है, जो साल भर पहले 30 हजार तक ही था। यूपी ट्रक संचालक एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रवीन्द्र प्रताप सिंह का कहना है कि मौरंग और गिट्टी कीमतें नहीं बढ़ीं, डीजल खर्च बढ़ गया है। वर्तमान में मांग नहीं होने से ट्रांसपोर्टरों की कमर टूट गई है। 
ऐसे बढ़ा माल भाड़ा जगह सितंबर में भाड़ा वर्तमान भाड़ा सूरत-गोरखपुर 800 रुपये प्रति कुंतल 850 रुपये प्रति कुंतल अहमदाबाद-गोरखपुर 650 रुपये प्रति कुंतल 700 रुपये प्रति कुंतल मुंबई-गोरखपुर 600 रुपये प्रति कुंतल 650 रुपये प्रति कुंतल राजस्थान-गोरखपुर 600 रुपये प्रति कुंतल 650 रुपये प्रति कुंतल कानपुर-गोरखपुर 170 रुपये प्रति कुंतल 200 रुपये प्रति कुंतल लखनऊ-गोरखपुर 170 रुपये प्रति कुंतल 200 रुपये प्रति कुंतल

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