आइए जानते है मल्हनी विधान सभा क्षेत्र में अमित शाह की सभा और भाषण के क्या मायने निकल रहे है


जौनपुर। सातवें चरण के चुनाव के लिए दिल्ली से सीधे जौनपुर की मल्हनी विधान सभि क्षेत्र स्थित यादवेश इन्टर कालेज में जनसभा करने पहुंचे केन्द्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चाणक्य अमित शाह के भाषण के अब सियासी मायने निकालते हुए राजनैतिक समीक्षक मान रहे है कि भाजपा के दो दिग्गज नेताओ अमित शाह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बीच कुछ गहरा शीत युद्ध चल रहा है।
जनपद के राजनैतिक समीक्षको का कथन है कि दिल्ली से सीधे जौनपुर के मल्हनी विधान सभा में आकर अमित शाह की जनसभा और भाषण कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है। लोंगो का कथन है कि इधर विगत कुछ समय से सीएम योगी आदित्यनाथ और धनंजय सिंह के बीच नजदीकियां बढ़ी हुई थी योगी जी चाहते थे जीत सौ प्रतिशत सुनिश्चित करने के लिए जौनपुर की मल्हनी विधान सभा से भाजपा के टिकट पर धनंजय सिंह चुनाव लड़े लेकिन अमित शाह तैयार नहीं हुए चूंकि टिकट वितरण में शाह की भूमिका रही है इसलिए धनंजय सिंह को भाजपा से टिकट नहीं मिला और बिहार की जदयू से टिकट लेकर तीर चुनाव चिन्ह पर मैदान में आ गये।
चुनाव के दौरान धनंजय सिंह का बयान आया कि चुनाव जीतने के बाद योगी सरकार के मंत्रीमंडल में शामिल हो सकते है। इस बयान के बाद अमित शाह को लगा कि योगी जी लखनऊ में मजबूत हो सकते है और आने वाले समय में उनके राजनैतिक कद में रोड़ा बन सकते है इसलिए धनंजय सिंह के जरिए योगी जी को निपटाने के लिए मल्हनी विधान सभा में दिल्ली से सीधे पहुंचे और अपने भाषण में यह माना कि हमसे कुछ भूल हुई है कुछ माफिया जेल के बाहर है।07 मार्च को कमल का बटन दबा देना 11 मार्च को वह भी मुख्तार अंसारी के साथ नजर आयेंगे। अमित शाह के इस भाषण के बाद राजनैतिक गलियारे में चर्चा तेज हो गयी कि गोरखपुर में योगी के रोड शो में शामिल न होना और जौनपुर की मल्हनी में योगी के नजदीकी वाले प्रत्याशी को जेल भेजने की बात करना यह संकेत करने लगा है कि अमित शाह और योगी आदित्यनाथ के बीच गम्भीर शीत युद्ध चल रहा है। जो कहीं न कहीं भाजपा के लिए घातक सिद्ध हो सकता है।
राजनैतिक समीक्षको का मानना है कि जब दलीय कुनबे के अन्दर खाने में विवाद पैदा होता है तो दल को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है इसके की उदाहरण भी गिनाये है। 2017 में सपा के कुनबे में विवाद हुआ तो सपा सत्ता से बेदखल हो गयी थी। इस 2022 के चुनाव में सपाई एक जुट हुये तो भाजपा के अन्दर जंग छिड़ गयी है वह भी दो शीर्ष नेताओ के बीच इसका परिणाम क्या होगा सहज अनुमान लगाया जा सकता है।

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