इस्लाम में महिलाओं के बेमिसाल अधिकार: मौलाना सबीहुल हसन


जौनपुर। शहर के मदरसा इमाम जाफर सादिक अलैहिस्सलाम में "अय्याम ए फातिमिया" के शीर्षक से तीन दिनों तक मजलीसो का आयोजन हुआ।मदरसा के प्रबंधक मौलाना सफदर हुसैन जैदी ने बताया कि ये मजलीसे विश्व शांति तथा मानव नैतिकता के सबसे बड़े प्रचारक एवं मुसलमानों के पैगंबर हज़रत मुहम्मद मुस्तफा अलैहिस्सलाम की इकलौती बेटी हजरत फातिमा जहरा की शहादत के मौके पर आयोजित की गई थीं। जिसमें शिराजे हिंद के ओलमा ए किराम तथा जाकेरीन ए किराम ने मजलीसो को संबोधित किया।
मजलिस में लखनऊ से आए मौलाना सबीह-उल-हसन साहब ने मजलिस को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह से इस्लाम में महिलाओं के अधिकारों की व्याख्या की गई है, वैसा उदाहरण  कहीं और नहीं मिल सकता है. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी भी संप्रदाय के पैगंबर ने महिलाओं का उस तरह से सम्मान नहीं किया जैसा मुसलमानों के प्रमुख पैगंबर  हज़रत मुहम्मद साहब ने किया था।
मौलाना ने फ़ातिमा ज़हरा की विशेषताओं का वर्णन करते हुए, अल्लाह के रसूल की एक हदीस पढ़ी कि "फातिमा मेरा हिस्सा है" और कहा कि रसूल सभी मोमिनों, अपने असहाब और नबियों से बेहतर है, इसी तरह जनाब फातिमा भी सभी मोमेनीन तथा मोमीनात , रसूल के असहाब और नबियों से भी बेहतर है।  
ज्ञात हो कि तीन दिवसीय मजालिस का आयोजन किया गया था जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भाग लिया। जिसमे मौलाना हसन जफर , मौलाना वसी मुहम्मद , मौलाना मरग़ूब आलम , मौलाना मुहम्मद रजा , मौलाना तनवीर हैदर , मौलाना मनाज़ीरुल हसनैन , मौलाना अली अब्बास हैएरी , मौलाना शाने आलम , मौलाना रज़ी बीसवानी , मौलाना सैयद असगर अली तथा मौलाना सबिहुल हसन साहब ने संबोधित किया। इन मजलीसो से पहले, प्रोग्राम मे शामिल रहे सभी शोअरा ने जनाबे फ़ातिमा की सम्मान मे अपने आशआर तथा कलाम सुनाए। 
समापन की पहली मजलिस को मौलाना शायान ने संबोधित किया तथा दूसरी मजलिस को मौलाना ज़फ़र हसन  ने संबोधित करते ही कहा कि रसूलल्लाह ने गदीर के मैदान मे सब को रोक कर विलायते अली अ स का ऐलान किया जिसके बाद कुरान की आयत आई जिसमे दिन के पूर्ण होने की बात कही गयी। और फिर फातिमा ज़हरा स अ की जीवन शैली का उल्लेख करते हुए कहा कि आपने अपनी जिंदगी मे इसी विलायते अली अ स की हीफाज़त की। संबोधान को आगे जारी रखते हुए कहा कि जनाबे फातिमा ज़हरा के फ़ज़ाएल तथा मसाएब सुन कर खुश तथा रोना काफी नही है बल्कि आज जिस तरीके से विलायते फ़की़ह पर तथा मरजा ए कीराम पर हमले हो रहे हैं, हमे ज़रूरत है की शहज़ादी ए कौनैन के जीवन से सबक़ हासिल करते हुए विलायते फ़की़ह तथा मरजाईयत की रक्षा करे। तभी हम आपके सच्चे अनुनायि कहलायेगे। इसके बाद की मजलीसो को मौलाना आसिफ अब्बास , मौलाना शौकत हुसैन , मौलाना निसार हुसैन , मौलाना हसन अकबर ने संबोधित किया तथा आखिरी मजलिस को मौलाना हसन मेहदी ग़ाज़ीपुर ने पढ़ते हुए कहा कि कोई भी समाज तब तक तरक्की नहीं कर सकता के जब तक उस समाज मे औरतो को इज़्ज़त ना दी जाए। क्योंकि औरतों की ही आगोश में सभ्य मनुष्य का निर्माण होता है। इस के इलावा मौलाना ने जनाबे फातिमा ज़हरा के दिल सोज़ मसाएब बयान किये जिस से मौजूद तमाम लोगों की आँखे नाम हो गईं। प्रोग्राम का आयोजन मदरसा इमाम जाफर सादिक के तमाम सदस्य, अध्यापको तथा छात्रों द्वारा हुआ।
मजलिस में आए हुए मोमनीन का मौलाना शाजान जैदी ने शुक्रिया अदा किया।

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