बिजली कटौती मुद्दे पर विधायक डॉ रागिनी ने सरकार को घेरा

25 साल के लिए अदानी से बिजली खरीद के प्रस्ताव पर उठाया सवाल

पॉवर लास पर कितने बिजली अधिकारियों पर की गई कार्रवाई

लखनऊ/ जौनपुर। उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में बुधवार को सरकार के बिजली विभाग की पोल खुलकर सामने आ गई। सत्तापक्ष लगातार दावा करता है कि प्रदेश में बिजली का उत्पादन भरपूर है 24 घंटे आपूर्ति हो रही है और मांगआपूर्ति में कोई अंतर नहीं है। मगर ज़मीनी हकीकत यह है कि गांवों में 12-12 घंटे और शहरों में 4 से 6 घंटे तक अघोषित बिजली कटौती जनता की दिनचर्या बन चुकी है। यह सवाल विधानसभा में सपा की विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने उठाया।

विधायक डॉ. रागिनी सोनकर ने सदन में कहा कि हालात इतने शर्मनाक हैं कि जब खुद सत्ताधारी पार्टी का कार्यकर्ता मंत्री के पास जाकर माला पहनाता हैनारे लगाता है और फिर कान में कहता है कि “14 घंटे से बिजली नहीं आई”, तब भी मंत्री जी सच्चाई सुनने को तैयार नहीं होते। भगवान के नाम के नारे लगवाकर विभाग की विफलताओं पर पर्दा डाल दिया जाता है और जवाब आता है,  “कोई कमी नहीं है।” यह जनता के साथ खुला मज़ाक नहीं तो और क्या है?

डॉ. रागिनी ने सरकार से सीधे सवाल किए कि अगर उत्पादन और मांग में कोई अंतर नहीं हैतो फिर यह अघोषित कटौतियाँ किसकी नाकामी हैंक्या यह मान लिया जाए कि सरकार का बिजली वितरण तंत्र पूरी तरह चरमरा चुका हैऔर अगर वितरण ही फेल हैतो 9 साल की सरकार ने अब तक क्या कियाकितने अफसरों पर कार्रवाई हुई या फिर सिर्फ आंकड़ों की बाज़ीगरी से जनता को बहलाया जा रहा है?

जौनपुर के बदलापुर महोत्सव में मंच से उपकेंद्र निर्माण का ऐलान और उसी जिले के सदरनगंज व बंधुआ में पावर लॉस” का बहाना बनाकर मांग ठुकरा देना, यह सरकार की दोहरी नीति का खुला उदाहरण है। विधायक ने पूछा कि यह पावर लॉस किसकी लापरवाही का नतीजा है इस मामले के लिए अब तक कितने जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हुई?

सबसे गंभीर सवाल बिजली विभाग के निजीकरण और अडानी से 25 साल के लिए ₹5.383 प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीद के प्रस्ताव पर उठाया गया। विधायक ने कहा कि इस सौदे की अनुमानित लागत ₹15,000 करोड़ हैलेकिन सरकार जनता से सच छुपा रही है। जब उत्पादन बढ़ाने के नाम पर किए गए शिलान्यास ज़मीन पर दिखाई नहीं देतेतो यह साफ है कि सरकार जनता की बिजली निजी हाथों में गिरवी रखने जा रही है।

 

विधायक ने चेतावनी दी कि इस महंगे सौदे का बोझ आखिरकार गरीबकिसानमजदूर और मध्यम वर्ग ही उठाएगा। सवाल यह है कि क्या उत्तर प्रदेश की जनता अडानी मॉडल की कीमत अंधेरे में रहकर चुकाएगी? अंत में विधायक ने कहा कि आज प्रदेश की जनता को नारों की नहींभगवान के नाम की नहींबल्कि सच और जवाबदेही की जरूरत है। सरकार को सदन और सड़क  दोनों जगह जवाब देना होगा।

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