नौ दिन का होगा वासंतिक नवरात्र,जानें क्या है इस नवसंवत्सर में खास


नवसंवत्सर के प्रथम दिवस चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक के नौ दिनों की मान्यता वासंतिक या चैत्र नवरात्र की है। इस बार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नौ अप्रैल को और नवमी 17 अप्रैल को पड़ रही है। अत: शक्ति की अधिष्ठात्री मां जगदंबा की पूजा-आराधना का विशेष पर्व वासंतिक नवरात्र इस बार पूरे नौ दिन का होगा। सनातन धर्म में चैत्र मास का विशिष्ट स्थान है। 
मान्यता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि में ब्रह्मा ने सृष्टि रचना आरंभ की। इस दिन से नौ रात्रियों तक व्रत को नवरात्र कहा गया। ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा आठ अप्रैल को रात्रि 11:55 बजे लग जा रही है जो नौ अप्रैल को रात 9:43 मिनट तक रहेगी। 
उदयातिथि अनुसार नौ अप्रैल को नवरात्रारंभ होगा। नवरात्र तो वैसे भी समस्त शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त माना जाता है, लेकिन विविध योगों के संयोग से यह और भी विशिष्ट माना जा रहा है। 
शुभ योगों के साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में प्रात:काल अशुभ योग वैधृति मिल रहा है। अत: घट स्थापन अभिजित मुहूर्त में किया जाएगा जो दिन के 11:34 बजे से 12 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। शास्त्र में वैधृति योग में घट स्थापन का निषेध बताया गया है। कहा गया है-'वैधृति पुत्रनाशिनी'। अर्थात वैधृति में किया गया घट स्थापन पुत्र नाशक होता है।
महानिशापूजन सप्तमी युक्त अष्टमी की मध्य रात्रि (निशिथ व्यापिनी) में किया जाता है। अत: 15-16 अप्रैल की मध्य रात्रि अष्टमी योग से महानिशा व बलिदान आदि कार्य होंगे। महाअष्टमी व्रत 16 अप्रैल को किया जाएगा। 
नवमी तिथि में 17 अप्रैल को रामनवमी व्रत रखा जाएगा। साथ ही नवरात्र का हवन-अनुष्ठान होगा। चढ़ती-उतरती यानी पहले व अंतिम दिन व्रत रखने वाले महाष्टमी व्रत का पारण नवमी तिथि में 17 अप्रैल को करेंगे। नवरात्र व्रत का पारण 18 अप्रैल को होगा।

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